Friday, July 5, 2024
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सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध बना मजाक

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एक जुलाई 2022 से देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक पर देशव्यापी प्रतिबंध लगा, लेकिन एनसीआर का हिस्सा मेरठ में ही यह प्रतिबंध लागू नहीं हो पा रहा हैं, तो बाकी जगह पर क्या हाल होगा? इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता हैं। क्रांतिधरा का घंटाघर बाजार हो या फिर कबाड़ी बाजार, जो नगर निगम आॅफिस से चंद कदमों की दूरी पर हैं, वहां भी सिंगल यूज प्लास्टिक का धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा हैं। थोड़े आगे बढ़े तो खैरनगर मार्केट हैं, यहां भी खूब सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल होते हुए सरेआम देखा जा सकता हैं। कुछ दुकान तो ऐसी हैं, जहां पर इसके ढेर लगे हुए हैं। सदर बाजार, आबूलेन हो या फिर पीएल शर्मा रोड, ये ऐसे बाजार हैं, जहां पर व्यापक स्तर पर सिंगल यूज प्लास्टिक का यूज होता हैं, मगर इस पर नगर निगम भी अंकुश नहीं लगा पा रहा हैं। ऐसा तब है, जब नगर निगम में एक टीम विशेष तौर पर सिंगल यूज प्लास्टिक को पकड़ने के लिए लगाई गयी हैं, मगर फिर भी इसका इस्तेमाल नहीं रुक पा रहा हैं।

  • सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश ताक पर
  • जब्त की गई पॉलीथिन का निस्तारण तक नहीं कर पा रहा नगर निगम

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: करीब सात साल की अवधि गुजर गई, जब सुप्रीम कोर्ट की ओर से पॉलीथिन की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित करते हुए धरा को प्रदूषण से बचाने के आदेश जारी किए गए थे। मेरठ महानगर में कोई बाजार क्षेत्र ऐसा नहीं होगा, जहां तमाम जागरूकता अभियान और कार्रवाई के बावजूद आज भी पॉलीथिन का प्रयोग न किया जाता हो। मेरठ महानगर में हजारों की संख्या ऐसे दुकानदारों की है, जो पॉलीथिन बेचते हैं। ऐसे में इन्हें खरीदकर ग्राहकों को थमाने वाले दुकानदारों और रेहड़ी ठेले वालों की संख्या का अनुमान लगा पाना आसान नहीं है।

प्रतिदिन टनों के हिसाब से बिकने वाली इन पॉलीथिन को एक-एक करके सामान खरीदने वाले ग्राहकों के हाथों में थमा दिया जाता है। ये एक-एक पॉलीथिन सड़कों और नालियों के जरिये सीवर लाइन को चोक करने का कारण बनती हैं। वहीं कूड़े के ढेर पर पड़ी रहने वाली पॉलीथिन को खाकर गाय और दूसरे पशु न केवल बीमार हो रहे हैं, बल्कि मौत के आगोश में भी समा रहे हैं। प्रशासन और विभिन्न संस्थाओं की ओर से अक्सर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग न करने का आग्रह किया जाता है। इसके बावजूद पॉलीथिन का प्रयोग करने वाले दुकानदारों और ग्राहकों की संख्या में कोई कमी आती नहीं दिख रही है।

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश आए करीब सात साल की अवधि गुजर चुकी है, लेकिन इन आदेशों का पालन करने के लिए लोगों से अपील और नगर निगम की टीम की ओर से महीने में एक-दो बार कुछ दुकानदारों के यहां जाकर चंद पॉलीथिन पकड़ने से आगे कभी अभियान चल नहीं पा रहा है। दुकानदार और रेहड़ी ठेले वाले इसके लिए ग्राहकों को ही दोषी ठहराते हुए तर्क देते हैं कि अधिकांश ग्राहक सामान खरीदने के साथ पॉलीथिन दिए जाने की मांग करता है। हालांकि कुछ दुकानदारों ने अपने यहां प्लास्टिक के बजाय कपड़े या अन्य सामग्री से बनने वाले थैलों का प्रयोग शुरू किया है, लेकिन दुकानदारों का कहना है कि इनकी कीमत जोड़ने के नाम पर बहुत से ग्राहक उनसे लड़ने को तैयार हो जाते हैं।

दुकानदारों का कहना है कि इस बाबत शासन और प्रशासन को कड़ा रुख अपनाना पड़ेगा। जब तक सख्ती नहीं होगी तब तक इसका प्रयोग नहीं थमेगा। वहीं पर्यावरण के लिए काम कर रहे रेहान मलिक और उनकी टीम का कहना है कि लोग धरती को बचाने के लिए पॉलीथिन का कम से कम प्रयोग करें। पॉलीथिन सैकड़ों सालों तक धरती में गलती नहीं है उसको कम प्रयोग किया जाए। ताकि प्लास्टिक पॉल्यूशन कम हो और नदी, नाले चलते रहें व हमारी धरती सही रहे। पॉली बैग की कंपनियों पर भी रोक लगनी चाहिए।

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कोर्ट के आदेश के बाद भी लोग पॉलीथिन का बड़े स्तर पर यूज कर रहे हैं, जिसको रोका जाना चाहिए। साथ ही नगर निगम को इस संबंध में कठोर कदम उठाते हुए कार्रवाई और जागरूकता के लिए साथ-साथ प्रयास करने चाहिए। वहीं पर्वतन दल के प्रभारी कैप्टन जेएस तोमर का कहना है कि नगर निगम की ओर से बराबर अभियान चलाकर सिंगल यूज प्लास्टिक यानि पॉलीथिन रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई के रूप में जब्तीकरण और जुर्माने की कार्रवाई की जाती है।

उठाए जा सकते हैं कुछ ऐसे अहम् कदम

प्लास्टिक को आधुनिक तरीके से इंसीनेरेट करना और रीसाइक्लिंग करना पॉल्यूशन से बचाव का साधन हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि वेस्ट प्लास्टिक मैटेरियल को रीसाइकिल करके कई प्रोडक्ट्स बना सकते हैं, जिसस पॉल्यूशन कम होगा। सॉलिड प्लास्टिक मैटेरियल को रीसाइकिल करके कई चीजें बना सकते हैं। शहर से निकले वाले वेस्ट प्लास्टिक मैटेरियल में थर्मो प्लास्टिक को रीसाइकिल किया जा सकता है। वैसे भी प्लास्टिक के निस्तारण की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है।

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