Saturday, August 9, 2025
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जिद्दी बच्चों से कैसे पेश आएं


बच्चों का जिद्दी होना बहुत आम है लेकिन उनका हद से ज्यादा और बात-बात पर जिद करना गलत है। इस तरह से उनके व्यवहार में जिद करने की आदत शामिल होती जाएगी। जिसका नकारात्मक असर आगे चलकर बच्चे के भविष्य पर भी पड़ सकता है। इसलिए इससे बचने के लिए माता-पिता को बच्चों की जिद करने की आदत को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। अब इसके लिए माता-पिता क्या कर सकते हैं आइये जानते हैं।

बच्चों पर चिल्लाएं नहीं

अगर आपके बच्चे जिद्दी हैं तो आप उन पर चीखें-चिल्लाएं नहीं बल्कि प्यार से हैंडल करें। शांत रहने पर बच्चे भी ज्यादा शोर-शराबा नहीं करेंगे और आप उनको सही और गलत के बीच में फर्क समझा सकेंगे।

बहस न करें

अगर आप बात-बात पर बच्चों से बहस करते हैं, तो जिद्दी बच्चों को बहस करने की आदत हो जाती है। इससे वो बहस करने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं। इसलिए उनको बहस करने का मौका न दें और उनकी बात को ध्यान से सुनें। जब आप बच्चों की बात सुनने लगेंगे तो वो भी आपकी बात पर ध्यान देने की कोशिश करेंगे और जिद कम करेंगे।

बच्चों के मन की बात समझें

बच्चों के मन की बात को समझने की कोशिश करें। कई बार बच्चे माता-पिता का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए भी जिद करते हैं। हो सकता है कि आपके बच्चे को किसी बात से दिक्कत दे रही हो और वो आपसे कह नहीं पा रहा हो। इसलिए बच्चों पर निगाह रखें और उनकी हरकतों को देखकर उसे समझने की कोशिश करें।

नियम बनाएं

आपको कुछ चीजों के लिए नियम बनाने की जरूरत भी है क्योंकि जिद्दी बच्चों को समझाने और उनको डील करने के लिए ऐसा करना जरूरी है। बच्चों को समझाएं कि नियम तोड़ने पर उन्हें क्या नुकसान हो सकता है। आप लगातार बच्चे को नियम और अनुशासन में रखेंगे तो बच्चे का जिद्दीपन कुछ हद तक कम होगा। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि नियम और अनुशासन बहुत ज्यादा सख्त न हो।

बच्चों को बोलने का मौका दें

बच्चों पर केवल अपनी बात न थोपें बल्कि उनको भी बोलने का मौका दें। अगर आप उनको बोलने का मौका देंगे, तो वह भी आपको सुनने की कोशिश करेंगे। साथ ही आपने अपनी बातें भी शेयर करेंगे। समझने और समझाने से बच्चों के साथ हेल्दी रिलेशन बना रहता है।

बच्चों पर दबाव न डालें 

आप जब बच्चों को किसी चीज के लिए मजबूर करते हैं, तो वे बगावत करने लगते हैं। दवाब के कारण बच्चे जिद करने लगते हैं। बच्चे को किसी भी चीज के लिए विवश करने की जगह उनसे जुड़ने की कोशिश करें। जैसे अगर बच्चा होम वर्क करने से मना कर रहा है, तो उसे डांट-फटकार कर स्कूल का काम करने की जगह उससे पूछे कि वो इससे बचना क्यों चाह रहा है। ऐसा क्या है जो उसे मुश्किल लग रहा है।

पारिवारिक परिवेश अच्छा दें

इसमें कोई दो राय नहीं कि बच्चा जैसा देखता है, वैसा ही करता है। इसलिए, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप उसे अच्छे माहौल में रखें। अगर आप घर में किसी बड़े-बुजुर्ग या किसी अन्य के साथ बहस या किसी बात को लेकर चिल्ला रहे हैं, तो आपका बच्चा भी वही सीखेगा। ऐसे में आपको जिद्दी बच्चे को संभालने के लिए अपने घर का माहौल ऐसा बनाना होगा, जिससे वह समझ सके कि बड़ों की बातों को मानना चाहिए।

व्यवहार में निरतंरता बनाए रखें 

अगर आपने बच्चे से जुड़े कुछ नियम बनाए हैं, तो उस पर दृढ़ रहें। कभी बच्चे के देर रात तक टीवी देखने पर एतराज करना और कभी उसे अपने साथ बैठाकर टीवी दिखाना, ऐसा न करें। इससे बच्चा आपकी बातों को कम महत्व देने लगेगा। बच्चों से कुछ जरूरी नियमों को लेकर समझौता बिल्कुल भी न करें।

उसकी प्रशंसा करें

बच्चों को सिर्फ डांटने और नियम-कायदे समझाने की जगह अच्छे कामों के लिए उनकी प्रशंसा भी करें। उन्हें प्रोत्साहित करने से उनका मनोबल बढ़ाते रहने से, कुछ समय बाद वो आपकी बातों को मानने लगते हैं।

अस्वीकार्य व्यवहार के बारे में बताएं 

बच्चों की जिद और गलत तरीके से व्यवहार करने की आदत अगर बढ़ती जा रही है, तो आपको उन्हें अपने पास बैठाकर यह समझाना चाहिए कि गलत व्यवहार के कैसे परिणाम हो सकते हैं। उन्हें आप उदाहरण के तौर पर कुछ आज्ञाकारी बच्चों के बारे में बता सकते हैं। साथ ही यह भी समझा सकते हैं कि अगर वो सभी की बात मानेंगे, तो वो सबसे पसंदीदा बच्चे बन जाएंगे।

जिद पूरी न करें

अक्सर जिद पूरी होने के कारण बच्चों के अंदर जिद्दीपन और बढ़ने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि बच्चे को यह एहसास हो कि उसका जिद्दीपन काम नहीं करेगा। अगर आपका बच्चा किसी स्टोर में जाकर किसी खिलौने की मांग करता है और खिलौना न मिलने पर चीखने-चिल्लाने लगता है, तो उसकी ओर ध्यान ही न दें। इससे बच्चे को यह समझ आ जाएगा कि उसकी जिद से उसे कुछ हासिल नहीं होने वाला है।

दोस्तों के साथ घूमने जाने दें 

बात-बात पर रोकने-टोकने से बचें:- अगर आप बच्चे को बात-बात पर रोकते या टोकते रहते हैं, तो सावधान हो जाएं, यह आदत आपके बच्चे को जिद्दी बना सकती है। बच्चे से हर समय क्या कर रहे हो, ये क्या है, ऐसा नहीं ऐसा करना चाहिए था, क्या हुआ? ऐसे सवाल करने से बचना चाहिए। इसकी जगह आप उनसे जो भी पूछना या समझाना चाहते हैं, वो प्यार से कर सकते हैं। ध्यान रहे कि बच्चों को ऐसा न लगे कि आप उनके बॉस बनने की कोशिश कर रहे हैं।


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