नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। श्रावण के इस पावन पर्व में आने वाले सोमवार को सावन सोमवार व्रत के रूप में मनाया जाता है। यह व्रत भगवान शिव की कृपा पाने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम माना जाता है। मान्यता है कि सच्चे मन से किया गया सावन सोमवार व्रत जीवन में सुख-समृद्धि लाता है और मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।
ऐसा माना जाता है कि सतयुग में माता पार्वती ने भगवान शिव को मनाने के लिए श्रावण मास में कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें श्रावण मास के सोमवार का व्रत करने का विधान बताया। तब से श्रद्धालु हर साल सावन सोमवार का व्रत रखते हैं। कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए और विवाहित महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सावन सोमवार का व्रत करती हैं।
सावन पूजन विधि
सावन सोमवार व्रत रखने वाले श्रद्धालु सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद वे पूजा स्थान को साफ करके भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करते हैं। पवित्र जल और बेलपत्र से उनका अभिषेक किया जाता है।
धतूरा, आंकड़े के फूल और भांग आदि भी चढ़ाए जा सकते हैं। “ॐ नमः शिवय” मंत्र का जाप कर भगवान शिव से मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।
व्रत का महत्व
यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम उपाय माना जाता है। माना जाता है कि सच्चे मन से किया गया सावन सोमवार व्रत भगवान को प्रसन्न करता है और वे भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए और विवाहित महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सावन सोमवार का व्रत करती हैं।
सावन सोमवार व्रत पापों का नाश करता है और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी कष्ट दूर होते हैं। व्रत के दौरान सात्विक भोजन करने से शरीर शुद्ध होता है और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।
व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं?
इस व्रत में सात्विक भोजन का सेवन किया जाता है। फलाहार के तौर पर फल, सब्जियां, साबूदाना की खीर, कुट्टू के आटे की रोटी आदि खाए जा सकते हैं। व्रत के दौरान लहसुन, प्याज, मांसाहार और शराब का सेवन वर्जित होता है। कुछ लोग निर्जला व्रत भी रखते हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले स्वास्थ्य की स्थिति का ध्यान रखना जरूरी है। शाम को सूर्यास्त के बाद व्रत का पारण किया जाता है।