- शहर के लोगों की उम्मीद अभी तक नहीं उतरी जमीन पर
- मूल काम में ही देरी से सवालों में नगर निगम प्रशासन की कार्यशैली
जनवाणी ब्यूरो |
ऋषिकेश: देश-दुनिया में योग की अंतर राष्ट्रीय राजधानी के रूप में विख्यात तीर्थनगरी ऋषिकेश के नए नवेले नगर निगम का डेढ़ साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन इस कार्यकाल में निगम का प्रशासन जनता की उम्मीदों पर खरा उतरता नजर नहीं आ रहा है। शहर में अभी तक दशकों से बनी कूड़ा निस्तारण की समस्या हल नहीं हो पाई है।
इसके साथ ही मोक्षदायिनी गंगा की मुख्य जलधारा भी त्रिवेणी घाट से दूर बह रही है। हालांकि इसबीच निगम की ओर से प्रचार और प्रसार पर काफी रकम खर्च की जा चुकी है। खास बात यह है कि इस डेढ़ साल में निगम से जुड़े कई विवाद भी लगातार सामने आते रहे हैं।
दरअसल, ऋषिकेश की नगरपालिका को अपग्रेड कर सरकार ने नगर निगम का दर्जा दिया, तो स्थानीय नागरिकों को उम्मीद जगी कि शायद शहर में दशकों से एक ही स्थान पर डंप किए जा रहा कूड़े का पहाड़ हटेगा। उन्हें यह भी उम्मीद थी कि इस कचरे के हटने से दुर्गंध और संक्रमण से भी निजात मिल सकेगी, मगर उनकी यह उम्मीद अभीतक जमीन पर नहीं उतर पाई है। जबकि, नगर निगम प्रशासन अपना डेढ़ साल का कार्यकाल पूरा कर चुका है।
दिलचस्प बात यह है कि चुनाव के दौरान घोषणा पत्र में कूड़ा निस्तारण के साथ ही गंगा की मुख्य जलधारा के अलावा अन्य कई वायदों को करने वाले जनप्रतिनिधि भी इसपर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं।
बता दें कि, इस डेढ़ साल के कार्यकाल में निगम ने प्रचार और प्रसार में किसी तरह की कोई कमी नहीं छोड़ी है। शहर में हर चैक-चैराहे और गलियों तक में तमाम तरह के होर्डिंग, बैनर और बोर्ड चस्पा किए गए। लिहाजा, ऐसे में एक बार फिर मूल काम साफ-सफाई और कूड़ा निस्तारण को लेकर निगम की कार्यशैली पर भी अब सवाल उठ रहे हैं।
डेढ़ साल में क्या क्या नहीं हुआ
- कूड़ा निस्तारण के लिए टचिंग ग्राउंड की व्यवस्था
- गंगा की मुख्य जलधारा को त्रिवेणी घाट तक लाना
- आस्थापथ को मुनिकीरेती से जोड़ने के लिए ब्रिज का निर्माण
- राष्ट्रीय राजमार्ग से लेकर आंतरिक मार्गों का चैड़ीकरण
- नगर निगम में मर्ज ग्रामीण इलाकों में सिविल लाइन बिछाना
वह मामले, जो बने सुर्खियां
- नगर निगम से बेशकीमती संपत्तियों की फाइलों का चोरी होना
- निगम क्षेत्र में छोटे व्यापारियों से तहबाजारी वसूलना
- शहर में वेंडिंग जोन के निर्माण को लेकर आंदोलन
- संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के चैक का निर्माण
- सड़क का निर्माण किए बगैर लोकार्पण का बोर्ड चस्पा करना
- शहर में छोटी सब्जी मंडी की शिफ्टिंग का मामला