Saturday, July 27, 2024
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जिला कारागार में क्षमता से अधिक बंदी, क्राइम नहीं हो रहा कंट्रोल

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जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: जिले में अपराध के मामले इस कदर बढ़ रहे है कि जिला कारागार आरोपियों से भर गई है। जिसमें आजीवन कारावास व अन्य सजायापता के भी कैदी है। जिला कारागार का हाल ऐसा है कि बागपत जेल के अलग होने के बावजूद इस वक्त क्षमता से अधिक बंदी है। कारागार में लगातार बढ़ रही अपराधियों की संख्या से प्रतीत होता है कि जिले में इस वक्त अपराध चरम पर है। जिसे कंट्रोल करने में जिला पुलिस नाकाम साबित हो रही है।

1800 बंदियों की जिला कारागार में है क्षमता

जिला कारागार की क्षमता 1800 बंदियों की है। हालांकि पहले बागपत के बंदी भी इसी जेल में बंद होते थे, लेकिन बसपा सरकार में बागपत को जिला बना दिया था। इसके बाद वहां पर बागपत के बंदियों के लिए अलग जेल बना दी गई थी।

बागपत जेल के अलग होने के बाद कुछ दिनों तक जिला कारागार में बंदियों की संख्या क्षमता के अनुसार रही, लेकिन लगातार बढ़ रहे अपराधों के चलते इस वक्त जिला कारागार में बंदियों की संख्या क्षमता से अधिक 2900 तक पहुंच गई है। हालांकि जिला कारागार में इस वक्त राजनीतिक एक भी बंदी नहीं है।

कारागार में महज 767 हिंदू बंदी, बाकी संप्रदाय विशेष के

जिला कारागार में इस वक्त 2900 बंदी निरुद्ध है। इनमें 767 बंदी हिंदू है तो बाकी सभी संप्रदाय विशेष के बंदी है। इनमें 125 महिला बंदी भी है। हालांकि कोरोना काल की दूसरी लहर में प्रशासन के आदेश पर कुछ बंदियों को पैरोल पर छोड़ दिया गया था, लेकिन अब उन्हें दोबारा से वापस बुलाया जा रहा है।

वहीं, संप्रदाय विशेष के बंदियों की संख्या दो हजार से अधिक होने से प्रतीत होता है कि जिले में सबसे ज्यादा अपराध संप्रदाय विशेष के लोग ही कर रहे है। ऐसे में जिला पुलिस को संप्रदाय विशेष के अपराधियों पर कड़ी नजर रखने की जरुरत है।

क्षमता से डेढ़ गुना अधिक है बंदी

वरिष्ठ जेल अधीक्षक राकेश कुमार का कहना है कि जिला कारागार में इस वक्त संप्रदाय विशेष के बंदियों की संख्या अधिक है। क्षमता से डेढ़ गुना अधिक बंदी रखे गए है। जिस कारण कई तरह की समस्याएं सामने आ रही है।

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