जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: चंबल नदी फिर उफन रही है, जिससे आगरा जिले बाह और पिनाहट क्षेत्र के 38 गांवों में बाढ़ की आहट है। कोटा बैराज से सोमवार को 12 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। शाम छह बजे धौलपुर में बाढ़ आ गई है। यहां जलस्तर खतरे के निशान से छह मीटर अधिक है। मंगलवार सुबह सात बजे तक पानी पिनाहट पहुंच जाएगा। यहां चंबल में बाढ़ आ सकती है। प्रशासन ने रात में अलर्ट जारी करते हुए 38 गांव खाली कराने के लिए मुनादी कराई है।
एसडीएम बाह रतन वर्मा के अनुसार मंगलवार सुबह पिनाहट में चंबल हाई फ्लड लेवल 130 मीटर को पार कर सकती है। जलस्तर 132 तक पहुंच सकता है। इसके बाद भी पानी बढ़ने के आसार हैं। पिनाहट में चेतावनी स्तर 127 मीटर है। पिछले सप्ताह छोड़े गए 7.50 लाख क्यूसेक पानी से 10 गांव का संपर्क टूट गया है। दो दिन ग्रामीणों ने राहत की सांस ली, लेकिन प्रभावित गांवों के रास्तों में कीचड़ व दलदल है। सैकड़ों हेक्टेयर फसल तबाह हो गई है।
सोमवार को बाढ़ के खतरे को भांपते हुए प्रशासन राहत कार्य में जुट गया है। गांव-गांव मुनादी कराई गई है। ग्रामीणों को ऊंचाई वाले स्थानों पर रहने को कहा गया है। मंगलवार सुबह से चंबल का जलस्तर तेजी से बढ़ने के आसार हैं।
एसडीएम ने बताया कि आठ बाढ़ चौकियां बनाई हैं। हल्का लेखपालों को गांव में ही रुकने के निर्देश हैं। निगरानी के लिए जैतपुर और खेड़ा राठौर थाने के प्रभावित गांव में तहसीलदार सर्वेश कुमार सिंह, बासोनी, पिनाहट थाने के गांवों पर नायब तहसीलदार गौरव अग्रवाल, मंसुखपुरा पिनाहट क्षेत्र में खुद एसडीएम मोर्चा संभाल रहे हैं।
चंबल में आई बाढ़ से 30 से अधिक गांव विस्थापित हो सकते हैं। मंसुखपुरा में रेहा, बरेंडा,तासौड, पिनाहट में क्योरी, करकोली, महगोली, उटसाना, उमरैठा पुरा, बघरैना, बासौनी, जेबरा, कुंवरखेड़ा, सिमराई, गुढ़ा, पुरा भगवान, खेड़ा राठौर, महुआशाला, गोहरा, रानी पुरा, नंदगवां, बिट्ठौना, प्यारमपुरा, मुकुटपुरा, हतकांथ, नावली, कोरथ, कमोनी, उदयपुर खुर्द आदि गांव प्रभावित होने की आशंका है। इन गांव में 20 हजार से अधिक आबादी है।
जहां चंबल में बाढ़ की आफत से हड़कंप है, वहीं यमुना से राहत की खबर है। बाह क्षेत्र में सोमवार को यमुना जलस्तर तीन फुट घट गया है। यहां करीब 33 गांव यमुना किनारे बसे हैं। बाढ़ नियंत्रण कक्ष के अनुसार वॉटर वर्क्स आगरा में यमुना जलस्तर 488.60 फुट है। 495 फुट पर लाल निशान है। एक महीने तक चंबल और यमुना में बाढ़ का खतरा रहता है।