- जिला अस्पताल में कई केसों में सामने आए घनघोर लापरवाही के मामले
- हर्निया का गलत इलाज, फिर बदसलूकी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकार गरीब व कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवारों को मुफ्त व अच्छा इलाज देने के दावे ठोकती रहती है, लेकिन इन दावों को पलीता लगा रहा है जिला अस्पताल का स्टाफ। तीन केस इस अस्पताल की पोल खोलने के लिए काफी है,
साथ ही यहां इलाज के साथ जिम्मेदार डाक्टरों के व्यवहार को भी बेनकाब कर रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में अगर स्वास्थ्य सेवाओं की ऐसी ही हालत रहेगी। वहीं, अस्पताल प्रशासन जांच में दोषी पाए जानें वाले चिकित्सकों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात कर रहा है।
- केस-1
27 जुलाई को 11 माह के बच्चे अभिमन्यु को उसके परिजन मामूली बुखार होने पर जिला अस्पताल में इलाज के लिए लेकर आए थे। बच्चे की मां मंजू का आरोप है कि बच्चे को अस्पताल के बच्चा विभाग में एडमिट कर लिया गया और उसका इलाज किया जाने लगा। आरोप है कि इलाज करने वाले डा. राजीव गुप्ता ने वार्ड ब्वॉय मनोज से पांच मिनट में ही बच्चे को एक साथ तीन इंजेक्शन लगवा दिए।
कुछ ही देर में बच्चा निढाल हो गया, इसके बाद अस्पताल के स्टाफ ने बच्चे को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। जब परिजन बच्चे को मेडिकल लेकर पहुंचे तो वहां पर बताया गया कि बच्चे की मौत दो घंटे पहले ही हो चुकी है। यानी इंजेक्शन देने के कुछ समय बाद ही बच्चा मर चुका था, लेकिन डाक्टरों ने अपनी करतूत छिपानें के लिए बच्चे को मेडिकल रेफर कर दिया।
- केस-2
एक मार्च 2022 को महिला प्रिया पत्नी कृष्ण कुमार लोधी का हर्निया का आपरेशन जिला अस्पताल में हुआ था। महिला के पति कृष्ण कुमार का आरोप है कि आपरेशन करने वाले डा. वीर सिंह ने उनकी पत्नी का गलत आपरेशन कर दिया, जिस जगह हर्निया था उससे दूसरी जगह चीरा लगा दिया गया। एक माह बाद ही हर्निया बढ़ने पर जांच कराई गई, जो वह उसी जगह बढ़ चुका था।
जबकि जिला अस्पताल में जिस जगह आपरेशन किया था, वहां हर्निया था ही नहीं। ऐसे में गलत आपरेशन होने के बाद महिला का हर्निया बढ़ता गया और इस समय वह इंफेक्शन का शिकार हो चुकी है, जो लगातार बढ़ता जा रहा है। महिला के पति ने मामले की शिकायत अस्पताल के आलाधिकारियों से की तो उनके साथ बदसलूकी की गई।
- केस-3
कांशीराम कॉलोनी के रहने वाले अब्दुल गफ्फार के 11 साल के बेटे जुबैर को पेट दर्द होने पर जिला अस्पताल में दो दिन पहले भर्ती कराया गया था। बच्चे की मौसी उबैदा का आरोप है कि जिला अस्पताल में बच्चे का ठीक से इलाज नहीं किया जा रहा है। डाक्टर केवल खानापूर्ति करने आते हैं और चले जाते हैं। बच्चे की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी,
जब स्टाफ से इलाज ठीक से नहीं होने को लेकर बात की गई तो बताया गया कि बच्चे की फाइल ही गायब है। ऐसे में बच्चे का इलाज किस डाक्टर की निगरानी में चल रहा था, इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। सोमवार को बच्चे की हालत बिगड़ने पर परिजन उसे मेडिकल लेकर चले गए। जहां उसका इलाज किया जा रहा है।
मामला उनके संज्ञान में आया है जिसके बाद जांच की जा रही है। जांच में जो भी डाक्टर दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-डा. कौशलेन्द्र, अधीक्षक जिला अस्पताल।