- झारखंड, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से लौट रहे श्रमिक
जनवाणी संवाददाता|
मेरठ: कोरोना के पूरे देश में हुए संपूर्ण लॉकडाउन की वजह से लाखों प्रवासी श्रमिक पैदल ही सैंकड़ों किलोमीटर की यात्रा तय करके अपने अपने गांव पहुंचे थे। तब ऐसा लग रहा था कि अब शायद श्रमिक वापस लौट कर नहीं जाएंगे लेकिन एक तो पेट के खातिर श्रमिक और दूसरे पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में उद्योगपतियों और बड़े कामगारों ने अनलॉक तीन चालू होते ही खुद बसें भेजकर इनको वापस बुलाना शुरु कर दिया है।
एक्सप्रेस वे पर इस तरह की सैंकड़ों बसे श्रमिकों और उनके परिवारों से भरी रोज झारखंड, बिहार और पूर्वी यूपी से आ रही हैं। यमुना एक्सप्रेस वे पर रोज सैकड़ों बसें फर्राटा भरते हुए निकल रही है।
बताया जा रहा है कि उद्योगपति और हरियाणा और पंजाब के बड़े किसान पैंतीस से चालीस हजार रुपये में चाटर्ड बसें करके झारखंड, बिहार और पूर्वी यूपी भेजकर वापस अपने श्रमिकों को बुला रहे हैं। एक्सप्रेस वे पर स्थित ढाबों में मेले जैसा माहौल बन गया है।
श्रमिकों के साथ उनकी पत्नी और बच्चे नये सपनों के साथ वापस लौट रहे हैं। कोरोना संक्रमण के कारण अपने घर लौटे श्रमिक अब धीरे-धीरे वापस लौटने लगे हैं। फैक्ट्रियों में काम करने वाले उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल के श्रमिक लौटकर वापस आ गए हैं और पहले की तरह कारखानों में काम पर जुट गए हैं।
फैक्ट्री मालिकों ने भी श्रमिकों को उनके घर से लाने के लिए अपने खर्चे पर साधन भी भिजवाए। उधर, श्रमिकों का कहना है कि मालिकों के बुलाने पर काम पर लौट आए हैं। अनलॉक-3 में केन्द्र सरकार द्वारा छूट मिलते ही दूसरे राज्यों से लौटे श्रमिक महानगरों का रूख करने लगे हैं।
श्रमिकों की कमी से जूझ रही कंपनियां, इन श्रमिकों को वाहन भेज कर काम पर वापस बुला रही है। श्रमिकों की वापसी के दौरान निर्धारित प्रक्रिया का पालन दरकिनार किया जा रहा है।
भैंसाली बस अड्डे पर बस के इंतजार में खड़े श्रमिकों ने बताया कि उनके पास मालिकों का फोन आया था और कह रहे थे कि तैयार रहना बस भिजवा रहे हैं। इसके अलावा कुछ नियोक्ताओं द्वारा खुद प्रवासी श्रमिकों को परियोजना स्थलों पर वापस लाया जा रहा है।
लॉकडाउन की वजह से बंद हुई परियोजनाओं में काम फिर शुरू हो चुका है। हालांकि, ज्यादातर परियोजनाओं में क्षमता के 50 प्रतिशत पर काम हो रहा है क्योंकि ज्यादातर श्रमिक अब तक लौट नहीं पाए हैं। बुनियादी ढांचा क्षेत्र की बड़ी परियोजनाएं रुकने की वजह से इंजीनियरिंग कंपनियां बुरी तरह प्रभावित हुई थीं।
अब ये कंपनियां छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, जैसे राज्यों से श्रमिकों को खुद वापस लाने की पहल कर रही हैं। श्रमिक वापस आ रहे हैं क्योंकि उन्हें रोजगार की जरूरत है। आमतौर पर इस सीजन में श्रमिक खेती या शादी-ब्याज में शामिल होने के लिए अपने घरों को लौट जाते हैं, लेकिन वे जल्दी वापस आ जाते हैं।
Very nice & positive story