- स्कूली बच्चों से लेकर खाकीधारी तक सभी तोड़ते है नियम, कान पर फोन लगाकर दौड़ाते है वाहन
- शहर की सड़कों पर सरेआम उड़ाई जाती है यातायात नियमों की धज्जियां
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: यातायात नियमों का पालन करने के लिए लोगों को जागरूक करने के इरादे से चलाए जा रहे सड़क सुरक्षा पखवाड़े का असर सड़कों पर नहीं दिख रहा है। मेरठ की सड़कों पर वाहन चालक यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। हैरानी की बात यह है कि इन नियमों को तोड़ने में खाकीवर्दी वाले भी पीछे नहीं है। उधर, स्कूली बच्चे दुपहिया वाहन पर तीन-तीन सवार होकर तेजी से वाहन दौड़ाते है। इन सभी पर यातायात पुलिस कर्मियों का कोई ध्यान नहीं है। वाहन चालक कान पर फोन लगाकर बात करते हुए चौराहों से गुजरते है। जिससे हादसा होने का भी डर बना रहता है, लेकिन शायद मेरठ की जनता को चालान का ही नहीं, बल्कि हादसों से भी डर नहीं लगता है।
दरअसल, जनवाणी समाचार पत्र के कैमरे में ऐसे बड़ी संख्या में लोग कैद हो गए, जो सड़कों पर ट्रिपलिंग करने के साथ वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करते हुए जा रहे थे। मेरठ शहर की हर सड़क पर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए वाहन चालक दिखे। इनमें सबसे अधिक संख्या स्कूली बच्चों की रही। स्कूल से निकलने के बाद वह एक दुपहिया वाहन पर ही तीन-तीन बैठकर बिना हेलमेट का इस्तेमाल किए वाहन चलाते है। इतना ही नहीं, उनके वाहनों की स्पीड भी कम नहीं होती है। सोमवार को भी वेस्टर्न कचहरी रोड, मवाना रोड, हापुड़ रोड, दिल्ली रोड, माल रोड, कमिश्नरी चौक, साकेत चौराहा, जेल चुंगी, अम्बेडकर चौक, बच्चा पार्क, ईव्ज चौराहा आदि से गुजरने वाले वाहन चालकों में अधिकांश संख्या नियमों को तोड़ने वालों की पाई गई।
देखा गया कि कोई मोबाइल पर बात करता हुआ जा रहा है, तो कोई तीन-तीन, चार-चार लोगों को बैठाकर चल रहा है। इसके अलावा बिना हेलमेट के वाहन दौड़ा रहे हैं। कई पुलिस वाले भी दिखे, जो मोबाइल पर बात करते हुए जाते दिखे। अब ऐसे में साफ होता है कि आखिर जब सड़क सुरक्षा पखवाड़े में विभाग इन सब पर रोक नहीं लगा पा रहे है तो आम दिनों में किस कदर नियमों का उल्लंघन किया जाता होगा। क्या चौराहों पर खड़े रहने वाले यातायात पुलिस कर्मियों का मकसद सिर्फ उगाही करना रह गया है? या फिर वाहन चालकों भी खुद की परवाह नहीं है। वह यह भी भूल गए हैं उनकी इस लापरवाही से बड़ा हादसा भी हो सकता है। मेरठ में इस तरह के हालात को देखते हुए लोगों को समझने की जरूरत है।
अभिभावकों को भी जागरूकता की जरूरत
जिस तरह से सड़कों पर स्कूली बच्चे वाहन लेकर तेजी से दौड़ रहे है, ऐसे में अभिभावकों को जागरूकता की जरूरत है। उन्हें समझना होगा कि अभी इस उम्र में वह अपने बच्चों के हाथों में वाहन गलत दे रहे हैं। यह नियम के विरुद्ध तो है ही, इसके साथ उनकी जान से खिलवाड है। बच्चों की नासमझी उन्हे हादसों का शिकार बना सकती है, क्योंकि वह दुपहिया वाहनों पर तीन-तीन बैठकर वाहनों को तेज गति से चलाते हैं। इसमें छात्र-छात्राएं सभी शामिल है। जनवाणी समाचार पत्र भी अभिभावकों से अपील करता है कि वह अपने बच्चों को खुद ही स्कूल तक छोड़ने के लिए आएं। उनके हाथों में अभी से ही वाहन ना थमाएं।