जनवाणी ब्यूरो |
बागपत: देश में जहां कोरोना की बीमारी से लोगों में हडकंप मचा था तो अब उनपर टीबी की बीमारी फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है, क्योंकि ‘सारी’ व आईएलआई रोगी की कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव व पॉजिटिव आने के बाद उनके अंदर टीबी की बीमारी के लक्षण फैलने की आशंका जताई जा रही है। जिसके बाद शासन ने ऐसे सभी रोगी की टीबी बीमारी की जांच कराने का निर्णय लिया है।
प्रदेश में ऐसे एक लाख के करीब रोगी चिह्नित किए गए है और इनमें बागपत जनपद में करीब 791 रोगी है। प्रदेश में सारी रोगी (सांस लेने में दिक्कत) 38224 है तो आईएलआई (इफ्फूएंजा लाइक इनलेस) के 65595 रोगी है और अब इन सभी की टीबी की जांच होगी।
इससे उक्त रोगियों में हडकंप मचा हुआ है, क्योंकि उनको यदि टीबी की बीमारी हुई तो उनको कम से कम छह माह का कोर्स करना होगा और यदि उक्त व्यक्ति मिलती है तो साथ ही उसके परिवार को भी जांच के दायरे में लाया जा सकता है। शासन के आदेश के बाद जिला क्षय रोग विभाग ने अभियान शुरू कर दिया है, ताकि समय रहते टीबी बीमारी का इलाज किया जा सकें।
देश में पहले तो कोरोना की बीमारी ने अपना रूद्र रूप दिखाया है, जिससे प्रदेश के हजारों की संख्या में लोग कोरोना की बीमारी से पीड़ित है। अब कोरोना के रोगी और जांच कराने वाले सारी व आईएलआई रोगी पर टीबी की बीमारी फैलने का खतरा बनता जा रहा है।
यदि इनके अंदर टीबी की बीमारी की पुष्टि होती है तो इससे उनके परिजनों पर भी खतरा मंडरा सकता है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डा. डीएस नेगी द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट में कहना है कि कोविड-19 रोगी की यदि एक बार जांच हो जाए और उसके बाद रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो उसके अंदर टीबी बीमारी के लक्षण पैदा हो जाते है।
इसलिए इनकी जांच कराना अति आवश्यक है। इन दोनों रोगियों में ही टीबी की बीमारी अधिक फैलती है। कोरोना एक ऐसी बीमारी है जो अन्य बीमारी को भी बढ़ावा देती है। इसलिए प्रदेश में एक लाख के करीब लोगों को इसके लिए चिह्नित किया गया है और इसमें बागपत जनपद में मात्र 791 रोगी ही चिह्नित हुए है।
प्रदेश में सारी रोगी (सांस लेने में दिक्कत) 38224 है तो आईएलआई (इफ्फूएंजा लाइक इनलेस) के 65595 रोगी है और इनकी जांच करने के जिला क्षय विभाग को जिम्मेदारी सौंप दी गयी है। अब टीम उनके घर-घर जाकर उनका सैंपल लेगी और यदि उनको टीबी बीमारी की पुष्टि होती है तो उनका उपचार शुरू कर दिया जाएगा। शासन के आदेश मिलने के बाद विभाग ने मरीजों को ढूंढना शुरू कर दिया है, ताकि उनका समय रहते उपचार किया जा सकें और यह बीमारी आगे न फैल सकें।
टीबी की बीमारी मिलने पर परिजनों की होगी जांच
यदि सारी व आईएलआई रोगी को टीबी की बीमारी की पुष्टि होती है तो उनके परिजन भी जांच के दायरे में आएंगे, क्योंकि यह बीमारी खांसने से एक दूसरे को लगने का खतरा बना रहता है। इसलिए पुष्टि होने के बाद उनके परिजनों की भी जांच की जाएगी, ताकि इसकी लंबी चेन ने खींच सकें। उक्त व्यक्ति को कम से कम छह माह तक अपना उपचार कराना होगा।
यह टीबी के लक्षण
टीबी बीमारी की जांच उक्त व्यक्ति की होगी जिसको खांसी, बुखार, पसीना आना, वजन कम होना, कान्टेक्ट हिस्ट्री आदि लक्षण मिलते है तो जांच होगी। यदि उक्त मरीज में यह लक्षण नहीं है तो उनको जांच से दूर रखा जाएगा। जरूरत पड़ने पर उनका एक्स-रे भी कराया जाएगा, क्योंकि एक्स-रे से टीबी की पुष्टि हो जाती है।
”शासन के आदेश मिलने पर सारी व आईएलआई रोगी की टीबी बीमारी जांच करने के लिए चिह्नित कर लिया गया है। यदि किसी व्यक्ति के अंदर लक्षण मिलते है तो उनकी जांच कराकर उपचार किया जाएगा, ताकि यह बीमारी ज्यादा लंबी न फैल सकें।”
-डा. यशवीर सिंह, जिला क्षय रोग अधिकारी बागपत
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