Tuesday, August 12, 2025
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सुईं और तलवार


एक बहुत ही बहादुर राजा था, परंतु उसमे अहंकार जैसा दुर्गुण भी था। उसे किसी से पता चला कि अगर वह बाबा फरीद की शरण में जाए तो उसके व्यवहार में परिवर्तन आ सकता है। राजा ने बाबा फरीद से मिलने का फैसला किया।

वह बाबा फरीद के लिए उपहार स्वरूप एक बड़ी ही कीमती और नायाब तलवार लेकर गया। जब वहां पहुंचा तो बाबा के शिष्यों ने बाबा को सूचित किया कि कोई राजा बहुत दूर से मिलने आया है। राजा को बुलाया गया। राजा ने बड़े सलीके से कहा, यह भेंट मैं विशेषकर आपके लिए लाया हूं।

तलवार को देखकर बाबा फरीद ने कहा, राजन, मैं तुम्हारा बहुत आभारी हूं कि तुम मेरे लिए इतनी कीमती और नायाब भेंट लेकर आए हो। परंतु यह मेरे लिए किसी काम की नहीं है। अगर तुम कुछ देना ही चाहते हो तो उपहार में मुझे एक सुई दे दो। वह मेरे लिए सैकड़ों तलवारों से ज्यादा मूल्यवान होगी।

यह सुनकर राजा बहुत हैरान हुआ। उसने पूछा, बाबा, भला एक सुई सैकड़ों तलवारों का मुकाबला कैसे कर सकती है? बाबा बोले, तलवार सिर्फ लोगों को मारने-काटने का ही काम कर सकती है। इसके अलावा अगर हम चाहें भी तो तलवार से कोई काम नहीं ले सकते हैं? इसके विपरीत एक सुई फटे-कटे कपड़ों को जोड़ देती है।

अब आप ही बताएं कि तोड़ने वाला श्रेष्ठ है या जोड़ने वाला? तलवार रूपी अहंकार श्रेष्ठ है या सुई रूपी विनम्रता? राजा समझ गया कि बाबा फरीद का इशारा किस ओर है। राजा को अहसास हो गया कि आज उसके जीवन की दिशा बदल गई है।

राजा, बाबा को प्रणाम करके बोला, आपने तो मेरी आंखे खोल दी। आज के बाद मैं हमेशा लोगों को जोड़ने के लिए काम करूंगा। अपने अहंकार को त्याग कर, पूर्ण समर्पण के साथ जनता की सेवा करूंगा। राजा ने बाबा के सामने ही तलवार फेंक दी।

प्रस्तुति: राजेंद्र कुमार शर्मा


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