- खदान बंद होने से बढ़ी समस्या, कनाड़ा तक भी जाते हैं मेरठ के बने दीये, लॉकडाउन ने किया चौपट
जनवाणी ब्यूरो |
मेरठ: दीपों का पर्व दीपावली नजदीक आ गया है। इसके लिए कुम्हारों ने दीये भी तैयार कर लिए हैं। बिना दीयों के दीपावली की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। भले ही चाइनीज सामानों ने दीयों की जगह ली हो, लेकिन बिना दीयों के दीवाली अधूरी ही रहती है। वहीं इस बार चाइनीज सामान बहिष्कार भी किया जा रहा है, लेकिन लोकल फॉर वोकल नारे के बावजूद कुम्हारों को मिट्टी के दीये बनाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
दीवाली पर हर साल महीने भर पहले से ही दीये बनने शुरू हो जाते हैं। दशहरे के पहले से ही कुम्हार मिट्टी के दीये बनाने में जुट जाते हैं, लेकिन इस बार कुम्हारों को चिकनी मिट्टी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रही है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा खदानों में से चिकनी मिट्टी नहीं दी जा रही है।
ऐसे में रहती थी मिट्टी से ही काम चलाना पड़ रहा है। जिसे काफी सारा मिट्टी का सामान बर्बाद भी हो जाता है और टूट जाता है। इस वजह से नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। बता दें कि मेरठ के बने दीये कनाड़ा तक भी जाते हैं। जहां दीये जलाकर ही भारत की तरह दीवाली मनाई जाती है, लेकिन इस बार विदेश से भी आर्डर नहीं मिले हैं।
थापर नगर स्थित अजंता मूर्ति कला केंद्र के मूर्तिकार मनोज प्रजापति ने बताया कि हमारा यह काम साल भर चलता है। सिर्फ दीवाली ही नहीं बल्कि दशहरा, गणेश उत्सव, लक्ष्मी पूजन, दुर्गा पूजन आदि त्योहारों पर मूर्तियां और दीये बनाने का काम किया जाता है। उनके यहां से दीये तैयार होकर कई जगह पर भेजे जाते हैं।
मनोज का कहना है कि काफी समय से चिकनी मिट्टी मिलने में परेशानी आ रही है। खदानों से मिट्टी नहीं मिल पा रही है जिस कारण काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। रेतीली मिट्टी होने का कारण हमारा काफी सामान खराब हो चुका है।
लॉकडाउन के कारण आर्डर में आई कमी
कोरोना संक्रमण के चलते लगे लॉकडाउन के बाद आर्थिक तंगी ने हर एक कारोबार में लोगों की कमर तोड़ रखी है। वहीं, दीयों की बात करें तो शहर से विदेश तक भी दीवाली के समय दीये तैयार होकर जाते हैं। मनोज प्रजापति ने बताया कि हमारे यहां से कनाडा तक के आर्डर भी आते हैं, लेकिन इस बार लॉकडाउन के बाद से काम में काफी मंदी आई है। हर साल दीवाली पर जितने आर्डर मिलते हैं, उससे काफी कम आॅर्डर इस बार मिले हैं और विदेश का एक भी आॅर्डर इस बार नहीं आया है।