जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: कहानी रीयल है क्योंकि प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। बात पांच साल पहले की है। सादगी पसंद और मृदुभाषी प्रभाकर चौधरी व्यवहार में जहां बहुत ही कोमल हैं वहीं अपराधियों और बदमाशों के खिलाफ बहुत ही सख्त।
बात उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगर कानपुर की है। कानपुर देहात के हेडक्वॉर्टर माती में मंगलवार के दिन दोपहर में पुलिसवाले ऊंघ रहे थे।
करीब 1:30 बजे लखनऊ से आई यूपी रोडवेज की बस से एक फुर्तीला युवक उतरा। पीठ पर बैगपैक लादे हुए। युवक ने टेम्पो पकड़े और अकबरपुर की तरफ रवाना हो गये। आफिस के बाहर जहां सैर सपाटा कर रहे पुलिस कर्मियों को देख हल्का सा मुस्कराये।
वहीं फिर धीरे से उन्होंने बंगले के बाहर खड़े गार्ड से अंदर जाने की बात पूछी तो उसने हाथ ऊठाकर अंदर जाने को कहा और बोला अभी नये एसपी साहब नहीं आये हैं लेकिन तेज तर्रार प्रभाकर चौधरी अंदर चले गये। वहां का माहौल देख वह दंग रह गये। फिलहाल चुप्पी साधे उन्होंने सबकुछ देखा।
तभी स्टेनो ने पूछा आप कौन तो कप्तान ने कहा मैं प्रभाकर चौधरी कानपुर देहात का नया एसपी हूं। इतना सुनते ही पूरे बंगले में खलबली मच गयी।
हर कोई सावधान की मुद्रा में आ गया और नए कप्तान को सलाम किया। एसपी ने कहा- मेरे लिए यह सामान्य सी बात है।
हालांकि, सरकारी सुविधाएं न लेकर आम आदमी की तरह बस से आने पर प्रभाकर चौधरी ने कहा कि यही हमारा अंदाज है। मेरे लिए यह सामान्य बात है। स्टूडेंट लाइफ में दोस्तों के साथ हम ऐसे ही घूमते थे।
फैमिली लखनऊ में थी, तो मैं आराम से बस से कानपुर देहात आ गया। इसके अलावा कुछ महसूस नहीं होता। बता दें, तत्कालीन समय में शासन ने कुछ आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर किए थे जिसमें प्रभाकर चौधरी को बलिया से कानपुर देहात का एसपी बनाकर भेजा गया था।
इस अंदाज ने तो दिल जीता था
क्योंकि परीक्षा लेकर थानेदारों की थी तैनाती
प्रभाकर चौधरी युवा होने के चलते पुलिस महकमे में नए प्रयोग भी करने के लिए जाने जाते हैं। 2010 बैच के आईपीएस देवरिया में बतौर एसपी पोस्टिंग के दौरान उन्होंने जोड़-जुगाड़ की जगह योग्य थानेदारों की तैनाती का सिस्टम तैयार किया। इसके लिए दारोगाओं की परीक्षा ली जाती थी।
मेरिट के आधार पर थाने बंटते थे। किसी नेता विधायक या मंत्री की कोई सिफारिश नहीं चलती थी, जिससे थानों से जनता को काफी हद तक न्याय मिलने लगा था। अब कानपुर देहात में हर ओर प्रभाकर चौधरी की चर्चा हो रही थी।
बलिया में किए गजब के कारनामे, आम जनता में रही खुशी
बलिया में पुलिस कप्तान के रूप में तैनात रहे प्रभाकर चौधरी ने राजनेताओं के झंडे उखाड़कर न्यायप्रिय पुलिस का झंडा गाड़ दिया था। जिसके बाद वे नेताओं, ब्लैकिया व विभाग के कुछ लोगों में कांटे की तरह चुभने लगे थे। वहां उन्होंने ऐसे करतब किये कि आम जनमानस को न्याय मिलने लगा था। जगह जगह चर्चायें शुरू हो गयी थी कि कप्तान साहब है, चिंता मत करो, सबको न्याय मिलेगा। लेकिन वहीं नेताओं मे चर्चा थी कि ज्यादा दिन नही टिकेंगे, इनकी रवानगी जल्द होगी।
देवरिया में गांवों में चौपाल शुरू कराई
देवरिया में रहकर नवनियुक्त पुलिस प्रभाकर चौधरी ने एक नये अंदाज़ में अपने कार्य शुरू किये। लोगों की समस्याओं को परखा। जिसके बाद उन्होंने वहां गांव गांव में चौपाल लगाकर लोगों की समस्याएं सुनने के निर्देश दिये। जिसके बाद उनके निर्देश पर पुलिस गांव गांव में चौपाल लगाकर लोगों को अपने कर्तव्यों का ज्ञान कराकर पुलिस के साथ सहयोग देने व सहयोग लेने का विश्वास देने लगी। लेकिन, नेताओं की गंदी नीतियों को जंग लगाने वाले अपने स्वभाव के चलते वे वहां भी न टिक सके। वहां की जनता को पुलिस से मित्रवत व्यवहार करना व कानून पर विश्वास का पाठ पढ़ाने के बाद वहां से स्थानांतरण हो गया।
कानपुर देहात में साइबर सेल को करेंगे मजबूत
जिले में चार्ज लेने के बाद उन्होंने वार्ता करते हुये बताया कि अपराध के क्षेत्र में साइबर क्राइम दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। जो लोगों के लिये सबसे अधिक खतरनाक है। क्योंकि, इस अपराध में अपराधी का जल्द सुराग लगाना मुश्किल होता है। इसके लिये जल्द एक टीम गठित की जायेगी। जिससे आने वाले पीड़ितों को न्याय मिल सके। बैंक एटीएम द्वारा जनता के साथ टप्पेबाजी की घटनाएं अधिक हो रही है।
जिससे सामान्य व्यक्ति कानून से दूरी बनाने लगता है। पुलिस जनता की सेवक है। जो हमेशा सेवा के लिये तत्पर है। ये बात जिले के सभी पुलिसकर्मी भली भांति समझ ले। प्रभाकर चौधरी का कहना है कि जनपद को अपराध मुक्त करना हमारा पहला दायित्व है। जिसमें जनता से हम साथ देने की अपील करते हैं। साथ ही सभी पुलिस क्षेत्राधिकारी, थानाध्यक्षों व चैकी इंचार्ज को सख्त हिदायत दे दी गयी है कि पीड़ित की समस्या का तत्काल निस्तारण किया जाये, कोई कार्य पेंडिंग नहीं किया जायेगा।