- किसान हो जाएं सावधान: ज्यादा यूरिया जड़ों को करता है कमजोर, जिससे उत्पादन होता है प्रभावित
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: किसानों के लिए काम की खबर है। अगर आप मानक से ज्यादा यूरिया का खेती में प्रयोग कर रहे हैं तो ये खतरनाक है। इससे उत्पादन पर असर पड़ रहा है। ज्यादा यूरिया जड़ों को करता है कमजोर जिससे उत्पादन होता प्रभावित। फसलों में यूरिया की खपत लगातार बढ़ रही है। किसान अंधाधुंध तरीके से कीटनाशकों और यूरिया डाल रहे हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादा यूरिया डालने से जमीन की उर्वरा शक्ति पर तो विपरीत असर पड़ ही रहा है।
साथ ही खाद्य फसलों पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। इस सीजन में फसलों की बिजाई के समय डीएपी और उसके बाद यूरिया की किल्लत रही है। वहीं, कुछ किसान एडवांस में खाद खरीद कर पूरे सीजन का स्टाक कर लेते हैं, वहीं बाकी किसानों को खाद नहीं मिल पाती। जिले में करीब एक लाख से अधिक हेक्टेयर में गेहूं की फसल है। फरवरी के पहले पखवाड़े तक गेहूं की फसल में यूरिया की जरूरत पूरी हो जाती है, लेकिन काफी किसान बालियां आने के बाद भी यूरिया डालते रहते हैं।
किसान ज्यादा उत्पादन के चक्कर में हर साल यूरिया की डोज बढ़ा रहे हैं। कृषि विभाग के अनुसार गेहूं की फसल में प्रति एकड़ दो से तीन यूरिया के बैग पर्याप्त होते हैं, लेकिन काफी किसान चार से पांच बैग यूरिया डाल रहे हैं। ज्यादा यूरिया फसल के पौधे की जड़ खत्म कर देता है। आंधी या तेज बरसात आती है, तो जड़ कमजोर होने की वजह से गेहूं की फसल का पौधा जमीन पर गिर जाता है।
जमीन पर गिरने से गेहूं की बाली काली पड़ने लगती है और इससे उत्पादन भी घटता है। अक्सर गेहूं की फसल के पकने के समय ये दिक्कत आती है। वहीं, मार्च में गेहूं के पौधों पर बालियां आ जाती है, जिससे बोझ बढ़ जाता है। जब सिंचाई करने के बाद अगर तेज हवा चलती है, तो फसल गिरने का डर रहता है। जहां यूरिया खाद ज्यादा डाली गई है, वो फसल जल्दी गिरती है।
मिट्टी-पानी की जांच करा कर संतुलित मात्रा में दें पोषक तत्व
कृषि विभाग के अधिकारी प्रमोद सिरोही ने बताया कि किसानों को मिट्टी-पानी की जांच करानी चाहिए। ताकि पता लग सके कि जमीन में कौन से तत्वों की कमी है। उसी के अनुसार पोषक तत्व डालें, लेकिन बहुत से किसान ऐसा नहीं करते, अगर फसल कमजोर दिखे या पौधे पीले दिखाई दे रहे हैं, तो यूरिया डाल देते हैं। जिससे भूमि को काफी नुकसान हो रहा है। साथ ही इससे फसल पर लागत भी बढ़ रही है। अगर सभी तत्व संतुलित मात्रा में डालते हैं, तो इससे उत्पादन भी बढ़ेगा और लागत घटेगी।
गर्मियों में खेतों की निरंतर करें जुताई, उपजाऊ होगी मिट्टी
भीषण गर्मी में किसान अपने खेतों की मिट्टी को उपजाऊ बना सकते हैं। गर्मियों के दिनों में निरंतर होने वाली जुताई के बाद बोयी जाने वाली फसल में अच्छा उत्पादन होता है। किसानों को गर्मियों में अधिक जुताई के लिए कृषि विभाग जागरूक करेगा। इस संबंध में कृषि विभाग की ओर से निर्देश जारी कर दिए गए हैं। कृषि अधिकारी ने जिले में किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करने के निर्देश दिए हैं।
जिला कृषि अधिकारी प्रमोद सिरोही ने बताया कि गेहूं की कटाई के बाद खेत खाली हो जाते हैं। गर्मियों के दिनों में इन खेतों की निरंतर जुताई होने से मिट्टी उपजाऊ हो जाती है। मिट्टी के अंदर छिपे हुए हानिकारिक कीड़े-मकोड़े, उनके अंडे, लार्वा, प्यूपा और खरपतवार के बीज गहरी जुताई के बाद सूर्य की तेज किरणों के सीधे संपर्क में आने से नष्ट हो जाते हैं। इससे फसलों में कीटनाशक एवं खरपतवारनाशी रसायनों का कम उपयोग करना पड़ेगा।