जनवाणी ब्यूरो |
गाजियाबाद: पूर्व सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार सुरेंद्र प्रकाश गोयल का शुक्रवार को निधन हो गया। कोरोना संक्रमण के बाद वह पिछले पंद्रह दिनों से दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे।
उनके निधन की पुष्टि उनके पुत्र सुशांत गोयल ने की है। निधन की खबर मिलते ही कांग्रेसी नेताओं में शोक की लहर दौड़ गई है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक बीस जुलाई को पूर्व सांसद की कोरोना जांच कराई गई तो संक्रमण की पुष्टि हुई थी।
सुरेंद्र गोयल गाजियाबाद के ही रहने वाले थे बेहद सरल स्वभाव के थे। सुरेंद्र प्रकाश गोयल करीब 20 दिन से कोविड-19 की चपेट में थे। शुरुआती दौर में उन्हें यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
उसके बाद उन्हें दिल्ली के गंगाराम अस्पताल भर्ती कराया गया। जहां इनका उपचार जारी था, लेकिन सुबह के वक्त इन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली।
इनके निधन की खबर के बाद कांग्रेस पार्टी में ही नहीं बल्कि समूचे गाजियाबाद में शोक की लहर छा गयी। 74 वर्षीय सुरेंद्र प्रकाश गोयल मूल रूप से गाजियाबाद के ही रहने वाले थे।
उनका जन्म 1 जनवरी 1946 में हुआ था। बचपन यही बीता और पढ़ाई गाजियाबाद में ही हुई थी। सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने सन 1971 में निगम पार्षद का पहला चुनाव लड़ा। जिसमें उन्होंने जीत हासिल की।
उसके बाद उन्होंने 1989 में वह नगर पालिका का चुनाव लड़े और उसमें भी सुरेंद्र प्रकाश गोयल को भारी बहुमत से विजई हुए। करीब 20 साल तक वह नगर पालिका के चेयरमैन रहे।
उसके बाद 2002 में सुरेंद्र प्रकाश गोयल गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक का चुनाव लड़े। जिसमें उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के बालेश्वर त्यागी को हराकर विधायक का चुनाव जीता।
वह 2002 से 2004 तक विधायक रहे। उसके बाद सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने 2004 सांसद का चुनाव लड़ा जिसमें उन्हें भारी बहुमत से जीत हासिल हुई और तीन बार सांसद रह चुके रमेश चंद्र तोमर को हराया और 5 साल तक गाजियाबाद के सांसद रहे और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी से अगले चुनाव में वह राजनाथ सिंह से हार गए थे।
सोनिया और राहुल गांधी के करीबी थे गोयल
सुरेंद्र प्रकाश गोयल सोनिया गांधी और राहुल गांधी के प्रिय नेता थे और गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाते थे। अब केवल सुरेंद्र गोयल की यादें बाकी हैं, क्योंकि वह अब अपने समर्थकों के बीच से हमेशा के लिए अलविदा हो गए और अपने पीछे पत्नी संगीता गोयल, एक बेटी और एक बेटा छोड़ गए हैं। स्थानीय लोग इनके निधन को बड़ी क्षति मान रहे हैं।