ये कहानी अर्जुन नाम के एक लड़के की है। अर्जुन का एक खास अद्भुत गुण था, वह बहुत ही बोलचाल करता था। वह गांव की हर चीज के बारे में कुछ ना कुछ कहता रहता था। किसी के सवालों का जवाब देना उसकी आदत बन चुकी थी। अर्जुन के पास एक दिन एक खुदाईवाला आया और उसने एक जादू का आईना दिखाया। यह आईना बिल्कुल सामान्य नहीं था, यह आईना बोल सकता था। वह किसी भी वस्त्र को छूकर उसके बारे में बता सकता था। अर्जुन ने आईने को देखा और उससे पूछा, तुम अपने माध्यम से क्या बता सकते हो? आईने ने हंसते हुए जवाब दिया, मैं किसी भी वस्तु के बारे में सब कुछ जानता हूं। अर्जुन ने सोचा, यह आईना तो बहुत अच्छा और अद्वितीय है, मैं इसे खरीद लेता हंू।
आईना अर्जुन के साथ चला आया, और जब से अर्जुन घर पहुंचा, वह उसे हर जगह अपने साथ ले जाने लगा। जब भी अर्जुन कुछ नया खरीदता, आईना उसके पास जाकर उसके बारे में बताता। एक दिन, गांव में एक महोत्सव हुआ। सभी लोग अपने सबसे अच्छे वस्त्र पहन कर आए थे। अर्जुन ने भी अपने नए वस्त्र पहने और आईने से पूछा, तुम मेरे इस नए वस्त्र के बारे में क्या कह सकते हो? आईने ने हंसते हुए जवाब दिया, तुम्हारे वस्त्र बहुत ही सुंदर हैं, लेकिन यह वस्त्र तुम्हारी निजता को नहीं बता सकते। अर्जुन ने फिर से पूछा, तो आईना, मेरी असली निजता क्या है? आईना ने शांति से जवाब दिया, तुम्हारी असली निजता वो है जो तुम अपने दिल में महसूस करते हो, और इसे कोई भी आईना नहीं बता सकता। अर्जुन ने अब समझा कि असली निजता केवल उसके अंदर ही है, और वह आईने के माध्यम से यह नहीं देख सकता।