Sunday, August 17, 2025
- Advertisement -

असंसदीय शब्दों की सूची और मैं


संतोष दिवाकर |

दफ्तर से जब घर लौटा और अपने घर के संसद में आया तो पत्नी बोली-संसद में बहुत से शब्दों के प्रयोग पर रोक लगा दी गई है और उन शब्दों को असंसदीय करार दिया गया है। घर में सासू मां भी यदाकदा मुझे आलसी, निकम्मा आदि शब्दों से संबोधित करती रहती हैं, मैं सोच रही हूं कि इन शब्दों को भी परिवारिक असंसदीय शब्दों की सूची में डाल दिया जाए, क्योंकि अब तक तो इन शब्दों को बोलना सासू मां के एकाधिकार में था।

मैंने कहा संसद में इन शब्दों पर रोक लगी है वह तो उन वैधानिक चेतावनी के समान है-सिगरेट एवं शराब का सेवन हानिकारक है, फिर भी बाजार में उपलब्ध है और आप सेवन करने को स्वतंत्र हैं; वैसे ही लगभग 1500 शब्द असंसदीय शब्दों की सूची में हैं। उन शब्दों का प्रयोग करने पर उन शब्दों को संसद की कार्यवाही में शामिल किया जाएगा या नहीं यह संसद पर निर्भर करता है। वैसे घर में यदि असंसदीय शब्द का प्रयोग हो जाता है तो शीत युद्ध का माहौल बन जाता है। एक बार मैंने अपनी साली साहिबा को उनके शादी के बाद डार्लिंग शब्द से संबोधित किया, जो कभी उनके शादी से पहले मेरा उनके लिए संबोधन था, तो साली उखड़ गई और बोली जीजा जी अब मेरी शादी हो चुकी है इसलिए अब यह शब्द आपके लिए असंसदीय हो गया है।

यह तो हुई पत्नी/साली की बात, अब बेटी बोली-देखिए पापा, बगल वाली आंटी बैठी रहती हैं और मम्मी मुझे कुछ-कुछ बोलती रहती हैं। मसलन कुछ नहीं करती है, भर दिन घर में बैठी रहती है। आप ही बताइए पापा, आंटी की नजर में हमारी क्या इज्जत रह जाती होगी? इन शब्दों को तो अब पारिवारिक संसद की असंसदीय शब्दों की सूची में डाल देनी चाहिए।

इतने में बेटा आकर टपक पड़ा वो बोला, पापा-पापा दादा जी मुझे कहते हैं बिल्कुल अपने बाप पर गया है कुछ नहीं करता है, बताइए मैं क्या करूं? मेरी इज्जत का तो उन्होंने फलूदा बना दिया। मेरे दोस्तों के सामने ऐसा कहा, बताइए मेरी क्या इज्जत रह गई? यह बात हो ही रही थी कि इतने में मेरे दिलबर राजा साला साहब आ गए। उन्होंने कहा जीजा जी रिश्ते में तो मैं आपका साला लगता हूं लेकिन आप साला मत बोलिए, देखते नहीं भारतीय राजनीति में इतने सालों में कितने सालों ने जीजा की लुटिया डुबो दी।

इधर मोहल्ले के छुटभैया नेता बोल रहे हैं-देखो अब संसद में तानाशाह, निकम्मा, चोर-चोर मौसेरे भाई जैसे शब्दों पर रोक लग गई है,असंसदीय हो गया है भाई! अब तो हमलोगों पर कुछ दया करो और ऐसे वैसा उपाधियां न दिया करो। लेकिन मजेदार बात यह है कि जिस तरह फगुआ में बुढ़वा देवर लागे उसी तरह होली में ये सारे असंसदीय शब्द संसदीय हो जाते हैं और विपक्षी दल होली की आस में रहते हैं कि कब होली आए और हमें भी इन असंसदीय शब्दों को संसदीय रूप में

बोलने का मौका मिल जाए

भूतपूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणव मुखर्जी ने महामहिम शब्द के प्रयोग पर रोक लगा दी थी, महिमामंडित करने वाले शब्दों पर रोक लगाई और लोगों के साथ समानता का बोध हो, दूसरे शब्दों में कहें तो उन्होंने ने महामहिम शब्द को असंसदीय करार दिया।

असंसदीय शब्दों और सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग को रोकने का प्रयास जारी है, सफलता मिलती है तो संसद भवन का माहौल स्वस्थ हो जाएगा और दूसरी ओर हमारी पृथ्वी माता भी स्वच्छ हो जाएगी।


spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Saharanpur News: फील्ड ऑफिसर पर 1.53 लाख के गबन का आरोप, सहारनपुर में फाइनेंस कंपनी ने कराई एफआईआर

जनवाणी संवाददाता | सहारनपुर: महिलाओं को लोन उपलब्ध कराने वाली...

Elvish Yadav: एल्विश यादव के घर के बाहर बरसीं गोलियां, पिता ने बताई पूरी घटना

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img