Wednesday, July 9, 2025
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आस्कर में मेरठ के बेटे का भी कमाल

  • अवार्ड से मेरठ में खुशी की लहर, ईरा कालोनी में रहता है दी एलीफेंट व्हिस्परर्स के एडीटर का परिवार

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: आस्कर जीतना हर किसी की जिंदगी का सबसे बड़ा सपना होता है। हिंदुस्तान की कई फिल्में आस्कर के लिये नोमिनेटेड हो चुकी हैं लेकिन उनको पदक अभी तक नहीं मिला है। सोमवार को जैसे ही शार्ट फिल्म कैटेगरी में दी एलीफेंट व्हिस्परर्स को गोल्ड मेडल देने की घोषणा हुई तभी दिल्ली देहरादून हाईवे स्थित ईरा माल में रहने वाले राकेश चौधरी ने अपने बेटे एकेश्वर चौधरी को फोन लगाकर बधाई दी लेकिन बेटा इतनी बड़ी खुशी पाने के बाद रुंधे हुए गले से बोला सब टीम वर्क का कमाल है।

ईरा माल में रहने वाले राकेश चौधरी मूल रुप से गुलावठी के रहने वाले हैं और खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि बेटा एकेश्वर पढ़ाई में बहुत ज्यादा होशियार नहीं था, लेकिन ट्रांसलेम एकेडमी से इंटर करने के बाद वह मध्य प्रदेश पढ़ने चला गया। बेटा शुरु से कहता था कि उसे फिल्म निर्माण, संपादन के क्षेत्र में जाना है। इसको लेकर राकेश चौधरी ने कभी भी अपने बेटे को हतोत्साहित नहीं किया।

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एकेश्वर ने विज्ञापन एजेंसियों में काम किया और एडीटिंग की तकनीकी बारीकियां भी सीखी। इस कारण सुभाष घई के फिल्म इंस्टीटयूट में एडमीशन ले लिया और क्रियेटिव डायरेक्टर का कोर्स भी किया। इससे एकेश्वर को अन्य संस्थानों से जुड़ने का मौका भी मिला। पिता ने बताया कि रचनात्मकता ज्यादा होने के कारण कई डायरेक्टरों ने उससे संपर्क करना शुरु कर दिया। जब उसे दी एलीफेंट व्हिसपरर्स में काम करने का मौका मिला तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। एकेश्वर ने बताया कि उसे उम्मीद थी कि शार्ट डाक्यूमेंट्री उसके भविष्य को तय करेगी।

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आस्कर जैसा प्रतिष्ठित अवार्ड जीतने के बाद उसका कहना है कि एडीटिंग के क्षेत्र में कामयाबी मिलना और वो भी आस्कर जैसा अवार्ड वाकई जिंदगी में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली है। मुंबई में रह रहे एकेश्वर ने दिन में कई बार अपने माता पिता से बात की और कहा कि पूरी टीम इस कदर खुश है कि किसी के मुंह से शब्द नहीं निकल रहे हैं। एकेश्वर चौधरी की पत्नी लक्ष्मी चौधरी के चेहरे पर खुशी समाई नहीं जा रही थी। उसने कई बार अपनी सास लक्ष्मी चौधरी को फोन करके कहा कि आप लोगों का आर्शीवाद काम आया।

क्या है दी एलीफेंट व्हिसपर्स?

द एलिफेंट व्हिसपर्स की कहानी दो हाथियों और उनकी देखभाल कर रहे बमन और बेला पर आधारित है। इस फिल्म को प्रकृति से जोड़ते हुए दिखाया गया है। फिल्म की पूरी कहानी हाथी और उसके मालिक के प्यार के ऊपर बनी है। कहानी में दोनों के बीच के संबंध को दिखाया गया है, कि वह किस प्रकार से अपने हाथी के साथ खेलता है, मस्ती करता है, साथ ही उसकी पत्नी भी उस हाथी के साथ खेलते हुए मस्ती करते हुए दिखाई गई है।

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इस फिल्म की एडीटिंग ही इसकी जान है और एकेश्वर को इसका ईनाम भी मिला है। बीते दिनों इस फिल्म को लेकर प्रियंका चोपड़ा ने भी तारीफ की थी। प्रियंका चोपड़ा ने अपने इंस्टाग्राम पर स्टोरी साझा की थी, जिसमें उन्होंने एस पोस्टर शेयर किया था। उन्होंने लिखा था, भावनाओं से भरी दिल को छू लेने वाली डॉक्यूमेंट्री, मैंने हाल ही में देखी है बहुत अच्छी लगी है। इस अद्भुत कहानी को जीवंत करने के लिए कार्ति गोंसाल्विस और गुनीत मोंगा को बहुत बहुत धन्यवाद।

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