Monday, January 20, 2025
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साढ़े नौ घंटे तक लुकाछिपी का खेल

  • वन विभाग और रेस्क्यू टीम को खूब छकाया
  • ट्रेंकुलाइजर देने पर हुआ बेहोश, दिल्ली की एक्सपर्ट टीम ने पकड़ा
  • प्रारंभिक तौर पर लगाए गए जाल को तोड़कर निकल गया था तेंदुआ
  • तेंदुए को चिड़ियापुर के रेस्क्यू सेंटर ले जाया जाएगा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: ऐसा लगता है कि मेरठ से तेंदुआ का रिश्ता बहुत मजबूत हो गया है। क्योंकि तेंदुए को पता है कि वन विभाग मेरठ की टीम उसे पकड़ने में पहले की तरह नाकामयाब साबित होगी। जिस तरह से सुबह से तेंदुए ने वन विभाग के विशेषज्ञों की टीम को छकाया और जब वन विभाग टीम ने हाथ खडेÞ कर दिए, तब हर बार की तरह दिल्ली से दो टीमों को बुलाया गया। तब तेंदुए का रेस्क्ूय किया। करीब नौ घंटे की मशक्कत के बाद आखिरकार तेंदुआ को दिल्ली की एक्सपर्ट टीम तेंदुए को पिंजरे में कैद करने में कामयाब हो गई। इसके बाद ही पल्लवपुरम के लोगों ने राहत की सांस ली।

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तेंदुआ आया-आया का शोर मेरठ में दो-तीन साल में सुनाई देता रहता है। सबसे पहले 1994 में आबूलेन की केले वाली कोठी में तेंदुआ आया था, जिसके बाद दिनभर की मशक्कत के बाद तेंदुए को पकड़ कर लाया गया था। उस समय भी पल्लवपुरम की भांति हजारों लोग केले वाली कोठी के पास एकत्रित हो गए थे। सदर और लालकुर्ती पुलिस ने भीड़ को संभाला था।

उसके बाद फिर से तेंदुआ ने 2014 और 2018 में मेरठ कैंट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। मेरठ शहर में 2018 के बाद शुक्रवार को एक बार फिर तेंदुए ने एंट्री की। भले यह घटना चार साल बाद हुई, मगर देखने में बिल्कुल पुरानी घटना की पुनरावृत्ति लगी, लेकिन जो हालत तब थे, वही अब भी दिखे। क्योंकि मेरठ वन विभाग टीम के पास तेंदुआ पकड़ने के लिए न तो तब पर्याप्त संसाधन थे और न ही वर्तमान में।

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घंटों शहर में तेंदुए के तांडव के बाद बिजनौर और दिल्ली से टीम तेंदुआ पकड़ने पहुंची। मगर तब तक जंगल में आग की तरह शहर में तेंदुए का आतंक फैल चुका था। कुल मिलाकर पूर्व में तेंदुआ घुसने की दो घटना होने के बाद भी वन विभाग ने सबक नहीं लिया और एक बार फिर स्थानीय वन विभाग को बाहर से टीम बुलानी पड़ी। वहीं बीते वर्ष नवंबर माह में भी हस्तिनापुर सेंचुरी क्षेत्र के गांव नीमका-कुंडा के जंगल में घायल तेंदुआ मिलने से दहशत फैल गई थी।

उसकी गर्दन और शरीर के अन्य हिस्सों में चोट के निशान थे। वन विभाग की टीम ने ट्रेंकुलाइजर गन ने उसे बेहोश किया और इलाज के बाद मेरठ ले गए। बाद में उसे कड़ी सुरक्षा में लायन सफारी इटावा भेज दिया है। जैसे पहले दो बार लापरवाही हुई थी वैसे ही शुक्रवार को भी दिख रही थी। पहले भी कैंटोनमेंट अस्पताल का शीशा तोड़कर भागा था तेंदुआ। आर्मी अस्पताल से भी ट्रेंकुलाइजर करने के बाद भी दीवार कूदकर भाग गया था और बाद में जेसीओ मेस से पकड़ा गया था। आखिरकार वन विभाग कब संसाधनों से पूरी तरह लैस होगा यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

इनका है कहना

डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि तेंदुए के रेस्क्यू के लिए दिल्ली से दो टीमों को बुलाया गया था और मेरठ से सात टीम रेस्क्यू में लगाई गई थी। तेंदुए को डा. आरके सिंह ने दो ट्रेंकुलाइजर इंजेक्शन लगा तेंदुए को बेहोश कर पकड़ा। उन्होंने बताया कि तेंंदुए को कोई चोट नहीं लगी थी उसको सुरक्षित पकड़ा गया है। शनिवार को तेंदुए को राजाजी नेशनल पार्क हरिद्वार से आगे शिवालिक के जंगल में।

वन क्षेत्र घटने से शहर में आ रहे जंगली जानवर

शहरी क्षेत्र की बढ़ती आबादी अब वन क्षेत्र को भी नुकसान पहुंचाने लगी है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण शुक्रवार को देखने को मिला। शुक्रवार को दो जंगली जानवर शहरी क्षेत्र में घुस आये। वन्य क्षेत्र लगातार घटता जा रहा है जिससे जंगली जानवारी परेशान हैं। वह अपने खाने पीने की तलाश में शहरी क्षेत्र तक निकल आते हैं लेकिन इस विषय में गंभीरता से विचार नहीं किया जा रहा है। हस्तिनापुर सेंच्यूरी की बात करें तो अब तक आधे से ज्यादा वन क्षेत्र घट चुका है। लगातार मानव और इंडस्ट्रीयल हस्तक्षेप के बाद क्षेत्र घटता जा रहा है जिस कारण जंगली जानवर परेशान हैं।

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शहरी क्षेत्र की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। मानव की दखलांदाजी वन क्षेत्र में बढ़ती जा रही है। जिस कारण वन क्षेत्र घटता जा रहा है जो जंगली जानवारों के लिये ठीक नहीं है। शुक्रवार को मेरठ में पल्लवपुर में तेंदुआ और रोहटा रोड पर बारहसिंघा घुस आया जो किसी के लिये भी ठीक नहीं है। लगातार घटता वन क्षेत्र एक चिंता का विषय बनता जा रहा है।

एक तेंदुए को चाहिए 18 वर्ग किमी का क्षेत्र

चौधरी चरण सिंह विवि के जन्तु विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. नीलू जैन ने बताया कि एक लैपर्ड को रहने के लिये 18वर्ग किमी का क्षेत्र चाहिए। इतने में वह घूम सकता है रह सकता है लेकिन वर्तमान में घटता वन क्षेत्र और मानव की वन क्षेत्र में दखलांदाजी चिंता का विषय बनी हुई है। इंसान और जानवारी के बीच द्वंद बढ़ता जा रहा है जो एक बड़ा कारण है जानवरों के शहरी क्षेत्र में आने का। जंगली जानवरों को अपना एक निश्चित स्थान चाहिए होता है लेकिन आज के समय में उनकी ही जगहों पर कब्जा किया जा रहा है जिस कारण वह शहर की ओर भाग रहे हैं।

चेहरे पर खौफ, फिर भी तेंदुआ देखने को उमड़ी भीड़

शुक्रवार को पल्लवपुरम में तेंदुआ आया, तेंदुआ आया का शोर सुबह से ही शुरू हो गया था। दोपहर होते-होते दूरदराज से लोग तेंदुए को देखने के लिए पल्लवपुरम फेज-दो में पहुंचना शुरू हो गए। वहीं, तेंदुए को देखने के लिए जहां युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक में होड़ मची हुई थी। वहीं, इससे बच्चे भी अछूते नहीं रहे। सड़क पर भीड़ बढ़ती देख बार-बार पुलिस लोगों को खदेड़ने में लगी हुई थी। इतना ही नहीं घरों की छतों पर भी तेंदुए को देखने के लिए भीड़ लगी हुई थी। अधिक भीड़ बढ़ती देख पुलिस ने रस्सा लगाकर भीड़ को रोकने का प्रयास भी किया।

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खाली झाड़ियों के बीच तेंदुआ छिपा हुआ था। प्लाट के चारों ओर वन विभाग की टीम जाल लगाकर तेंदुए को बेहोश करने का काम कर रही थी और लोगों की भीड़ तेंदुए को देखने के लिए बार-बार सड़कों पर आ रही थी और अपने मोबाइल के कैमरे से तेंदुए को कैद करने में लगी हुई थी। वहीं स्कूल की छुट्टी होने के बाद छोटे-छोटे बच्चें भी तेंदुए को देखने के लिए बार-बार सड़क पर पहुंच रहे थे। तेंदुए के खाली प्लाट में छुपे होने की वजह से आसपास के लोगों में दहशत बनी हुई है। क्योंकि उनको लग रहा है कि कही तेंदुआ प्लाट से निकलने के बाद उनके घरों में घुस सकता है। ऐसे में आसपास के घरों के लोग अपने घरों में दुबके हुए बैठे है।

मोबाइल से बन रही वीडियो

हालात ये थे कि मकानों की छतों पर लोग खड़े थे और पुलिस लोगों को बार-बार मौके से भगाने का प्रयास कर रही थी। मगर लोगों में डर के साथ-साथ तेंदुए को बाहर निकलता देखने और उसकी वीडियो मोबाइल से बनाने की चाह थी। इतना ही नहीं सुबह के समय तेंदुआ पकड़ने जाने के बाद भागने की वीडियो को लोगों ने बनाकर खूब वायरल भी किया।

महिलाएं जप रही ऊ नम: शिवाय और जय माता रानी

तेंदुए के सड़क पर दौड़ने के साथ ही अपनी घरों की छतों पर खड़ी महिलाओं की चीख-पुकार भी खूब सुनाई दी। इस दौरान महिलाएं अपने परिवार के सदस्यों को जहां बचने के लिए कह रही थी वहीं वह लगातार ऊ नम: शिवाय और जय माता रानी के जयकारे लगा रही थी।

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