- देश के जाने माने आर्थोपेडिक सर्जन दीपक जोशी ने कहा दूरबीन विधि से हो रहा आपरेशन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: देश के जाने माने आर्थोपेडिक सर्जन डा. दीपक जोशी का कहना है कि खिलाड़ियों को घुटने और कंधे पर लगी चोट को छुपाने की आदत है। यही आदत बाद में उनके लिये लाइलाज बीमारी के रूप में सामने आती है जो उनके स्पोर्ट्स कॅरियर के लिये परेशानी का सबब बन जाती है। डा. जोशी ने देश के तमाम खिलाड़ियों का इलाज कर चुके हैं और उनका मानना है कि खिलाड़ियों में घुटने की चोट की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है।
लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज में आयोजित घुटने के प्रत्यारोपण पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में दिल्ली के डा. दीपक जोशी ने बताया कि उन्होंने इंटरनेशनल पहलवान बजरंग पूनिया और रवि दहिया की चोटों का इलाज किया है। बताया कि सबसे ज्यादा कंधों और घुटनों में दर्द और चोट पहलवानों और क्रिकेटरों को होती है। इसके अलावा फुटबालरों का नंबर आता है। उन्होंने बताया कि पुरुषों में 50 साल और महिलाओं में 45 साल के बाद जांच कराना जरुरी है।
खासकर आर्थराइटिस के कारण इंसान के घुटने और जोड़ कमजोर होने लगते हैं। खिलाड़ियों को नियमित रुप से व्यायाम और खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिये। सबसे खराब बात यह है कि खिलाड़ी को जब चोट लगती है तब उसे वो छुपा ले जाता है जो आगे चलकर उसके लिये बड़ी परेशानी के रूप में सामने आती है। यही कारण है कि तमाम खिलाड़ियों को लिगामेंट की दिक्कत उनके कॅरियर में खतरा बनकर सामने आ जाती है।
डा. जोशी ने बताया कि उनकी ओपीडी में आने वाले 300 मरीजों में से 100 मरीज विभिन्न खेलों के खिलाड़ी होते हैं। उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि हरी सब्जियों का प्रयोग ज्यादा किया जाना चाहिये। इसके अलावा पैदल चलने और व्यायाम करने की आदत डालने से घुटनों और कंधे की बीमारियों से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि अब तो दूरबीन विधि से लिगामेंट और घुटने का इलाज किया जा रहा है। इसमें कम कट लगते हैं और बहुत जल्दी रिकवरी शुरू हो जाती है।
वहीं मुंबई से आए प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन डा. संदीप बिरबसे ने कहा कि बड़े शहरों के मुकाबले अब छोटे शहरों में भी दूरबीन से आपरेशन किये जा रहे हैं। सरकार ने मेडिकल कालेजों में घुटना प्रत्यारोपण का इलाज लगभग निशुल्क कर दिया है। अब तो देश में विदेशी घुटने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों के लिये चोट उनके कॅरियर पर बुरा असर डाल रही है।
बड़े खिलाड़ी तो अपने साथ डाक्टर और फिजियो रखते हैं, जबकि बाकी खिलाड़ियों के पास इस तरह की सुविधा नहीं हो पाती है। इस कारण खिलाड़ियों को अपनी चोट के प्रति गंभीर रहना चाहिये। खिलाड़ी हो या फिर आम इंसान उनको लगातार व्यायाम और खानपान पर ध्यान देना चाहिये। कहा कि घुटने का दर्द लोगों में लगातार बढ़ रहा है। लुब्रीकेंट कम होने से परेशानी बढ़ रही है।
डाक्टरों को दी घुटने की दूरबीन विधि से सर्जरी की जानकारी
मेडिकल कालेज के आॅडिटोरियम में एक दिवसीय सीएमई कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें देश भर से बड़ी संख्या में विशेषज्ञ आर्थो सर्जन डाक्टरों ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्देश्य घुटने की दूरबीन विधि से की जाने वाली सर्जरी व उसकी नयी तकनीक के बारे में जानकारी देना था। कार्यशाला का आयोजन मेरठ आर्थोपेडिक कल्ब व आर्थोपेडिक विभाग मेडिकल और उप्र आर्थोपेडिक एसोसिएशन द्वारा किया गया था।
इस दौरान यूपी समेत पूरे देश से लगभग 150 हड्डी रोग चिकित्सकों ने कार्यशाला में हिस्सा लिया। कार्यशाला का उद्घाटन आर्गेनाइजिंग चेयरमैन व आर्थोपेडिक विभाग के विभागाध्यक्ष डा. ज्ञनेश्वर टोंक और आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी सहा. आचार्य डा. कृतेश मिश्रा द्वारा सरस्वती वंदना के साथ किया गया। कार्यशाला में मुंबई से आए डा. संदीप बिरासिस, अमरावती से आए डा. राजकुमार, बैंगलूरू से आए डा. अशुतोष अग्रवाल, वाराणसी से आए डा. विनय पांडे, प्रयागराज से आए डा. केडी त्रिपाठी व डा. आशीष कुमार, दिल्ली से आए डा. विनोद कुमार व डा. दीपक शामिल रहे।
घुटने की लाइव सर्जरी का डेमोस्ट्रेशन डा. अरूणिम स्वरूप, डा. सुमित अग्रवाल, डा. रविन्द्र व डा. मूलचंद सैनी द्वारा किया गया। डा. ज्ञानेश्वर टोंक ने बताया कार्यक्रम की अध्यक्षता उप्र आर्थोपेडिक्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. अनुपम अग्रवाल द्वारा की गई। जबकि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रधानाचार्य मेडिकल कॉलेज मेरठ डा. आरसी गुप्ता रहे। जबकि कार्यक्रम में डा. एमसी गुप्ता, डा. एसएम शर्मा, डा. आरपी मिश्रा, डा. अनिल तनेजा, डा. परवेज अहमद, डा. एमसी सैनी, डा. लोकेश मराठा, डा. सुधाकर जैन, डा. सुमित अग्रवाल।
डा. आलोक अग्रवाल, डा. साहिल भगत, डा. अभिषेक सिंह, डा. प्रवेन्द्र मलिक, डा. अनिल शर्मा, डा. अनिल तनेजा, डा. अभिषेक सिंह व डा. शरद जैन आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम में घुटने की लिगामेंट व झिल्ली फटने के उपचार की नई तकनीक पर प्रकाश डाला गया। इस दौरान जिले में बन रहे खेल विश्व विद्यालय व खेलों के मैदानों के चलते खिलाड़ियों के लिए मेरठ को स्पोटर्स इंजरी सिटी बनाने पर बल दिया गया। साथ ही इस तरह की कार्यशाला का आगे भी आयोजन करने पर सहमति बनी।