Monday, July 1, 2024
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गृह मंत्रालय रडार पर आए पंजाब पुलिस के अफसर, शंभू बॉर्डर तक पहुंचने के लिए किसानों को मिला रेड कॉरिडोर!

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जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर तक पहुंचे किसानों को लेकर दो प्रदेशों की पुलिस आमने-सामने है। इंटेलिजेंस रिपोर्ट में जो इनपुट दिए गए हैं, उनके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय भी सक्रिय है।

रिपोर्ट के मुताबिक, शंभू बॉर्डर पर एकत्रित हुए किसानों के पास ऐसे तमाम संसाधन मौजूद हैं, जिनकी मदद से पुलिस का मुकाबला किया जा सकता है। ये संसाधन पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से बॉर्डर तक कैसे पहुंचे। किसानों ने एकाएक ये आंदोलन शुरू नहीं किया है। इसके लिए पहले से ही कॉल की गई थी, उसके बावजूद किसानों को शंभू बॉर्डर तक पहुंचने से क्यों नहीं रोका गया।

20 फरवरी को जेसीबी और दूसरे भारी उपकरण भी किसानों के बीच पहुंच चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि जब ये रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय तक पहुंची हैं, तो पंजाब पुलिस इनसे कैसी अछूती रही। शंभू बॉर्डर पर किसानों का एकत्रित होना, इस मामले में पंजाब पुलिस के कई अफसर, केंद्रीय गृह मंत्रालय के रडार पर आ गए हैं।

सूत्रों ने बताया, जब किसानों ने कई दिन पहले ही आंदोलन की कॉल दे रखी थी, तो पंजाब पुलिस ने इतनी भारी संख्या में ट्रैक्टर ट्रॉली एवं दूसरे वाहनों के साथ किसानों को बॉर्डर पर एकत्रित होने से रोका नहीं। मंगलवार को किसानों के बीच जेसीबी एवं पोकलेन मशीनें भी पहुंच गईं। हालांकि पंजाब पुलिस की तरफ से यह दावा किया गया था कि किसानों को जेसीबी और पोकलेन मशीनें, शंभू बॉर्डर पर ले जाने से रोकने का प्रयास किया गया था।

रात को किसानों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई थी। इसमें एसएचओ अमनपाल सिंह विर्क और मोहाली के एसपी जगविंदर सिंह के घायल होने की बात कही गई। मंगलवार को शंभू बॉर्डर के जो वीडियो सामने आए थे, उनमें आसानी से जेसीबी और पोकलेन मशीनें, किसानों के बीच पहुंचाई जा रही थीं।

पंजाब के विभिन्न इलाकों से जब इन मशीनों को बॉर्डर तक लाया जा रहा था, तब पंजाब पुलिस ने इन्हें रोका क्यों नहीं। किसान आंदोलन पर पंजाब पुलिस की इंटेलिजेंस इकाई भी हर पल अपनी रिपोर्ट दे रही थी। इसके बावजूद किसानों को हैवी मशीनरी सहित शंभू बॉर्डर तक पहुंचने दिया गया। सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में इंटेलिजेंस ब्यूरो और हरियाणा पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर पंजाब पुलिस के जिम्मेदार अफसर, मुश्किल में फंस सकते हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में पंजाब सरकार के साथ जो पत्राचार किया था, उसमें कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति का हवाला दिया गया था। जिस तरह से किसान इतनी भारी संख्या में और विभिन्न उपकरणों के साथ शंभू बॉर्डर पर एकत्रित हुए हैं, वह इस बात की तरफ इशारा करता है कि किसानों को रोकने का प्रयास नहीं किया गया। किसानों के बीच कानून तोड़ने वाले ऐसे लोग भी मौजूद हैं, जिनकी वजह से पड़ोसी राज्यों में अशांति और अव्यवस्था पैदा हो सकती है। पंजाब सरकार को आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए।

मौजूदा समय में शंभू बॉर्डर पर लगभग 16,000 किसानों की उपस्थिति बताई जा रही है। इसके अलावा वहां पर लगभग 1,300 ट्रैक्टर-ट्रॉली, 250 कार, एक दर्जन मिनी बस और बाइक जैसे अनेक छोटे वाहन भी बताए जा रहे हैं। यह बात भी सामने आई है कि पंजाब सरकार ने ढाबी-गुजरां बैरियर पर 500 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ लगभग 4,500 किसानों को एकत्रित होने की इजाजत दे दी है।

पंजाब भाजपा के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों की समस्याओं के हल को लेकर, किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के साझे प्रयासों को जोखिम में डाल दिया है। यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत सफल नहीं हुई है, जबकि हजारों किसान एमएसपी व कृषि ऋण माफी के लिए कानूनी गारंटी सहित अपनी मांगों को लेकर पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

जाखड़ ने सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में कहा, भगवंत मान के किसानों के वकील के रूप में काम करने से इन वार्ताओं का विफल होना तय था। मुख्यमंत्री मान के पास इन वार्ताओं की विफलता से लाभ उठाने के लिए सब कुछ है। भाजपा नेता ने दावा किया, अब वे (भगवंत मान) न केवल केंद्र सरकार को बदनाम करने में सक्षम होंगे, बल्कि उन किसानों का रुख दिल्ली की ओर मोड़ देंगे, जो शुरू से चंडीगढ़ तक मार्च करना चाहते थे।

पंजाब के लोगों को आश्चर्य है कि ऐसे व्यक्ति को किसानों का प्रतिनिधित्व करने का वकालतनामा (अधिकार) किसने दिया, जो न केवल अपनी सरकार बनने के पांच मिनट के भीतर एमएसपी प्रदान करने के अपने वादे से मुकर गया, बल्कि पंजाब के किसानों को बाढ़ से हुए नुकसान के मुआवजे में भी धोखा दिया।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 15 फरवरी को एक प्रेसवार्ता में कहा था कि किसानों ने तो सेना के आक्रमण जैसा माहौल बना दिया है। ये लोग ट्रैक्टर, ट्रॉली और जेसीबी मशीन लेकर आ रहे हैं। इनके पास कई महीनों का राशन बताया जा रहा है। जब इस तरह का आह्वान किया जाता है, तो सुरक्षा का ध्यान देना बेहद जरूरी है। किसानों का जो तरीका है, उस पर ही आपत्ति है। दिल्ली जाने पर आपत्ति नहीं है।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट है और दूसरे भी कई साधन हैं, उनमें जाएं। ट्रैक्टर और ट्राली, ये पब्लिक ट्रांसपोर्ट में नहीं आते हैं। ये तो खेती बाड़ी के लिए इस्तेमाल होने वाला वाहन है। इसके बाद पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने भी किसानों के प्रदर्शन के तरीके पर आपत्ति जताई। चंडीगढ़ हाई कोर्ट ने कहा, मोटर वाहन अधिनियम के तहत राजमार्ग पर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों का उपयोग नहीं किया जा सकता।

किसान इन वाहनों में ही अमृतसर से दिल्ली तक यात्रा कर रहे हैं। सभी लोग अपने अधिकारों के बारे में जानते हैं, लेकिन उनका संवैधानिक कर्तव्य भी है। वे उन्हें क्यों भूल जाते हैं। पंजाब सरकार पर सवाल उठाते हुए हाईकोर्ट ने कहा, प्रदर्शनकारियों को बड़ी संख्या में क्यों इकट्ठा होने दिया जा रहा है। पंजाब सरकार सुनिश्चित करे कि लोग बड़ी संख्या में एकत्रित न हों।

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