Friday, May 23, 2025
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सीसीएसयू में बोले डॉ. जेके बजाज, दीक्षार्थियों पर परिवार-समाज-देश के भरण-संरक्षण का दायित्व

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के 34वें दीक्षांत समारोह में मेडल पाकर छात्र-छात्राओं के चेहरे खिले हुए हैं। पहली बार कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल ने सभी टॉपर्स को अपने हाथ से मेडल पहनाए हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईसीएसएसआर नई दिल्ली के अध्यक्ष पदमश्री डॉ. एके बजाज ने समारोह में कहा कि भारतीय परंपरा में और भारतीय सभ्यता के मूलभूत साहित्य में दीक्षांत को बहुत महत्त्व दिया गया है।

यह वह संधिवेला है जब आप जीवन की एक अवस्था को पूर्ण कर दूसरी में प्रवेश करते हैं। ब्रह्मचर्याश्रम से गृहस्थाश्रम की ओर बढ़ते हैं। अब तक आप विद्यार्थी थे। अपने भरण एवं संरक्षण के लिये परिवार-समाज एवं राष्ट्र पर निर्भर थे। दीक्षांत के पश्चात् आप स्वयं जीविकोपार्जन करेंगे, अर्थोपार्जन करेंगे न केवल अपने अपितु परिवार समाज एवं राष्ट्र के भरण-पोषण में भी समर्थ बनेगे। अब तक आप अन्यों पर निर्भर थे। अब अन्य आप पर निर्भर होंगे।

जेके बजाज ने समझाया गृहस्थाश्रम का महत्व

डॉ. जेके बजाज ने कहा कि जीवन की इस अवस्था का जिसमें अब आप प्रवेश करने वाले हैं, गृहस्थाश्रम का, समाज व जीवन में बहुत ऊंचा स्थान है। महाभारत के शांतिपर्व में जब धर्मपुत्र युधिष्ठर अपने बंधु-बांधवों से लड़ने से बचने के लिए रिक्ति की उन्मुख होने लगते हैं तो उनके चारों भाई, अर्जुन, सहदेव, नकुल और नीम बारी-बारी से उन्हें गृहस्थाश्रम का महत्व समझाते हैं।

अंत में द्रौपदी स्वयं अपनी ओर से और मां कुंती के आशीर्वचनों का उल्लेख कर उन्हें बताती है कि समाज के समर्थ घटक बनकर अर्थोपार्जन करते हुए अन्य सब का भरण-पोषण एवं संरक्षण करना ही उनके लिये धर्म-सम्मत मार्ग है। इस महान् उत्तरदायित्व से बचकर संन्यास की बात करना तो कायरता ही है। गृहस्थाश्रम की ऐसी महिमा है।

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