- परतापुर क्षेत्र में गई थी एमडीए की टीम, मारपीट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कूंडा में अवैध निर्माण रुकवाने पहुंची एमडीए की टीम को लोगों ने दौड़ा लिया तथा अभद्रता की। लोगों का कहना था कि एमडीए के इंजीनियर जब घूस ले चुके है फिर उनके घर पर नोटिस चस्पा करने के लिए कैसे पहुंच गए? इसको लेकर बवाल हो गया। मेट सुरेश व उसके साथी को भीड़ ने पकड़ लिया। भीड़ ने दोनों को दौड़ लगवा दी।
फिर ये मामला परतापुर थाने पहुंचा, मगर बात इंजीनियर के पैसे लेने की आ रही थी, जिसके बाद एमडीए के लोग बैकफुट पर आ गए। बाद में दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया तथा एमडीए कर्मचारियों ने अपनी तहरीर वापस ले ली। बड़ा सवाल यह है कि जब अवैध हॉस्टल बनाये जा रहे है तो उन पर एमडीए इंजीनियर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं? अवैध निर्माण को एमडीए इंजीनियर संजीव तिवारी ने संरक्षण क्यों दिया?
संजीव तिवारी पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे, लेकिन जब मामला फंसता दिखाई दिया तो एमडीए इंजीनियर बैकफुट पर आ गए। इसमें निर्माण कराने के बदले में घूसखोरी के आरोप लगे। इस पूरे घटनाक्रम में एमडीए कर्मचारियों ने परतापुर थाने पहुंचकर आरोपियों के खिलाफ तहरीर भी दे दी थी, लेकिन बाद में इंजीनियरों ने तहरीर यह कहकर वापस करा दी कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है।
जो भी घटनाक्रम हुआ, वह भ्रमवश हुआ। इस तरह से इस पूरे प्रकरण पर लीपापोती कर दी गई। अब सवाल यह है कि एमडीए इंजीनियर जब मान चुके है कि ये अवैध निर्माण तो इनको कब गिराया जाएगा? इसके लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए तथा इंजीनियरों पर कार्रवाई होनी चाहिए। एमडीए के अधिकारियों को इस प्रकरण का संज्ञान लेकर जिस इंजीनियर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे है, उन पर कार्रवाई करनी चाहिए, तभी भ्रष्टाचार के लग रहे आरोपों से छवि को साफ किया जा सकता हैं।