नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। सनातन धर्म में त्योहारो को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, और सभी त्योहारो का अपना एक खास महत्व होता है। इनमें से एक है दिवाली का त्योहार। दिवाली का पर्व हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहारो में से एक है और इसे सभी लोग बहुत ही उत्साह के साथ मनाते है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि, दिवाली के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी घरों में भम्रण करती हैं। इसलिए साफ-सफाई और पूजा पाठ का खास ध्यान रखा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस साल 31 अक्तूबर या 1 नवंबर 2024 को दिवाली मनाई जाएगी। यह पांच दिन का दीपोत्सव होता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज के दिन किया जाता है। इस दौरान हर दिन के त्योहार के हिसाब से अलग-अलग पूजन सामग्रियों की आवश्यकता पड़ती हैं। ऐसे में आप दिवाली आने से पहले ही पूजन की सभी सामग्रियों को एकत्रित कर लें। तो आइए जानते है सभी सामग्रियों के बारे में।
दिवाली पूजा सामग्री
- धन्वंतरि या कुबेर जी की मूर्ति
- गोवर्धन पूजा के लिए गाय का गोबर
- रंगोली के लिए रंग
- भगवान गणेश और लक्ष्मी माता की तस्वीर या मूर्ति
- रूई की बत्ती
- दीए जलाने के लिए तेल या घी
- रोली
- चावल
- हल्दी
- चौक बनाने के लिए आटा
- भाई दूज के लिए गोला
- दीपावली की सजावट का सामान
- प्रसाद के लिए मिठाई मंगा लें
- फूल और पान
- चांदी का सिक्का
- सभी भगवानों के श्रृंगार का सामान
- मिट्टी के छोटे दीए
- शुभ-लाभ
- बंधनवार
- तोरण
- फूलों की लड़ियां
- ताजे फूल
- लाइट्स
- भगवान के वस्त्र
- साबुत नारियल
- अगरबत्ती
- पीतल का दीपक
- कलावा
- साबुत गेहूं के दाने
आरती की किताब। यदि किताब न मिलें, और आप यहां से आरती पढ़ सकती हैं।
मां लक्ष्मी की आरती
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
भगवान गणेश की आरती
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥