Friday, January 24, 2025
- Advertisement -

एमडीए की लोहियानगर योजना में फर्जीवाड़ा आया था सामने

  • 17 प्लॉटों की फर्जी रजिस्ट्री में उलझी पुलिस
  • एक वर्ष पहले आरंभ हुई विवेचना अब भी अधूरी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) में 17 भूखंडों की फर्जी रजिस्ट्री की जांच आगे नहीं बढ़ पा रही है। इस फर्जीवाड़े की जांच सिविल लाइन पुलिस कर रही है, लेकिन एक वर्ष पहले आरंभ हुई विवेचना अब भी अधूरी है। पुलिस की जांच भी आगे नहीं बढ़ पा रही है।

पुलिस जांच में ही इस पूरे रैकेट का खुलासा हो सकता है। क्योंकि मेरठ विकास प्राधिकरण के 17 प्लॉटों का फर्जी तरीके से बैनामा कैसे कर दिया? कौन-कौन इसमें शामिल था? रजिस्ट्री पर किस-किस अधिकारी के हस्ताक्षर थे, उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई? एमडीए के कर्मचारियों के साथ बाहरी कोई गिरोह तो नहीं मिला है, जो फर्जी तरीके से एमडीए की सम्पत्ति की रजिस्ट्री कर रहे हैं।

इस पूरे रैकेट में कितने लोग शामिल हैं? इन तमाम सवालों का जवाब पुलिस की विवेचना में मिलना चाहिए था, मगर सिविल लाइन पुलिस ने फर्जी रजिस्ट्री के मामले की जांच आगे नहीं बढ़ाई।

बता दें, मेरठ विकास प्राधिकरण की लोहिया नगर योजना में ये फर्जीवाड़ा सामने आया था, जिसमें विभागीय कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। महिला क्लर्क को तत्कालीन प्राधिकरण उपाध्यक्ष साहब सिंह ने बर्खास्त भी कर दिया था। दो कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी करा दी गई थी।

मेरठ विकास प्राधिकरण की सम्पत्ति को कैसे फर्जी रजिस्ट्री से बेच दिया गया? ये अधिकारी सुनकर हैरान रह गए थे। इस मामले की जांच सिविल लाइन पुलिस कर रही थी। सिविल लाइन पुलिस ने एक वर्ष पूरे मामले को हो चुका है, मगर इसमें नहीं तो चार्जशीट लगाई है और नहीं इस पूरे रैकेट तक पहुंचने की कोशिश की है।

यह मामला पेडिंग ही पड़ा हुआ है। पुलिस ने पेडिंग क्यों डाल रहा है, इसमें भी कोई राज है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि इस पूरे रैकेट से जुड़े लोगों को पुलिस लाभ पहुंचाने के मकसद से ही ऐसा कर रही है। जिन 17 प्लॉट का लोहिया नगर में फर्जी रजिस्ट्री की गई थी, वो करीब दस करोड़ की कीमत के है।

आखिर इतना दुस्साह कैसे कर दिया कि एमडीए की सम्पत्ति को बिना लॉटरी के बेच दिया गया। बकायदा एमडीए में सम्पत्ति लेने के लिए लॉटरी सिस्टम लागू किया गया है या फिर बोली लगती है, जिसमें पांच सदस्य अधिकारी मौजूद होते है तथा उनकी मौजदूगी में ही प्लाट की बोली लगाई जाती है।

कम से कम तीन लोग बोली में शामिल होने चाहिए, उनका एडवांस ड्राफ्ट जमा कराया जाता है। हालांकि वर्तमान में एमडीए की सम्पत्ति नीलामी का सिस्टम आनलाइन कर दिया गया है। जिसको भी बोली लगानी हो, वह आनलाइन लगाई जाती है। इस तरह से आनलाइन बोली को पारदर्शी बनाकर रखा जाता है,मगर एक वर्ष पहले जो फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री को लेकर हुआ था, उसका राज अब भी बना हुआ है। क्योंकि पुलिस ने भी इसमें कोई ठोस कदम नहीं उठाये हैं।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

गणतंत्र दिवस पर गॉडविन मीडिया समूह निकालेगा तिरंगा बाइक रैली

जनवाणी संवाददाता | मेरठ: 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के शुभ...
spot_imgspot_img