- आरोप: प्रबंध कमेटी ने मिट्टी भराव के नाम पर कब्रिस्तान को किया समतल
- आस्था: नई कब्रों की भी नहीं छोड़ी कोई निशानी डीएम से शिकायत कार्रवाई की मांग
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर के सबसे पुराने व बड़े कब्रिस्तानों में से एक नौचंदी स्थित हजरत बाले मियां कब्रिस्तान में हो रहे मिट्टी के भराव को लेकर रार पैदा हो गई है। आरोप है कि भराव के नाम पर कब्रिस्तान को समतल किया जा रहा है तथा नई कब्रों के ऊपर भी कोई निशानी तक नहीं छोड़ी जा रही है। इस पूरे मामले में जिलाधिकारी से भी शिकायत की गई है। उधर, सीओ सिविल लाइन के निर्देश पर इंस्पेक्टर नौचंदी ने भी मामले का संज्ञान लिया है।
उल्लेखनीय है कि बाले मियां कब्रिस्तान का लेवल सड़क से नीचा था जिस कारण सड़क व नालियों का गंदा पानी कब्रिस्तान परिसर में भर रहा था। इसी वजह से यहां कब्रें क्षतिग्रस्त हो रही थीं। इसी को लेकर वक्फ हजरत बाले मियां कमेटी ने शहर के लोगों व प्रशासन से मदद की अपील की थी। इसके बाद 50 लाख रुपये का एस्टीमेट बनाकर कब्रिस्तान परिसर में मिट्टी का भराव शुरू करा दिया गया।
अब यही से आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। जिन लोगों के परिचित यहां हाल ही में दफनाए गए हैं उन्होंने मिट्टी भराव का यह कहते हुए विरोध शुरु कर दिया कि भराव के नाम पर कब्रिस्तान की जमीन को समतल किया जा रहा है जिस कारण उन्हें यह नहीं पता चल पाएगा कि उनके परिजन की कब्र किस जगह है। सोहेल हाशमी, अजहर अंसारी, मुहम्मद अरशद, मुख्तियार अली हाशमी व
सलीम अंसारी सहित कई अन्य लोगों की शिकायत पर भाजपा नेता काजी शादाब के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी से मिला और उन्हें पूरे मामले से अवगत कराया। इसके बाद सीओ सिविल लाइन के निर्देश पर इंस्पेक्टर नौचन्दी ने भी पूरे मामले को देखा और कमेटी से वार्ता के बाद ही मसले का हल निकालने की बात कही।
कुरान व धार्मिक किताबों की बेहुरमती का भी आरोप
उधर काजी शादाब ने यह भी आरोप लगाया कि कब्रिस्तान परिसर में कुछ धार्मिक किताबों की भी बेहुरमती की जा रही है तथा उन्हें गलत तरीके से जलाया जा रहा है। इस बात की शिकायत भी प्रशासन से की गई है।
मिट्टी डालने पर समतलीकरण तो होगा ही: कमेटी
इस पूरे मुद्दे पर वक्फ हजरत बाले मियां कमेटी ने सफाई दी है। कमेटी के मुतवल्ली मुफ्ती अशरफ का कहना है कि कब्रिस्तान में कई कब्रों की हालत बोसीदा हो गई थी जिसके चलते कब्रिस्तान परिसर में मिट्टी का भराव जरुरी था। उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति को यह लगता है कि भराव की वजह से उनके किसी परिजन की कब्र दिखाई नहीं दे रही है तो वो पुन: उसी जगह पर भराव के बाद बतौर निशानी कोई भी निशान लगा सकता है।
मुफ्ती अशरफ के अनुसार निशानी लगाने का काम कमेटी नहीं करेगी क्योंकि यह काम कमेटी का नहीं है। उधर, कुरान के पारों व कुछ अन्य धार्मिक पुस्तकों की बेहुरमती पर कमेटी का कहना है कि शहर के कई मदरसों के लोग बोसीदा व क्षतिग्रस्त हो चुके कुरान के पारों व अन्य धार्मिक लिट्रेचर को यहां बनाए गए एक गड्ढे में रख जाते हैं
ताकि इनकी बेहुरमती न हो। मुफ्ती अशरफ के अनुसार अभी इस गड्ढे को बड़ा और ऊंचा कर बनवाया जाएगा ताकि उक्त धार्मिक लिट्रेचर गड्ढे के अंदर ही रहे बाहर न आने पाए। उन्होंने कहा कि धार्मिक पुस्तकों को जलाने जैसी कोई घटना कभी नहीं हुई।