Wednesday, December 18, 2024
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पांच साल पुराने पौने छह लाख बैनामों की शुरू हुई जांच

  • 600 से ज्यादा लोगों ने रिकवरी की रकम भी जमा कर दी

जनवाणी संवाददाता  |

मेरठ: स्टांप घोटाले को लेकर मेरठ में पिछले पांच साल पुराने पौने छह लाख बैनामों की जांच शुरू हो गई है। इससे पहले तीन साल पुराने बैनामों की जांच में 750 करोड़ का घोटाला सामने आया है। जिससे 997 लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है। 600 से ज्यादा लोगों ने रिकवरी की रकम भी जमा कर दी है। एआईजी स्टांप ज्ञानेंद्र कुमार का कहना है कि मेरठ में छह उपनिबंधक कार्यालयों में पिछले पांच साल पुराने बैनामों की जांच के आदेश दिए गए हैं। इससे पहले तीन साल के बैनामों की जांच की गई थी। जिसमें तीन लाख बैनामों को खंगाला गया था।

मेरठ में स्टांप घोटाले की जांच लखनऊ से लेकर मेरठ के कई प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी कर रहे हैं। हर जांच में यह सामने आ रहा है कि उपनिबंधक कार्यालय में मौजूद तत्कालीन उपनिबंधक अधिकारियों ने फर्जी स्टांप पेपर से बैनामा कैसे करा दिया। फर्जी स्टांप पेपर उनकी पकड़ में क्यों नहीं आए। 25-25 हजार के स्टांप पेपर नीचे क्यों लगाए गए। आॅनलाइन स्टांप पेपर उपर लगाकर बैनामे कराए गए। सारे मामले की परत परत खुलती जा रही है। उन्होंने कहा कि स्टांप पेपर पर कोषागार के साइन लोगों बना होता है।

किसी भी तत्कालीन उपनिबंधक अधिकारी ने कोषागार के लोगों का मिलान नहीं किया। फर्जी स्टांप से बैनामा करा दिया गया। इसी मामले को लेकर अब पांच साल पुराने बैनामों की जांच के आदेश हो गए हैं। जिसमें सामने आएगा कि पिछले पांच साल पहले तो फर्जी स्टांप से बैनामा तो नहीं कराया गया। इससे पहले एआईजी स्टांप तीन साल पहले बैनामों की जांच करवा चुके हैं। जिसमें 750 करोड़ के फर्जी स्टांप पेपर मिले थे।

बिल्डरों को नहीं मिलेगी मुकदमे से राहत

एआईजी स्टांप ज्ञानेंद्र कुमार का कहना है कि 997 लोगों पर मुकदमा दर्ज है। उन्होंने कहा कि जो व्यापारी रिकवरी की रकम जमा करवा रहा है। उससे मुकदमें से राहत मिल सकती है। अब तक 600 से ज्यादा व्यापारी रिकवरी की रकम जमा करा चुका है। उन्होंने कहा कि व्यापारी से पेनाल्टी के सिर्फ 500 रुपये ही लिए जा रहे हैं। इससे ऊपर की लगनी वाली पेनाल्टी माफ कर रखी है। उन्होंने कहा कि सरकार का रुपया जमा ही करना पड़ेगा। मगर ऐसे बिल्डरों को राहत नहीं मिलेगी। जिसने जानबूझकर फर्जी स्टांप पेपरों से बैनामे कराए हैं।

एसआईटी कर रही मामले की जांच

मेरठ में 750 करोड़ से ज्यादा के हुए स्टांप घोटाले की जांच एसएसपी डा. विपिन ताडा की एसआईटी टीम कर रही है। अब तक टीम ने स्टांप घोटाले को लेकर कई चौकाने वाले खुलासे कर दिए हैं। उपनिबंधक विभाग की तरफ से दर्ज कराए गए साढ़े नौ मुकदमों की एफआईआर की कॉपी भी निकलवा ली है। एसआईटी टीम का मानना है कि कई बिल्डरों से नकली बैनामा करने वालों से सेटिंग थी। उनके यहां से जमीन खरीदने वालों के बैनामे कराए गए। आॅनलाइन की जगह 25-25 हजार के नकली स्टांप पेपर लगाकर बैनामे कराए। जिससे कुछ कमिशन बिल्डरों को भी दिया गया।

दीप अहलावत बने खेल विश्वविद्यालय के पहले कुलपति

मेरठ/सरधना: यूपी के पहले खेल विवि मेजर ध्यानचंद खेल विवि में बतौर कुलपति मेजर जनरल दीप अहलावत की नियुक्ति से खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों की उम्मीदों को चार चांद लग गए हैं। मेजर जनरल दीप अहलावत एक खिलाड़ी के दौर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घुड़सवारी में देश का नाम रोशन कर चुके हैं। विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित दीप कुमार अहलावत किसी परिचय के मोहताज नहीं है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 170 से ज्यादा मेडल जीत चुके दीप को 2005 में उनकी खेल उपलब्धियों के लिए अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया। अहलावत बुसान (2002) और दोहा (2006) एशियाई खेलों में देश के लिए मेडल जीत चुके हैं।

एक खिलाड़ी के अलावा दीप पिछले दो दशक से घुडसवारी की नवोदित प्रतिभाओं को भी संवारने के कोचिंग वर्क को भी बखूबी अंजाम दे रहे हैं। जनवाणी से बातचीत में मेजर जनरल दीप अहलावत ने इस नियुक्ति पर खुशी का इजहार करते हुए कहा कि उनका दायित्व और बढ़ गया है और वह भरपूर कोशिश करेंगे कि यूपी सरकार द्वारा दी गई इस जिम्मेवारी पर खरे उतरें। दीप का परिवार सेना की सेवाओं में समर्पित रहा है। दीप अहलावत का बेटा यशदीप अहलावत भी मेजर के रूप में देश को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। दीप सगर्व बताते हैं कि उनकी यश के रूप में यह पांचवीं पीढ़ी हैं जो भारतीय सेना को समर्पित है।

खेल विश्वविद्यालय का 40 प्रतिशत काम पूरा

क्षेत्र के सलावा गांव में बन रहे मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। अब तक करीब 40 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो जनवरी 2022 को सलावा में खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया था। करीब 91.38 एकड़ में बन रहे विवि का निर्माण करीब 700 करोड़ रुपये की लागत से किया जाना है। शुरुआती समय में कागजी कार्यवाही के चलते यूनिवर्सिटी का काम रुका रहा। मगर वर्तमान में निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।

लोक निर्माण विभाग की ओर से रांची की कंपनी दीपांशु प्रमोटर व बिल्डर द्वारा विवि का निर्माण कराया जा रहा है। जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर ट्रैक व स्टेडियम में एथलेटिक्स के साथ ही फुटबाल समेत कई खेल कराए जा सकेंगे। विश्वविद्यालय में दो तरह की दर्शक दीर्घा तैयार कराने की योजना है। वर्तमान में प्रोजेक्ट का करीब 40 प्रतिशत कार्य पूरा किया जा चुका है। सरकार द्वारा जारी समय के अनुसार कंपनी को अगस्त 2025 तक विवि का कार्य पूरा करना है। फिलहाल विवि की बिल्डिंग निर्माण का कार्य तेजी से किया जा रहा है।

विवि में ये रहेंगी विशेषताएं

खेल विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार बनाया जा रहा है। जो दो विशाल कॉम्प्लेक्स के बीच होगा। इसके अलावा प्रशासनिक ब्लॉक, एकेडमिक ब्लॉक, क्लास रूम, कॉम्प्लेक्स, सेंट्रल लाइब्रेरी, अधिकारियों व कर्मचारियों के आवास, गर्ल्स व ब्वायज हॉस्टल, विशाल स्टेडियम, फुटबॉल ग्राउंड, फैसिलिटी सेंटर, इनडोर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के साथ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की सुविधा रहेगी। आउटडोर गेम्स के लिए 20 से 25 हजार और इंडोर गेम्स के लिए करीब पांच हजार की क्षमता वाले दर्शक दीर्घा बनाए जाएंगे। इतना ही नहीं ओलंपिक आकार के स्वीमिंग पूल, साइकिल ट्रैक, गंगनहर में राफ्टिंग, रोविंग, नौकायान खेलों का प्रशिक्षण, कुश्ती, खो-खो, हॉकी, भारोत्तोलन, वालीबॉल, ट्रैक एंड फील्ड, मल्लखंभ आदि खेलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

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