- लापरवाही: शहर के हर मुख्य चौराहों पर पुलिस के सीसीटीवी कैमरे बने शोपीस
- पूरे शहर में लगे 180 कैमरे, रिलांयस, एमडीए और डेन गैलेक्सी के सीसीटीवी कैमरे
- अधिकांश कैमरों की तस्वीरें आती हैं धुंधली
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: इस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं स्कता जिस मुल्क की सरहद पर निगहेबां हो आंखे। जिस वक्त मेरठ विकास प्राधिकरण ने अवस्थापना निधि से शहर के चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे, तब यही अवधारणा रखी गई थी कि अब बदमाशों का पीछा कैमरे की आंखें करेंगी।
यह अवधारणा तब तक कारगर साबित हुई जब दुकानदारों और कालोनियों में प्राइवेट कैमरे नहीं लगे थे। अब बदमाशों के द्वारा की गई मामूली हरकत भी हाईटैक कैमरे कैद करने लगे हैं जबकि सरकारी कैमरे अपनी गुणवत्ता और अपडेट न होने के कारण पुलिस के लिये मुसीबत का सबब बने हुए हैं।
शहर में लगे 180 कैमरों में कैद होने वाली तस्वीरें इतनी धुंधली होती है कि पुलिस के लिये बदमाशों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है। दो साल से प्राइवेट कैमरों के कारण तमाम केस खुले, जहां प्राइवेट कैमरे नहीं थे वहां पुलिस परेशानी में दिखी।
पुलिस के शोपीज सीसीटीवी कैमरे उस वक्त फ्लाप साबित हुुए जब वर्ष 2022 में शास्त्रीनगर के सैंट्रल मार्केट में ताबड़तोड़ चेन लूट की दस घटनाएं हुई और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों में बदमाश कैद नहीं हुए। पुलिस अपने निचले स्तर के खराब नेटवर्क के कारण चेन लुटेरों को पकड़ने में कामयाब नहीं हो पाई।
पुलिस की किस्मत अच्छी थी कि चेन लुटेरों का एक गिरोह पकड़ा गया और उसने चेन लूटों का खुलासा कराया और कुछ चेनें बरामद भी कराई। जागृति विहार सेक्टर-2 में लूट के विरोध में 8 सितंबर 2020 को बदमाशों ने सराफ अमन जैन की गोली मारकर हत्या कर दी। हत्यारों को पकड़ने में सीसीटीवी कैमरे भी फेल हुए थे। मेवला फ्लाईओवर के नीचे पंजाब नेशनल बैंक में हुई लूट में सिर्फ बैंक के सीसीटीवी कैमरों में बदमाश दिखाई दिए थे।
इसके अलावा कहीं भी नहीं नजर आए। दो सालो में 80 फीसदी घटनाओं का खुलासा सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई गतिविधियों के आधार पर ही किया गया है। इनमें प्राइवेट कैमरों की भूमिका प्रभावी रही। वहीं अपराधियों तक पहुंचने के लिए पुलिस के पुराने कैमरे अब अधिक कारगर नहीं बचे हैं। शास्त्रीनगर डी-ब्लाक में रिटायर्ड हेड कांस्टेबल रतनसिंह की पत्नी कौशल सिरोही और धेवती तमन्ना की हत्या हुई।
प्राइवेट सीसीटीवी कैमरे में दामाद के दो साथी दिखाई दिए। तब जाकर नौचंदी पुलिस ने दामाद को उठाकर पूछताछ की और हत्या का खुलासा किया। गत वर्ष एक सितंबर को हस्तिनापुर में बैंक मैनेजर संदीप कुमार की पत्नी शिखा और पांच साल की बेटी की हत्या हुई। सीसीटीवी कैमरे में संदीप के जीजा हरीश स्कूटी पर जाते दिखाई दिए। तब जाकर पुलिस हत्यारोपी हरीश और उसके साथी गिरफ्तार हुए।
गत वर्ष 24 अप्रैल को लिसाड़ी रोड पर साजिद की हत्या की गई। वारदात सीसीटीवी में कैद हुई और पुलिस ने खुलासा कर आरोपी गिरफ्तार किए। 27 सितंबर को नौचंदी क्षेत्र के जैदी फार्म में अमान की हत्या हुई। घटना के बाद भागते आरोपियों की तस्वीर सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई। जल्द ही वारदात का खुलासा हो गया। 12 नवंबर को सरधना निवासी रोडवेज की लिपिक सोनिका सोम लापता हुई थीं।
उनका शव चार दिन बाद सरधना गंगनहर में मिला। सीसीटीवी कैमरे में सोनिका के दोस्त सनी चौधरी की तस्वीर दिखी थी। नहर के पास एक मकान में लगे सीसीटीवी कैमरे ने पूरी वारदात का खुलासा कर दिया था। दरअसल एमडीए ने पांच साल पहले अवस्थापना निधि के 80 लाख रुपये ट्रैफिक पुलिस को दिये थे, जिसमें सीसीटीवी कैमरे, डिवाइडर और कटस आदि लगाए गए थे।
इसके बाद रिलायंस कंपनी और डेन गैलेक्सी ने भी कैमरे लगवाए। एसपी सिटी के आफिस में कंट्रोल रुम बना हुआ है और पूरे शहर की मानिटरिंग होती है, इसके बाद इन कैमरों से ज्यादा कारगर प्राइवेट कैमरे हो रहे हैं। एसपी ट्रैफिक जितेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि शहर में एक विभिन्न चौराहों और सड़कों पर 180 कैमरे लगे हुए हैं। इनमें प्राइवेट कंपनियों के द्वारा भी लगाए गए हैं।