जनवाणी ब्यूरो |
लखनऊ: यूपी में “मिनिमम गवर्नमेंट” और “मैक्सिमम गवर्नेंस” के मंत्र पर काम कर रही योगी सरकार दिन-प्रतिदिन नए रिकार्ड कायम कर रही है। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में बाढ़ से बचाव के लिए मई के बजाय छह महीने पहले ही राहत कार्य आऱंभ कर दिए गए हैं। इसके लिए सीएम योगी ने बुधवार को बाढ़ राहत के लिए प्रदेश में पहली बार एक साथ 146 परियोजानाओं का लोकार्पण व 170 परियोजनाओं का शिलान्यास किया।
कहा कि 15 मई तक इन सभी 170 परियोजनाओं को पूरा कर लिया जाएगा। इन परियोजनाओं के जरिए प्रदेश के 40 जिलों में बाढ़ से राहत के लिए कार्य किए जाएंगे। प्रदेश में बाढ़ को लेकर 24 जिले अतिसंवेदनशील हैं व 16 जिले संवेदनशील श्रेणी में हैं। यहां हर वर्ष बाढ़ के जरिए जन-धन की हानि होती थी।
सरकार के पारदर्शिता, गुणवत्ता और समयबद्धता का ही परिणाम है कि बीते कुछ सालों में ही विभिन्न परियोजाओं के जरिए प्रदेश में बाढ़ से होने वाली जन-धन हानि पर नियंत्रण पा लिया गया है। जहां 2013 में 15 लाख 81 हजार 384 हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित हुए थे वहीं 2017-18 में योगी सरकार ने 74 परियोजनाओं 2018-19 में 111 व 2019-20 में 158 परियोजनाएं पूर्ण की।
जिसका नतीजा रहा कि 2020 में करीब मात्र 12 हजार हेक्टयर क्षेत्र ही बाढ़ से प्रभावित हुआ। प्रदेश में 24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सुरक्षित कर लिया गया है जो पहले बाढ़ से प्रभावित थे। इसके लिए 523 नए तटबंध बनाए गए जिनकी कुल लंबाई 3869 किलोमीटर है। प्रदेश में पहली बार शहर से लेकर गांवों तक के नालों की सफाई भी अभियान का हिस्सा बनाया गया है ताकि कहीं भी बाढ़ प्रबंधन में बाधा न आए।
पहले बाढ़ के साथ शुरु और खत्म होती थीं परियोजनाएं
सीएम ने कहा कि बाढ़ प्रबंधन पर 1800 करोड़ रूपये का खर्च किए जा रहे हैं। हम जितना धन खर्च कर रहे हैं उसका कई गुना पिछली सरकारों में खर्च होता था पर योजना समय पर न ही बनती थी और न ही लागू होती थी इसलिए पूरी भी नहीं हो पाती थी। प्रदेश में पहले मान्यता थी कि बाढ़ की योजनाओं बाढ़ आने के पहले बनती और बाढ़ आने के बाद समाप्त हो जाती हैं।
इस मिथक को हमारी सरकार ने तोड़ा है। जनता के प्रति सरकार की संवेदनशीलता का परिणाम है कि प्रदेश में पहली बार बाढ़ से बचाव का कार्य मई के बजाय 6 महीने पहले जनवरी में ही शुरु कर दिया गया है। ऐसा करने से समय पर बाढ़ प्रबंधन का कार्य पूरा हो जाएगा। जिसके चलते किसानों की फसलों को नष्ट होने से बचाया जा सकेगा।
सीएम ने दिया ड्रेजिंग से आमदनी बढ़ाने का मंत्र
सीएम योगी ने जिले के अफसरों से कहा कि जिन जिलों में ड्रेजिंग का कार्य किया जाना है वहां नदियों से निकलने वाले बालू का टेंडर कराकर उसकी निलामी कराएं ताकि ड्रेजिंग की लागत निकल सके। साथ ही नहरों की सफाई के दौरान भी सिल्ट व बालू के जरिए पैसा जुटाने पर जोर दिया।
पहली बार जितना काम वह सब सामने
पहली बार बाढ़ को लेकर जितना काम हुआ उतना जनता के सामने मौजूद है। पिछली सरकारों में बाढ़ से बचाव के लिए जो कार्य होते थे उसे चाहकर भी नहीं दिखाया जा सकता था। हर वर्ष इन कार्यों को बाढ़ के साथ बह जाना बताया जाता था। बाढ़ राहत के नाम पर हर साल कहां पैसा खर्च होता था इसका पता ही नहीं चलता था।
भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने की दिशा में कैमरे लगावाकर 91 स्थलों पर हो रहे कार्यों की निगरानी की गई। जिसके चलते समय पर 146 परियोजनाओं का लोकार्पण किया गया साथ ही यह पहली बार था कि किसी कार्य या निर्माण का इस्तेमाल हो जाने के बाद तब उसका लोकार्पण किया गया है।
पहली बार बजट से पहले मिली धनराशि
हर वर्ष लगभग अप्रैल में बजट आवंटित होता था व मई में कार्य आरंभ होता था। इसके साथ ही जून में काम खत्म होते ही किए गए कार्य और लागत बाढ़ के साथ बह जाते थे। इस बार करीब 735 करोड़ रूपये का बजट सरकार ने उपलब्ध करा दिया और जनवरी के तीसरे सप्ताह से ही कार्य आऱंभ हो चुका है।