भ्रष्टाचार पर लगातार शिकायत के बाद भी विभागीय अधिकारियों ने नहीं लिया था संज्ञान
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: पहाड़ों पर हो रही भारी बारिश से गंगा जलस्तर में हुई वृद्धि और तेज बहाव के चलते करोड़ों रुपए की लागत से बनी एप्रोच रोड फिर धराशाई हो गई।
ये है पूरा मामला
मेरठ-हस्तिनापुर-बिजनौर से जोड़ने के लिए 2008 में बसपा सरकार ने बिल्कुल गांव के समीप गंगा पर पुल निर्माण शुरू किया। वन विभाग की रोक के चलते पुल निर्माण कार्य सालों लटका रहा और 2020 में उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लिमिटेड के द्वारा तैयार किया गया था।
पूर्व वर्ष में गंगा जल स्तर में हुई वृद्धि के बाद 30 जुलाई को पुल की अप्प्रोच रोड धसने से आवागमन पूरी तरह से बन्द कर दिया गया था। लगभग 6 महीने स्टेट हाईवे 147 बंद रहने के बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा पुल निर्माण कार्य शुरू किया गया।
पुल निर्माण कार्य शुरू हुआ तो ग्रामीणों ने एप्रोच रोड में प्रयोग हो रही घटिया सामग्री की शिकायत आला अधिकारियों से की। लेकिन एप्रोच रोड निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग होता रहा और विभाग के अधिकारी आंखें बंद कर बैठे रहे।
अप्रोच रोड निर्माण के दौरान ग्रामीणों ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री पोर्टल आदि पर भ्रष्टाचार की शिकायत करते हुए एप्रोच रोड बरसात के दौरान होने वाली गंगा जल स्तर में वृद्धि के दौरान एप्रोच रोड के धराशाई होने की शिकायत की लेकिन विभागीय अधिकारियों ने कोई सुधार नहीं किया। जिसके चलते रविवार देर रात गंगा पुल पर बनी एप्रोच रोड फिर धराशाई हो गई।
3 जनपदों के साथ 100 गांवों का आवागमन बाधित
भीकुंड गांव के समीप गंगा नदी पर बना पुल मेरठ बिजनौर और मुरादाबाद कि सीमा को जोड़ने के साथ खादर के लगभग 100 से भी अधिक गांव के आवागमन का माध्यम है जो एप्रोच रोड धराशाई होने के बाद बाधित हो गया।
पूर्व में 6 महीने रहा था बाधित
30 जुलाई 2022 को गंगा जलस्तर में हुई वृद्धि के बाद एप्रोच रोड धराशाई हो गई थी जिसके चलते लगभग 6 महीने आवागमन बाधित रहा और लोगों को अपनी गन्ने की फसल ओने-पौने दामों में बेचनी पड़ी। एप्रोच रोड का निर्माण पूरा हुआ तो लोगों ने राहत की सांस ली।
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