नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन स्वागत है। आज उत्तर प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा का तीसरा यानि आखिरी दिन रहा। आज ही सुबह राहुल गांधी वेस्ट यूपी के शामली जिले के एलम से यात्रा की शुरूआत की, इसके बाद कांधला होते हुए ऊंचागांव पहुंचे और विश्राम करने के बाद फिर यात्रा अगले पड़ाव के लिए निकल पड़ी। कुछ ही देर में कांग्रेस पार्टी का यह काफिला शामली जिले के कैराना नाम से मशहूर लोकसभा क्षेत्र में पहुंची जहां से हरियाणा प्रदेश का बार्डर जिला पानीपत नजदीक है। स्टेट सीमा पर पहले से मौजूद पार्टी के बड़े नेता मौजूद रहे और उन्होंने यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी से यात्रा को रिसीव किया और फिर हरियाणा के पानीपत जिले में प्रवेश कर गए। हरियाणा में भारत जोड़ो यात्रा साढ़े चार दिन चलेगी।
पूर्व मंत्री जयराम रमेश ने की ऊंचागांव में प्रेस कॉन्फ्रेंस
कैराना के ऊंचागांव में 5 घंटे तक स्टे किया। यात्रा के प्रभारी पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने ऊंचागांव में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने बताया कि सोनिया गांधी की तबीयत ठीक नहीं है। इसलिए राहुल ने यूपी में यात्रा के साथ नाइट स्टे नहीं किया और दिल्ली चले गए।
पश्चिम से पूरब तक ये है प्लान
जयराम रमेश ने राहुल गांधी का हवाला देकर बताया कि 2023 में पश्चिम से पूरब तक ऐसी ही यात्रा निकाली जाएगी। इस पर विचार हो रहा है। इसमें हम उन राज्यों में जाएंगे, जहां इस बार नहीं जा पाएं हैं। 26 जनवरी से 26 मार्च तक “हाथ से हाथ जोड़ो” अभियान चलाया जाएगा।
जयराम रमेश बोले, देश के सामने 3 बड़े खतरे
जयराम रमेश ने कहा कि देश के सामने 3 बड़े खतरे हैं। आर्थिक विषमताएं, सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक तानाशाही। उन्होंने आगे कहा कि हमारे PM की नीतियों की वजह से इन खतरों का सामना करना पड़ रहा है। ये भारत जोड़ो यात्रा मन की बात नहीं है। राहुल गांधी कम बोलते हैं और ज्यादा सुनते हैं। ये चुनाव जीतो यात्रा नहीं है। यह यात्रा नहीं, मूवमेंट है। ये चलता रहेगा। जयराम रमेश ने कहा, “बजट सत्र 31 जनवरी को शुरू होता है। इसलिए 30 जनवरी तक ये यात्रा खत्म करनी थी। इसलिए हम उप्र में ज्यादा दिन रहना चाहते थे, लेकिन हमें कश्मीर से 30 जनवरी के पहले पहुंचकर वापस संसद सत्र में आना है।”
कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा ने की प्रेस वार्ता
कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा ने कैराना पलायन मुद्दे पर प्रेस वार्ता की। उन्होंने कहा, “ये वही कैराना है, जहां भाजपा बाई इलेक्शन लड़ी थी और हार भी गई। मुद्दा भी स्पष्ट है और वहां की जनता का जवाब भी स्पष्ट है। वो भाजपा की सीटिंग सीट थी। पलायन का क्या मुद्दा था और भाजपा ने कैसे उसकी मार्केटिंग करने की कोशिश की थी, ये दोनों अलग चीजें हैं। कांग्रेस पार्टी ऐसे मुद्दों को लेकर संवेदनशील है।”
रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के निर्देश पर यात्रा का हुआ भव्य स्वागत
शामली में रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के निर्देश पर जिला अध्यक्ष वाजिद अली अपने करीब 50 कार्यकर्ताओं के साथ कांधला चौराहे पर राहुल के स्वागत के लिए खड़े थे, लेकिन राहुल नहीं रुके और आगे बढ़ते चले गए। माना जा रहा है कि कम्युनिकेशन गैप की वजह से ऐसा हुआ।
अग्निवीर और बेरोजगारी के मुद्दे पर युवाओं से बात की
राहुल गांधी ने वेस्ट यूपी में अग्निवीर भर्ती प्रक्रिया से जुड़े युवाओं से बातचीत की। उन्हें भरोसा दिलाया कि अगर हम सत्ता में आए तो अग्निवीर प्रक्रिया को रद्द कर सेना में पुरानी भर्ती प्रक्रिया बहाल करेंगे। दरअसल, पश्चिम यूपी में बड़ी संख्या में युवा फौज में भर्ती की तैयारी करते हैं। ऐसे में यह मुद्दा यहां के लिए बेहद अहम है।
टीशर्ट के बहाने बताई किसानों की दयनीय हालत
राहुल गांधी ने कहा कि मीडिया मेरी टीशर्ट पर सवाल उठाती है। कहते हैं मुझे ठंड क्यों नहीं लगती। मैं टीशर्ट में हूं, मेरे साथ किसान-गरीब के बच्चे चलते हैं और वो भी फटी टीशर्ट में, लेकिन मीडिया ये सवाल नहीं पूछता कि किसान का बच्चा बिना जैकेट क्यों घूम रहा?
कैराना क्यों है कांग्रेस के लिए बेहद अहम, ऐसे मिली भाजपा को बढ़त
30 अप्रैल 2016 को पूर्व सांसद हुकुम सिंह ने पलायन का मुद्दा उठाया था। उन्होंने ही मुकीम काला के अपराधों का चिट्ठा खोला। उन्होंने कैराना और कांधला से पलायन करने वाले 346 परिवारों की सूची जारी की थी। यह मुद्दा पूरे देश में छा गया। अपराध से शुरू हुआ यह मुद्दा हिंदू-मुस्लिम का रूप लेता चला गया। धीरे-धीरे यह मुद्दा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में छा गया।
वर्ष 2014 में अखिलेश के कार्यकाल में हुए कैराना कांड को बीजेपी ने सबसे बड़ा मुद्दा बना दिया। कैराना व्यापारियों के पलायन पर अखिलेश सरकार को घेरा गया। मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, शामली, गाजियाबाद समेत लगभग पश्चिम उत्तर प्रदेश के हर जिले में मुकीम काला और उसके गुर्गों को तत्कालीन सरकार की शह का आरोप लगाया गया।
सांसद हुकुम सिंह इस मसले को लेकर जाटों और खाप पंचायतों के बीच पहुंचे। देखते-देखते यह मुद्दा भाजपा को बड़ी बढ़त दिला गया। हर विधानसभा चुनाव में 18 से 20 सीटों पर सिमटी रहने वाली भाजपा ने 2017 के चुनाव में पूरे पश्चिम यूपी में 100 से ज्यादा सीटें जीतीं। हालांकि उस साल मोदी फैक्टर चल रहा था।