Wednesday, July 9, 2025
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ईश्वर सर्वज्ञ और सच्चिदानंद स्वरूप है: विष्णुमित्र

  • आर्य समाज में तीसरे दिन हुए यज्ञ, भजन, प्रवचन

जनवाणी ब्यूरो |

शामली: आर्य समाज मंदिर शामली द्वारा 146वें स्थापना दिवस के अवसर पर चतुर्दिवसीय आर्य सम्मेलन के तीसरे दिन वैदिक यज्ञ, भजन व प्रवचनों के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। वैदिक विद्धान आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी ने कहा कि ईश्वर सच्चिदानंद स्वरूप है। जिसका अर्थ ईश्वर के अपने रूप का वर्णन से है।

गुरुवार को आर्य समाज में प्रात: वैदिक यज्ञ आयोजन किया गया। मुख्य यज्ञमान प्रधान सुभाष गोयल आर्य व सुदेश गोयल, प्रदीप संगल व बबीता आर्य, पीयूष आर्य व वर्तिका आर्य, मनोज गोयल व मंजू आर्य रही। यज्ञ के ब्रह्मा आर्य समाज के पुरोहित डा. रविदत्त शास्त्री रहे। जिसके बाद भजनोपदेशक नरेंद्र दत्त आर्य ने भजनों के माध्यम से आर्यजनों का मार्ग दर्शन किया।

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आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी ने सत्संग भवन में प्रवचन करते हुए कहा कि योगी योग साधना से परमात्मा के दर्शन कर सकता है किंतु परमात्मा के आलौकिक स्वरूप वर्णन नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि सच्चिदानंद तीन शब्दों सत, चित और आनंद शब्द से मिलकर बना है।

अर्थ शास्वत रहने वाला जिसका आदि और न अंत हो। ईश्वर, आत्मा और प्रकृति का कभी विनाश नहीं होता है। उन्होंने कहा कि चित का अर्थ चेतन होता है। चेतन वह होता है जिसमें ज्ञान व गति का गुण हो, जिसमें यह गुण न हो व जड़ है। जीवात्मा और परमात्मा चेतन है, जो चेतन होता है वही चेतना जगा सकता है। इस दौरान उन्होंने स्वामी श्रद्धानंद और स्वामी दयानंद सरस्वती का एक प्रसंग सुनाकर जड़ और चेतन के रहस्य को सरल शब्दों में समझाया।

इस अवसर पर संरक्षक रघुवीर सिंह आर्य, पूरण चंद आर्य, प्रधान सुभाष गोयल, मंत्री सुभाष धीमान, कोषाध्यक्ष रविकांत आर्य, दैनिक यज्ञ प्रभारी राजपाल आर्य, दिनेश आर्य, बीरबल आर्य, वेदप्रकाश आर्य, सत्यप्रकाश आर्य, लखमी चंद, रामेश्वर दयाल आर्य, संजय धीमान, सुधाकर आर्य, अशोक आर्य, सतीश धीमान, शारदा आर्य, कौशल्या आर्य, मिथलेश आर्य, पूनम आर्य, मंजू आर्य, अर्चना आर्य, हेमलता आर्य आदि उपस्थित रहे।

स्वामी दयानंद ने किया कुरीतियों का उन्मूलन: संगल

गुरुवार को आर्य समाज में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व नपा चेयरमैन अरविंद संगल रहे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ईश्वर सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता है। सत्य को ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए। देश की आजादी से पहले समाज में अनेक कुरीतियां व्याप्त थी।

स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना कर कुरीतियों दूर किया। कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि पूर्व नपा चेयरमैन अरविंद संगल को आर्य समाज के पदाधिकारियों ने शॉल ओढ़ाकर व वैदिक पुस्तिका भेंट कर सम्मानित किया गया।

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