- मेडा के अफसरों से सांठगांठ के चलते ही भूमाफिया बना बिल्डर
- बिना नक्शा पास किए ही बना दिया रामाकुंज कॉम्प्लेक्स
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कोचिंग से अपना सफर तय करने वाला भूमाफिया अनिल चौधरी आखिर कैसे अरबपति बिल्डर बन गया? इस बात से हर कोई हैरान है। बिल्डर ने आज तक मेडा से बिना नक्शा पास कराए कॉम्प्लेक्स बनाए और करोड़ों की कमाई कर डाली, लेकिन बिल्डर पर आज तक किसी की कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं हो पायी। रसूखदार लोगों में उठना बैठना बिल्डर का शगल है। शायद यही कारण है कि वह कार्रवाई से बचता रहा है। मेडा के अधिकारी भी इस बिल्डर के सामने नतमस्तक है।
बिल्डर के अभी भी अरबों रुपये कीमत पर कॉम्प्लेक्स बनकर खड़े हैं। सभी बिना नक्शे के तैयार किये गए हैं। दबाव ज्यादा पड़ने पर मेडा ने इन कॉम्प्लेक्स को सील कर दिया। बिल्डर को अभी भी इस बात की उम्मीद है कि उनके कॉम्प्लेक्स का निर्माण देर सवेर शुरू हो ही जाएगा। भले अभी मेडा से सेटिंग नहीं हो पा रही पर जल्दी ही सेटिंग की जुगत में बिल्डर लगा है। हैरत की बात तो यह है कि एक छोटे से गांव दौराला में कोचिंग चलाकर आजीविका चलाने वाला आज बड़ा बिल्डर बन गया। बिल्डर के पल्लवपुरम फेज-2 में टी-31 पर मेडा ने सील लगा रखी है। यहाँ आवासीय क्षेत्र में व्यावसायिक निर्माण किया जा रहा था।
इसके चलते ही सील लगी। पीएसी नाले पर भी बिल्डर द्वारा कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया जा रहा था। यहां भी मेडा ने सील लगा दी। बाइपास पर श्रीराम कॉलेज जो की एजुकेशन लैंड है, वहां भी फ्लैट बनाये जा रहे थे, पर मेडा ने यहां भी सील लगा दी। बिल्डर ने गंगानगर के रक्षापुरम में कॉलोनी विकसित करने के लिए मेडा में सांठगांठ करके अधिकारियों से जमीन अपने नाम छुड़वाई, लेकिन मेडा के वर्तमान वीसी ने उसे निरस्त कर दिया। अगर यह जमीन बिल्डर को मिल जाती तो मोटा फायदा उन्हें मिलता।
अंधेरे में रखते हैं वीसी को ताकि सलामत रहे अवैध निर्माण
मेरठ विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडे अवैध निर्माणों को लेकर बेहद गंभीर हैं। जहां भी उन्हें सूचना मिलती वहां कार्रवाई करने में बिलकुल नहीं चूकते। विगत दिनों या कहें उनके कार्यकाल तमाम सफेदपोशों की अवैध कालोनियों पर बुलडोर चले हैं। लेकिन केवल अनिल चौधरी ही ऐसा बचा नजर आ रहा है कि जिसके अवैध निर्माणों व अवैध कालोनियों को लेकर लगता है इसके कृपा पात्रों में शुमार मेडा के अधिकारी वो सचिव हों या फिर दूसरे अफसर उपाध्यक्ष को लगता है अंधेरे में रखे हुए हैं।
वर्ना कोई वजह नहीं कि प्राधिकरण उपाध्यक्ष ध्वस्तीकरण कार्रवाई ना कराएं। उनके कार्यकाल में अवैध निर्माणों पर जितना काम हुआ है उतना शायद पहले कभी ना हुआ हो। रियल एस्टेट में शहर में जिनके नाम का सिक्का चलता है प्राधिकरण उपाध्यक्ष ने उनकी भी अवैध कालोनियों व निर्माणों पर बुलडोजर चलवाए हैं, लेकिन दौराला के अनिल चौधरी के अवैध निर्माणों पर अभी बुलडोजर चलने बाकि हैं।
जनवाणी ने पूर्व में भी इस भूमाफिया के तमाम अवैध निर्माणों की कुंडली सामने रख दी थी। उपाध्यक्ष अभिषेक पांडे जिस प्रकार से अवैध निर्माणों के खिलाफ सख्त रूख अपनाए हैं वो दिन दूर नहीं जब प्राधिकरण उपाध्यक्ष इसके भी अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलवा देंगे। भले ही प्राधिकरण के किसी भी अफसर का संरक्षण इस भूमाफिया को हासिल हो।
नीचे के अफसरों से सांठगांठ
बिल्डर से भूमाफिया बने अनिल चौधरी की मेडा के नीचे के अफसरों के अच्छी सांठगांठ है। इसके चलते इसने तमाम अवैध कालोनियां काटीं, सोफीपुर हिंदू शमशान घाट में तमाम कायदे कानून ताक पर रखकर बगैर भू-उपयोग परिवर्तित कराए इसने वहां अवैध मार्केट बना डाला। इस अवैध मार्केट की दुकानें सेल करने के लिए तमाम हथकंडेÞ अपना रहा है। यूं कहने को मेडा ने केवल फाइलों मे काम रुकवा दिया है, लेकिन उसके बाद भी वहां काम जारी रहा।
तमााम दुकानों को निर्माण पूरा किया गया। वहां रंगाई पुताई करा दी गयी ताकि इन तमाम अवैध दुकनों के पुराना निर्माण बताकर आंखों में धूल झोंकी जा सके। इतना ही नहीं यूं कहने को यहां मेडा की रोक है, लेकिन अवैध मार्केट में दुकानों की बिक्री जारी है। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी मेडा के अफसरों को नहीं है। इस मेडा के इस जोन के तमाम अधिकारियों को भूमाफिया की कारगुजारियों की जानकारी है,
लेकिन आंखों में डाले गए भ्रष्टाचार के सुरमे के चलते उन्हें कुछ नजर नहीं आता। सोफीपुर के लोगों का यहां तक कहना है कि इस हरे भरे इलाके को कंकरीट के जंगल में तब्दील करने का कम यह भूमाफिया ही कर रहा है। खेतों में अवैध कालोनियां काटी जा रही हैं। अवैध कालोनियों के लिए मिट्टी क अवैध खनन कराया जा रहा है। यह सब दिन के उजाले में हो रहा है।
मवाना में बुलडोजर चल सकता है तो मोदीपुरम में क्यों नहीं?
मेडा के प्रवर्तन दल का बुलडोजर मवाना और तमाम इलाकों में चल सकता है, लेकिन इन अधिकारियों को भूमाफिया अनिल चौधरी के अवैध निर्माण, अवैध कालोनियां और सोफीपुर का हिन्दू शमशान के बराबर में बनाया गया मार्केट नजर नहीं आता। लावड़ रोड पर इसने जितने भी अवैध निर्माण किए हैं वो नजर नहीं आते। जिन अवैध कालोनियों में इसकी काली कमाई लगी है वो नजर नहीं आतीं।