जनवाणी संवाददाता |
सहारनपुर: मुहर्रम की पहली तारीख को नगर के विभिन्न इमामबाड़ों में मजालिस-ए-अजा का आयोजन हुआ, जिसमें हजरत मुस्लिम अलैहिस्सलाम की शहादत का फलसफा बयान किया गया। मजालिस में मरसिया ख्वानी के साथ आसिफ अल्वी, सलीस हैदर काजमी, हमजा जैदी, सलीम आब्दी और ख्वाजा रईस अब्बास ने शिरकत की।
पहली मजलिस इमामबाड़ा सामानियान, मोहल्ला कायस्थान में हुई, जहां हुज्जत-उल-इस्लाम मौलाना डा. सैय्यद फतेह मुहम्मद जैदी ने खिताब किया। दूसरी मजलिस बड़ा इमामबाड़ा जाफर नवाज में हुज्जत-उल-इस्लाम मौलाना मिर्जा जावेद ने और तीसरी मजलिस छोटा इमामबाड़ा अन्सारियान में हुज्जत-उल-इस्लाम मौलाना सैय्यद मीसम नकवी ने संबोधित किया।
शिया विद्वानों ने बताया कि हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने चचेरे भाई हजरत मुस्लिम को कूफा में दूत बनाकर भेजा था, जहां गवर्नर इब्ने जियाद ने उन्हें बंदी बनाकर शहीद कर दिया। विद्वानों ने इमाम हुसैन के अहिंसा के रास्ते को अपनाने और आतंकवाद के खिलाफ शांति का संदेश दिया। मजालिस के अंत में अंजुमन-ए-अकबरिया, इमामिया और सोगवारे अकबरिया ने नौहा ख्वानी और सीनाजनी की।