जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को पहली बार अपने नए सरकारी आवास पर इंडिया गठबंधन के प्रमुख नेताओं को डिनर पर आमंत्रित किया। इस ‘डिनर डिप्लोमेसी’ के जरिए राहुल ने न केवल सहयोगी दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया, बल्कि राजनीतिक स्तर पर एकजुटता का भी बड़ा संदेश दिया।
बैठक में कौन कौन हैं शामिल?
बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव, शिवसेना (उद्धव गुट) के उद्धव ठाकरे, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला समेत कई वरिष्ठ विपक्षी नेता शामिल हुए। यह पहला मौका था जब राहुल गांधी ने स्वयं इन नेताओं को फोन कर आमंत्रित किया।
बैठक के प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
- बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और चुनावी धांधली के आरोप
बैठक का मुख्य फोकस बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और 2024 लोकसभा चुनावों में कथित धांधली के आरोपों पर रहा। राहुल गांधी पहले ही यह दावा कर चुके हैं कि लगभग 70-80 सीटों पर धांधली हुई है, जिससे गठबंधन को नुकसान हुआ। विपक्ष ने इसे “लोकतंत्र पर हमला” बताते हुए चुनाव आयोग तक मार्च करने की रणनीति पर चर्चा की।
- भारत-अमेरिका व्यापार समझौता और ट्रंप की टैरिफ धमकी
राहुल गांधी की हालिया सोशल मीडिया पोस्ट के बाद, बैठक में अमेरिका के साथ संभावित व्यापार समझौते और डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ धमकी को लेकर भी चर्चा हुई। विपक्ष ने इसे भारत पर “आर्थिक दबाव” करार देते हुए केंद्र सरकार की विदेश और आर्थिक नीति पर सवाल उठाए। विशेषकर कृषि और डेयरी क्षेत्रों के हितों की रक्षा को लेकर चिंता जताई गई।
- उपराष्ट्रपति चुनाव
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद खाली हुए उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष ने एक साझा उम्मीदवार उतारने की योजना पर विचार किया। विपक्ष का मानना है कि यदि रणनीति मजबूत रही तो मुकाबला दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- टीएमसी की वापसी और विपक्षी एकता
बैठक में तृणमूल कांग्रेस की भागीदारी को विशेष महत्व दिया गया, क्योंकि यह लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार हुआ है जब टीएमसी किसी INDIA गठबंधन की बैठक में शामिल हुई। ममता बनर्जी की मौजूदगी विपक्षी एकता को एक नया आयाम देती नजर आई। इससे यह संकेत भी मिला कि बिहार के SIR मुद्दे पर कांग्रेस, टीएमसी और डीएमके जैसे दल अब एकजुट होकर आगे बढ़ सकते हैं।
- अन्य रणनीतिक मुद्दे
संसद में सरकार को घेरने के लिए विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम आतंकी हमला, चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव, और विदेश नीति जैसे विषयों पर भी सामूहिक रणनीति तय की। विपक्ष का मानना है कि इन मुद्दों पर सरकार को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
राजनीतिक संदेश और आगे की राह
यह बैठक जहां एक ओर राहुल गांधी के नेतृत्व को मजबूती देती दिखी, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के बीच मतभेदों को कम करने का प्रयास भी नजर आया। गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनाव में भले ही बहुमत से पीछे रह गया हो, लेकिन यह बैठक दिखाती है कि विपक्ष आने वाले विधानसभा चुनावों और राष्ट्रीय मुद्दों पर साझा रणनीति बनाकर केंद्र सरकार को चुनौती देने के मूड में है।