Tuesday, July 9, 2024
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इस जन्म के कर्म

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Amritvani


एक गांव में एक विद्वान पंडित रहता था। लोग उसके पास अपनी समस्या लेकर आते। वह सबका समाधान कर देता था। मगर उसकी खुद की स्थिति खराब थी। उसकी पत्नी हर समय झगड़ा करती, मगर पंडितजी हंसकर सह लेते थे। एक बार एक आदमी उनके पास अपनी समस्या लेकर आया।

उसने देखा कि उनकी पत्नी उन्हें बुरा भला कह रही है। पंडित जी उसकी बात को सुन रहे हैं और हंस रहे हैं। ऐसा नहीं लग रहा था कि वह अपनी पत्नी की बातों से जरा भी क्रोधित हो रहे हैं। वह यह सोचकर वापस जाने लगा कि जो अपना भाग्य नहीं संवार सका, वह मेरी क्या मदद करेगा। इसकी तो अपनी पत्नी भी बस में नहीं है।

मगर जो उसको लेकर आया था, वह बोला, ‘जब हम इतनी दूर आए हैं, तो क्यों न आजमाकर देखें।’ वे अंदर चले गए। उसने कहा, ‘पंडितजी मेरे मन में एक संशय है, मैं आप से कहूं।’ पंडितजी ने कहा, ‘आप जो चाहे पूछो, आपकी हर बात का समाधान करने की कोशिश करूंगा।’ वह व्यक्ति बोला, ‘जब आप अपनी समस्या का समाधान नहीं कर सकते, तो हमारी कैसे करेंगे? आपकी पत्नी ही आपके कहने में नहीं है।’ पंडितजी कहने लगे, ‘मेरी पत्नी पहले जन्म में ऊंटनी थी। एक बार इसका पांव दलदल में चला गया।

यह उससे निकल नहीं सकी। उस जन्म में मैं एक गिद्ध था। मैं इसका मांस नोंच-नोंचकर खाने लगा। यह असहाय अवस्था में मुझे हटा न सकी। मुझसे बदला लेने की भावना मन में लिए यह मर गई। जैसे मैंने इससे नोंच-नोंच कर खाया, यह इस जन्म में मुझे इसी तरह कचोटती है। मैं इसकी इन बातों का बुरा नहीं मानता। इसलिए हमें इस जन्म में ऐसे कर्म नहीं करने चाहिए कि कोई हमसे बदले की भावना लिए संसार से जाए और हमें किसी न किसी जन्म में पकड़े।’


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