
क्रिकेट उपमहाद्वीप में महज एक खेल नहीं, बल्कि एक ज्वलंत युद्ध है—जो दिलों में आग लगाता है, सीमाओं को लांघता है और हर भारतीय के सीने में गर्व की लहर दौड़ाता है। जब भारत और पाकिस्तान के बीच मैदान पर टक्कर होती है, तो हर गेंद एक कहानी रचती है, हर रन एक सपना बुनता है, और हर जीत राष्ट्र के साहस को विश्व पटल पर उकेरती है। यह 22 खिलाड़ियों का संघर्ष नहीं, बल्कि दो देशों की आत्मा, जुनून और अटल संकल्प का संगम है। लेकिन जब भारत इस ऐतिहासिक रणभूमि से पीछे हटता है, तो यह सिर्फ क्रिकेट का नुकसान नहीं, बल्कि उस चिंगारी का बुझना है, जो भारत की अजेयता को विश्व मंच पर और चमकाने का दम रखती है। मैदान छोड़ना यानी बिना लड़े हार मानना—यह भारत की शान के खिलाफ है।
भारत सरकार का आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ रुख और राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा हर भारतीय के दिल में गर्व जगाती है। मगर सवाल यह उठता है—जब भारत ओलिंपिक, एशियाई खेलों और सैफ खेलों में पाकिस्तान से भिड़ सकता है, तो क्रिकेट जैसे वैश्विक मंच पर तटस्थ स्थानों पर होने वाले टूर्नामेंटों से परहेज क्यों? यह परहेज क्या भारत की उस शक्ति को कमजोर नहीं करता, जो हर चुनौती को अवसर में बदलने का माद्दा रखती है? क्रिकेट का मैदान वह रणक्षेत्र है, जहां खिलाड़ी सिपाहियों की तरह देश का परचम लहराते हैं। जैसे सैनिक सीमा पर दुश्मन का सामना करते हैं, वैसे ही खिलाड़ियों को मैदान पर उतरकर भारत की अजेयता का सबूत देना चाहिए।
भारत-पाकिस्तान के मुकाबले क्रिकेट की दुनिया का ताज हैं। 2023 के विश्व कप में इन दोनों टीमों के बीच हुए मैच को एक अरब से ज्यादा लोगों ने देखा, जिसने क्रिकेट की वैश्विक अपील को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। भारत का इन मुकाबलों से हटना न केवल करोड़ों प्रशंसकों के जज्बात को ठेस पहुंचाता है, बल्कि उस मंच को भी कमजोर करता है, जहां भारत अपनी खेल निपुणता, मानसिक दृढ़ता और कूटनीतिक चातुर्य का परचम लहरा सकता है। जब भारत एशिया कप जैसे टूनार्मेंटों में पाकिस्तान से नहीं भिड़ता, तो यह अनजाने में पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अपनी छवि चमकाने और भारत को कटघरे में खड़ा करने का मौका देता है। यह वॉकओवर देना उसी तरह है, जैसे युद्ध में बिना लड़े मैदान छोड़ देना—यह भारत के गौरव के खिलाफ है।
इतिहास साक्षी है कि भारत ने क्रिकेट के रणक्षेत्र में पाकिस्तान को बार-बार धूल चटाई है। 1992 से 2023 तक विश्व कप में सात शानदार जीतें और 2022 के टी20 विश्व कप में विराट कोहली की ऐतिहासिक पारी ने साबित किया कि भारत न केवल खेलता है, बल्कि जीतता भी है। तटस्थ स्थान पर खेलना भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है, यह दिखाने का कि हम हर मोर्चे पर, चाहे वह सीमा हो या स्टेडियम, अजेय हैं। क्रिकेट का मैदान सिर्फ खेल का अखाड़ा नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक हथियार है। जब भारत मैदान पर पाकिस्तान को हराता है, तो यह स्कोरबोर्ड की जीत नहीं, बल्कि एक वैश्विक संदेश है—भारत न डरता है, न झुकता है।
पाकिस्तान बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ झूठी कहानियां गढ़ता है। वह खुद को खेल भावना का झंडाबरदार बताने की कोशिश करता है, जबकि उसकी नीतियां क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बनी हुई हैं। भारत का मैदान से हटना उसे यह मौका देता है कि वह भारत को कमजोर दिखाए और अपनी छवि चमकाए। लेकिन भारत सरकार की दूरदर्शिता और मजबूत रणनीति ने हमेशा ऐसी साजिशों को नाकाम किया है। अब समय है कि हम क्रिकेट के मैदान पर भी यही जवाब दें—खेलें, जीतें और दुनिया को दिखाएं कि भारत हर चुनौती को स्वीकार करने में सक्षम है।
भारत क्रिकेट के वैश्विक राजस्व का 38 प्रतिशत हिस्सा उत्पन्न करता है (2023 के आंकड़ों के अनुसार), और उसकी आवाज एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) में गूंजती है। ऐसे में, टूनार्मेंटों से हटना भारत की इस प्रभावशाली भूमिका को कमजोर करता है। भारत सरकार ने खेल को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी—2023 के क्रिकेट विश्व कप की शानदार मेजबानी हो या 2036 ओलिंपिक की तैयारियां, भारत ने साबित किया है कि वह खेल के क्षेत्र में भी महाशक्ति है। तटस्थ स्थान पर पाकिस्तान के खिलाफ क्रिकेट खेलना भारत के लिए एक अवसर है—यह दिखाने का कि हम अपने सिद्धांतों से समझौता किए बिना हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।
पाकिस्तान के खिलाफ क्रिकेट मैच सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक है। यह दर्शाता है कि भारत न केवल सीमाओं पर, बल्कि हर मंच पर—चाहे वह खेल हो, कूटनीति हो या वैश्विक मंच—पाकिस्तान को करारा जवाब देना जानता है। यह युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत और विश्व पटल पर भारत की अजेय शक्ति का प्रतीक होगा।