- मान्यता प्राप्त विद्यालय महासभा के शिक्षकों ने सौंपा ज्ञापन
जनवाणी संवाददाता |
शामली: शासन द्वारा लगातार बढ़ाए जा रहे स्कूली अवकाश पर रोष व्यक्त करते हुए शिक्षकों ने पहले बैठकी और फिर कलक्ट्रेट पहुंचकर प्रदर्शन करते हुए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा ‘मैं शिक्षक हूं, स्कूल नहीं तो वोट नहीं’।
बुधवार को उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त विद्यालय महासभा की एक बैठक हनुमान धाम स्थित एक रेस्टोरेंट पर हुई। जिसमें महासभा के प्रदेशाध्यक्ष रामप्रसाद शर्मा ने कहा कि उप्र में लगभग 1.50 लाख मान्यता प्राप्त विद्यालय अपने सीमित संसाधनों से विद्यालय संचालित कर रहे हैं।
मार्च 2020 से कोरोना की पहली लहर से निरंतर कुछ समय को छोड़कर विद्यालयों को बंद रखा गया है। अवकाश अवधि में आनलाइन कक्षाएं चलाए जाने से उक्त अवधि में विद्यालयों के अध्यापक, अध्यापिकाओं, शिक्षणेत्तर स्टाफ तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वेतन के साथ बिजली, पानी, स्कूलों के वाहन का इंश्योरेंस-मेंटीनेंस तथा अन्य मदों में लिए गए ऋण की किश्तों आदि खर्चों को तो शत-प्रतिशत वहन करना ही पड़ा।
उन्होंने कहा कि बार-बार स्कूलों को बंद करने से छात्र-छात्राओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। छात्र-छात्राओं के भविष्य को देखते हुए 7 फरवरी से निरंतर वार्षिक परीक्षाओं के संपन्न होने तक स्कूलों को निर्बाध खोला जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर ऐसा न हुआ तो मान्यता प्राप्त विद्यालय अपने मत का प्रयोग नोटा में करने के लिए विवश हो जाएंगे। शिक्षकों ने कलक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी अधिकारियों को सौंपा गया। बैठक का संचालन दिव्य प्रभाकर व मनोज धीमान ने किया।
इस मौके पर चेतन मुंजाल, सतीश शर्मा, अनुज गौतम, रकमपाल सैनी, रामपाल अग्रवाल, मीडिया प्रभारी नीरज शर्मा सहित महासभा के अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।