नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। सनातन धर्म में सभी महीनों को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे ही 15 दिसंबर से खरमास की शुरूआत हो चुकी है और इस महीने के दौरान कोई भी शुभ कार्य को करना वर्जित माना जाता है। साथ ही कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए। तो आइए जनते हैं कि खरमास के दौरान किन कार्यों को करने से बचना चाहिए।
खरमास का अर्थ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे धनु संक्रांति कहा जाता है। इसी के साथ खरमास की शुरुआत होती है। इस समय सूर्य देव धनु राशि में रहते हैं, और इस अवधि को शुभ कार्यों के लिए प्रतिकूल माना जाता है। खरमास समाप्त होने के बाद, सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति के बाद ही शुभ और मांगलिक कार्य पुनः आरंभ किए जाते हैं।
खरमास में करें ये उपाय
- खरमास के दौरान पूजा-पाठ और धार्मिक कार्यों को अधिक महत्व दिया जाता है।
- सूर्य देव की पूजा- प्रतिदिन भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और सूर्य मंत्रों का जाप करें।
- भगवान विष्णु और कृष्ण की आराधना- नियमित पूजा से जीवन की समस्याएं कम होती हैं और इच्छाएं पूरी हो सकती हैं
- तुलसी की पूजा- तुलसी के पौधे के पास शाम को दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
- मंत्र जाप और धार्मिक अनुष्ठान- बृहस्पति ग्रह से जुड़े मंत्रों का जाप करें।
- सरल जीवनशैली अपनाएं- बिस्तर छोड़कर फर्श पर सोना और पत्तल में भोजन करना इस अवधि में शुभ माना गया है।
खरमास में भूलकर भी न करें ये काम
- शुभ कार्यों से बचाव: विवाह, गृह प्रवेश, नए व्यापार की शुरुआत, जमीन या वाहन खरीदना, और अन्य मांगलिक कार्य न करें।
- तामसिक भोजन से परहेज: मांस-मछली, प्याज, लहसुन, शराब और धूम्रपान का त्याग करें।
- शादी की विदाई न करें: यदि किसी बेटी की शादी हो चुकी है और खरमास के दौरान विदाई होनी है, तो इसे टालकर खरमास समाप्त होने के बाद ही करें।
खरमास एक ऐसा समय है, जिसमें शुभ कार्यों से परहेज करते हुए पूजा-पाठ और साधना पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इस दौरान नियमों का पालन करने से न केवल जीवन में शांति और समृद्धि आती है, बल्कि भविष्य में आने वाली बाधाओं से भी बचा जा सकता है।