योग का सेहत और बेहतर स्वास्थ्य के साथ रिश्ता हमारे सांस्कृतिक ज्ञान में सदियों से प्रमाणित है और अब उसे पूरी दुनिया वैज्ञानिक तथ्यों और प्रमाणों के जरिए भी स्वीकार चुकी है। योग आज बेहद प्रचलित हीलिंग एंड रिलैक्सिंग मेथेडोलॉजी है जिसमें न केवल सेहत को बरकरार रखने में मदद मिलती है बल्कि कई बीमारियों में गुणात्मक सुधार भी हासिल हो रहे हैं। लेकिन योग का लाभ तभी है जब उसे सही तरीके से किया जाए। गलत प्रक्रियाओं से किए जाने वाले योग का अच्छा नहीं बल्कि विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
स्वच्छ वातावरण और सुबह का वक्त
प्राणायाम और योगासन के लिए आसपास का वातावरण साफ और स्वस्छ होना चाहिए। योग के लिए खुली जगह में स्वच्छ वायु प्रवाह वाली जगह या घर में सबसे हवादार जगह का योग के लिए चयन करना चाहिए। ठंड यदि ज्यादा हो तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता और अपनी सहनशीलता के अनुसार किसी एक कमरे में सामान्य तापमान में योग का अभ्यास करना चाहिए।
योग शौच क्रिया एवं स्नान से निवृत्त होने के बाद ही किया जाना चाहिए। योग के एक घंटे बाद दोबारा स्नान करें। योग समतल भूमि पर आसन बिछाकर करना चाहिए। योग के लिए ढीले वस्त्र पहनें। सभी योगासन और प्राणायाम को सुबह के समय खाली पेट करना चाहिए और यदि शाम के समय करना है तो खाना खाने के चार घंटे बाद करना चाहिए।
सांस, विश्राम और खाली पेट योग का महत्व
आसन के प्रारंभ और अंत में विश्राम करें। आसन विधिपूर्वक ही करें। प्रत्येक आसन दोनों ओर से करें एवं उसका पूरक अभ्यास करें। योग प्रारम्भ करने के पूर्व अंग-संचालन करना आवश्यक है। इससे अंगों की जकड़न समाप्त होती है तथा आसनों के लिए शरीर तैयार होता है।
योग के कठिन आसनों को करते वक्त अपनी सांस को रोककर रखने का अभ्यास किया जाता है लेकिन समस्या यह है कि इससे नुकसान संभव है। अगर योग करते वक्त आप लगातार सांस नहीं ले रहे हैं तो आपकी मांसपेशियों तक आॅक्सीजन नहीं पहुंचेगा जो आपके शरीर को सपोर्ट देने के लिए जरुरी है। अन्यथा हो सकता है आप डगमगाकर गिर जाएं।
योग करने से ठीक पहले आपको कुछ नहीं खाना चाहिए। कुछ भी खाकर योगासन करने से न सिर्फ आपको अलग-अलग आसन करने में कठिनाई होगी बल्कि आपके शरीर का रक्त संचार आपके पेट पर केंद्रित रहेगा और शरीर की मांसपेशियों को सपोर्ट नहीं मिल पाएगा। आपके भोजन और योग के बीच कम से कम 1 घंटे का अंतराल होना जरुरी है। कई बार योग करते वक्त लोग बीच-बीच में पानी पी लेते हैं। ऐसा करना गलत है। माना गया है कि योग के सेशन से 2 घंटे पहले और आधे घंटे बाद तक पानी बिल्कुल नहीं पीना चाहिए। ऐसा करने से शरीर की जटिल और संवेदी ऊर्जा पर असर पड़ता है।
रिलैक्सिंग है योग, अधिक एफ र्ट न करें
खेलकूद का मंत्र है ‘नो पेन, नो गेन’, यानी आप तबतक कुछ हासिल नहीं कर सकते जब तक आप दर्द महसूस न करें। लेकिन योग में इसका उल्टा होता है। योग रिलैक्स करने की प्रक्रिया है जिसमेंं किसी तरह का दर्द नहीं होना चाहिए। और यदि योग करते वक्त आपको दर्द महसूस हो रहा है तो यह किसी तरह की चोट के संकेत हैं। यदि किसी व्यक्ति को चोट लगने के बाद तीव्र दिल के रोग व अन्य अल्सर, जीर्ण रोग से पीड़ित है तो उसे पीछे झुकने वाले या पेट के खिंचाव या दबाव डालने वाले प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए। यदि किसी की पेट की सर्जरी हो चुकी है या वह हर्निया से पीड़ित है तो उसे भी ये आसन नहीं करना चाहिए। वहीं कमर या पीठ में दर्द रहने वालों को आगे झुकने वाले आसन व प्राणायाम नहीं करना चाहिए। मासिक धर्म, गर्भावस्था, बुखार, गंभीर रोग आदि के दौरान आसन न करें या फिर योग करने से किसी योग प्रशिक्षक से परामर्श अवश्य लें।
योग एक साधना, नियमित हो तो असर
योग एक तरह की साधना है। आपका सारा ध्यान अपने आसन और योग पर ही होना चाहिए, तभी उसका सही और पूरा लाभ मिल सकेगा। ध्यान भटकते ही शरीर और दिमाग के बीच का कनेक्शन टूट जाता है। योग का असर दिखे इसके लिए जरुरी है कि आप इसे लगातार करें। लेकिन अगर आप इसे नियमित ढंग से करने की बजाए, हफ्ते में एक दिन या महीने में दो-चार बार करते हैं तो आप इसे सही तरीके से नहीं कर पाएंगे। और कुछ ऐसे आसन जो आप आसानी से कर पाते थे, वो भी नहीं कर पाएंगे।