Sunday, July 20, 2025
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Iran-Israel War: पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच भारत ने बदली रणनीति, रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ाया

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। ईरान और इस्राइल के बीच जारी युद्ध में अब अमेरिका की सीधी एंट्री हो चुकी है। रविवार तड़के अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिससे क्षेत्र में हालात और ज्यादा गंभीर हो गए हैं। जवाब में ईरान ने भी पलटवार की धमकी दी है, जिससे पश्चिम एशिया में व्यापक युद्ध छिड़ने की आशंका गहरा गई है। इस तनाव का असर वैश्विक स्तर पर खासकर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ने की संभावना है। भारत ने इस संभावित संकट को पहले ही भांपते हुए अपनी रणनीति में बदलाव किया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत ने जून महीने में रूस और अमेरिका से कच्चे तेल का आयात काफी हद तक बढ़ा दिया है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने सिर्फ रूस से इतना तेल मंगाया है, जो पश्चिम एशिया और खाड़ी देशों से कुल मिलाकर खरीदे गए तेल की मात्रा से भी अधिक है।

तेल खरीद में भारी उछाल

आंकड़ों के मुताबिक भारत ने जून महीने में रूस से 20-22 लाख बैरल प्रति दिन के हिसाब से कच्चे तेल की खरीद की है। यह बीते दो साल में सबसे ज्यादा है। मई माह में भारत ने रूस से तकरीबन 11 लाख बैरल प्रति दिन के हिसाब से कच्चा तेल खरीदा था। भारत पहले रूस से अपनी जरूरत का महज एक प्रतिशत तेल ही आयात करता था, लेकिन अब इसमें भारी बढ़ोतरी हुई है और अब भारत अपने कुल तेल आयात का 40-44 प्रतिशत तेल रूस से मंगाता है।

बढ़ सकते हैं तेल के दाम

जून में पश्चिम एशिया में बढ़े तनाव के चलते भारत ने अपनी आयात रणनीति में बदलाव किया है। भारत ने जून माह में इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत से कुल करीब 20 लाख बैरल प्रति दिन तेल की खरीद की है। हालांकि तनाव बढ़ने से तेल के दाम बढ़ सकते हैं। ईरान ने धमकी दी थी कि अगर अमेरिका इस्राइल के साथ उसके युद्ध में शामिल हुआ तो वे होर्मुज जलडमरूमध्य में व्यापारिक जहाजों पर हमले करेंगे। भारत का 40 प्रतिशत तेल अभी भी होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर भारत पहुंचता है। ईरान के समर्थन में हूती विद्रोही भी लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बना सकते हैं। जिससे खाड़ी के देशों से तेल आयात को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। यही वजह है कि भारत ने खाड़ी देशों पर अपनी तेल निर्भरता को घटाया है।

खाड़ी देशों पर ही निर्भर नहीं है भारत

बता दें कि, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक है और पूर्व में भारत अपने तेल आयात का अधिकतर हिस्सा खाड़ी के देशों से आयात करता था, लेकिन रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद, जब रूस ने भारत को तेल खरीद पर भारी रियायत दी तो भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया। अब भारत अपने तेल आयात के लिए खाड़ी देशों पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि अब हम रूस के साथ ही अमेरिका, लैटिन अमेरिकी देशों से भी कच्चे तेल की खरीद कर रहे हैं। हालांकि अमेरिका से हमें तेल आयात महंगा पड़ता है। कैपलर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने जून में अमेरिका से हर हिन 4.39 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद की, जबकि पूर्व में यह आंकड़ा 2.80 लाख बैरल प्रति दिन था। भारत करीब 51 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद करता है, जिससे भारत की रिफाइनरियों में पेट्रोल और डीजल अलग किया जाता है।

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