- शासनादेश की अनदेखी कर रहे निगम अधिकारी
- 29 जून को नगर निगम ने 45 कर्मचारियों का किया था पटल परिवर्तन, 10 पर मेहरबानी क्यों?
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शासनादेश की किस तरह धज्जियां उड़ाई जाती है। इसका उदाहरण है नगर निगम में पिछले कई सालों से एक ही पटल पर जमे कर्मचारी। 29 जून को नगर आयुक्त ने 45 कर्मचारियों का पटल परिवर्तन किया था, लेकिन 10 कर्मचारियों को राहत देते हुए उन्ही पटलों पर रखा गया।
जिन पर वह पिछले कई सालों से जमे हुए हैं। जबकि शासनादेश में साफ कहा गया है कि एक ही पटल पर तीन साल से अधिक समय पूरा कर चुके कर्मचारियों को हटाया जाए।
इन कर्मचारियों का हुआ पटल परिवर्तन
नगर निगम ने कुल 45 कर्मचारियों का पटल परिवर्तन किया है। जिनमें लिपिक गुलशन धींगड़ा, लिपिक मदन पाल, टैक्स कलेक्टर संजीव मित्तल, लिपिक मो. शाहिद, लिपिक अनिल हाण्डा, लिपिक आशा गर्ग, लिपिक संगीता शर्मा, लिपिक संजय रस्तोगी, लिपिक प्रदीप शुक्ला, टैक्स कलेक्टर हरबीर सिंह, लिपिक मुकेश गेहरा, लिपिक सुशील शर्मा, लिपिक शाकेब खान, लिपिक सुरजीत सिंह, लिपिक नकुल वत्स,
अनिल कुमार, लिपिक सुनीता उपाध्याय, लिपिक आनंद प्रकाश, टैक्स कलेक्टर रईस, सुनील दत्त, लिपिक सविता शर्मा, लिपिक रामेन्द्र प्रताप, लिपिक ऋतु शर्मा, लिपिक संदीप कुमार, लिपिक रविकांत शर्मा, सुनील शर्मा, लेखक संजय मोहन, आलोक शर्मा, लिपिक जीत सिंह वर्मा, टैक्स कलेक्टर सुनील सैनी, लिपिक विकास शर्मा, लिपिक मुकेश हांडा, टैक्स कलेक्टर अरुण कुमार, लिपिक चिन्टू सिसौदिया,
लिपिक प्रितेश राघव, लिपिक नितेश कुमार, लिपिक तनुज कुमार, लिपिक संदीप शर्मा, लिपिक विनीता धामा, लिपिक सुभाष पाल, लिपिक मुकुल प्रिंस, टैक्स कलेक्टर आयुष कुमार, लिपिक सुरेश तोमर, लिपिक अक्षत आनंद व लिपिक मधु आदि।
सालों से एक ही पटल पर जमे कर्मचारी
शासनादेशों की अवहेलना करते हुए निर्माण विभाग के कर्मचारी प्रदीप जोशी 9 सालों से, लेखा विभाग के कर्मचारी निशांत शर्मा 20 सालों से, गृहकर विभाग के विशाल शर्मा 20 सालों से, वाहन डिपो के कर्मचारी धर्मेश उर्फ धर्मेंद्र 22 सालों से, वाहन डिपो के कर्मचारी राजेश कुमार 15 सालों से, डूडा के कर्मचारी जगत पार्चा 9 सालों से, स्टोर जलकल विभाग के कर्मचारी सुरेन्द्र कुमार 10 सालों से,
अधिष्ठान विभाग के कर्मचारी अंकुर विश्नोई 9 सालों से, कम्प्यूटर जन्म-मृत्यु विभाग के कर्मचारी दिनेश सिंह 10 सालों से व विधि विभाग के कर्मचारी कुलदीप कपूर पिछले 20 सालों से इसी पटल पर जमे है। इन कर्मचारियों को अधिकारियों ने राहत देते हुए उसी पटल पर रखा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन कर्मचारियों का सालों से पटल परिवर्तन नहीं किया गया है। उनसे निगम के ही एक जिम्मेदार अधिकारी ने मोटा सुविधाशुल्क वसूला है।
अभी हाल ही में निगम के कई कर्मचारियों का पटल परिवर्तन किया गया है। जिन कर्मचारियों का पटल पर परिर्वतन नहीं करने की बात की जा रही है वह निराधार है। निगम ने अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभाई है।
-अवधेश कुमार, प्रभारी कर्मिक और मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, नगर निगम
लिपिक पर लगाए गंभीर आरोप, कमिश्नर से शिकायत
उत्तर प्रदेशीय सफाई मजदूर संघ के पदाधिकारियों ने नगर निगम के लिपिक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कमिश्नर से शिकायत की है। शिकायत पत्र में आरोप लगाए गए कि आरोपी लिपिक ने निगम की एक महिला सहकर्मी का उत्पीड़न किया था जिसकी शिकायत पुलिस में भी की गई थी।
साथ ही सफाई कर्मियों की सेवा पुस्तिकाओं में भी इसी लिपिक ने हेराफेरी करते हुए उन्हें सेवा विस्तार का लाभ दिया। लिपिक स्टोर कर्मचारी होने के बावजूद नगर स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में बैठकर मनमानी करता है। मनमाने ढंग से वार्ड सफाई नायक बनवाने, अवैध मांग की पूरी नहीं करने वाले सफाई कर्मियों के दूसरी जगह ट्रांसफर कराकर उत्पीड़न कराना, वर्तमान नगर स्वास्थ्य अधिकारी जिनका मूल पद पशु चिकित्साधिकारी है।
उनका मुख्य लिपिक का कार्य करना जबकि आरोपी लिपिक राजेश क्लर्क है। जबकि ललित जो मुख्य लिपिक है। उनकी जगह खुद काम करता हैं जिससे वह अपनी उपेक्षा महसूस कर रहे हैं। इन शिकायतों को लेकर उत्तर प्रदेशीय सफाई मजदूर संघ प्रतिनिधिमंडल जिसमें अध्यक्ष शिवकुमार नाज, मुख्य सलाहकार व संरक्षक अधिवक्ता सुभाष गोस्वामी, महामंत्री सतीश छजलाना, कार्यकारी अध्यक्ष विनेश विद्यार्थी, संयुक्त मंत्री नरेंद्र सागर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेम किशन टांक आदि आयुक्त से मिले और कारवाई की मांग की।