Tuesday, August 12, 2025
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रविवाणी

समाज में बुजुर्गों के प्रति बढ़ता तिरस्कार

रोहित माहेश्वरी हमारा समाज किस दिशा की ओर जा रहा है, विचार करने की जरूरत है, क्योंकि इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि...

नदियों को नालों में बदलता समाज

राजेंद्र सिंह नीर, नारी, नदी के लिए काम करने वाला ‘तरुण भारत संघ’ अब नई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है। नीर से...

बंटवारा धर्म नहीं, धर्मनिरपेक्षता के आधार पर हुआ था

शाहनवाज आलम यह बात एक आम धारणा का रूप ले चुकी है कि देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था। इस धारणा से...

प्रेमचंद ने देख लिया था भारत का भविष्य

प्रेमचंद ने ग्रामीण भारत और किसानों की दुर्दशा पर लगभग आधी सदी पहले लिखा था, ‘जिधर देखिए उधर पूंजीपतियों की घुड़दौड़ मची हुई है।...

सफलता भाग्य नहीं परिश्रम का परिणाम

संजीव ठाकुर जहां सफलता की संभावना एकदम कम तथा न्यून हो और सफलता मिल जाए तो भाग्य को श्रेय दिया जाता है। वास्तव में जो...

प्लास्टिक से विनाश, कागज से समाधान

योगेश कुमार गोयल प्लास्टिक प्रदूषण के विरुद्ध वैश्विक चेतना के प्रतीक और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में प्रतिवर्ष 12...
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