Sunday, August 24, 2025
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नर्मदा बांध विरोध के चालीस साल

नर्मदा घाटी की तीन पीढ़ियों ने सामाजिक न्यापय और पर्यावरण संरक्षण की एक लौ को बड़ी शिद्दत से जलाए रखा है। करीब 40 बरस में मशाल बन चुके नर्मदा बचाओ आंदोलन का सफर छोटा नहीं है। सरदार सरोवर बाँध की मुखालिफत से शुरू हुई इस लड़ाई के पहले पर्यावरण शब्द नया था, हालांकि इसे लेकर मूलशी बांध विरोध, चिपको आंदोलन, सेव सायलेंट वेली और मिट्टी बचाओ अभियान जैसे आंदोलन अपनी छाप छोड़ चुके थे। नर्मदा बचाओ आंदोलन ने सरदार सरोवर से प्रभावित होने वाले निमाड-मालवा के आदिवासी-किसानों के पुनर्वास और वित्तीय मामलों के साथ प्रभावितों की रोजी-रोटी, उपजाऊ खेती और जंगलों के विनाश का मामला भी उठाया था। आंदोलन की सक्रियता के कारण विकास परियोजनाओं को पर्यावरणीय नजरिए से भी देखा-परखा जाने लगा।

आंदोलन के प्रभाव क्षेत्र में लोग अपने अधिकारों के प्रति सजग हुए और उन्हों ने विस्था,पन के अलावा अन्यल मामलों को भी उठाया। यह सिलसिला अभी भी जारी है। सरदार सरोवर के संघर्ष से प्रेरणा लेकर नर्मदा घाटी के ही बरगी, भीमगढ़, इंदिरा सागर, औंकारेश्व र, महेश्वेर, अपर वेदा, लोअर गोई, मान, जोबट आदि बांधों के प्रभावित अपने अधिकारों के लिए खड़े होते गए और नर्मदा बचाओ आंदोलन का हिस्सा बने। ऐसे संघर्ष देश के अन्यध हिस्सोंन में भी दिखाई दिए। यह एक आंदोलन के जनांदोलन बनने का उदाहरण है।

प्रभावितों की लड़ाई केवल नागरिकों के हकों की उपेक्षा करने वाली सरकारों के विरोध तक सीमित नहीं थी। सरदार सरोवर परियोजना के लिए 45 करोड़ डॉलर का कर्ज देने पर विश्वेबैंक को भी नर्मदा घाटी में विनाश का जिम्मेदार ठहराया गया और अंतत: उसे पीछे हटना पड़ा। पर्यावरण और पुनर्वास संबंधी चिंताओं के कारण विश्विबैंक द्वारा सरदार सरोवर परियोजना की आर्थिक मदद रोकना एक बड़ी अंतर्राष्ट्री य घटना और आंदोलन की जीत थी। तब तक कोई ऐसा उदाहरण देखने को नहीं मिला था जिसमें विश्वबैंक ने कभी किसी परियोजना से अपना हाथ खींचा हो।

जो चिंताएं भारत की बांध परियोजना में देखी गईं, वे ही दुनिया की अन्य? बांध परियोजनाओं में भी थीं। इसलिए आंदोलन ने सम-विचारी समूहों के साथ मिलकर विश्वीबैंक को बाध्यै किया कि वह अपनी मौजूदा कर्ज नीति में बदलाव करे, ताकि दुनिया में कहीं भी सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय विनाश को रोका जा सके। विश्वमबैंक को इसके लिए राजी होना पड़ा और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन आॅफ नेचर (आईयूसीएन) के साथ मिलकर बड़े बांधों के सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक प्रभावों की समीक्षा हेतु विश्वा बाँध आयोग का गठन करना पड़ा। इसमें आंदोलन की ओर से मेधा पाटकर को आयुक्तो के रुप में शामिल किया गया। दक्षिण अफ्रीका के जल-संसाधन मंत्री कादर अस्मोल की अध्योक्षता वाले विश्वई बाँध आयोग की रिपोर्ट के बाद विश्वअबैंक को अपनी कर्ज नीति में बदलाव करना पड़ा और उसने कई सालों तक बाँध परियोजनाओं को कर्ज देना बंद रखा।

आंदोलन ने ऐसी सरकारें देखी हैं जिन्हों ने प्रभावितों के जीवन, रोजी-रोटी और अधिकारों की लड़ाई को खारिज किया था। कुछ सरकारों ने आंदोलनकारियों के खिलाफ दमनचक्र भी चलाया, लेकिन जिन सरकारों ने उपेक्षा नहीं की, वे भी प्रभावितों को उनके अधिकार देने में अनिच्छुलक ही रहीं। प्रभावित किसानों को अपने ही राज्यष में जमीन के बदले जमीन देने की बंधनकारी नीति के बावजूद मध्यहप्रदेश की सरकारों ने जमीन देना कभी स्वी?कार नहीं किया। मध्यदप्रदेश में उद्योगपतियों को आसानी से जमीन, पानी और बिजली उपलब्धे करवाने वाली सरकार सुप्रीम कोर्ट में शपथ-पत्र देती थी कि विस्थोपितों के लिए जमीन उपलब्धन नहीं है। इसके बावजूद आंदोलन करीब 20 हजार परिवारों को जमीन दिलवाने में सफल रहा। इनमें बड़ी संख्या भूमिहीन परिवारों की है। यह छोटी उपलब्धि नहीं है।

नर्मदा बचाओ आंदोलन अपने चार दशकों के सफर में सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, सही जल-प्रबंधन, आदिवासी-किसानों-महिलाओं के सशक्तिकरण और मानवाधिकारों की लड़ाई का एक जीवंत प्रतीक बना है। दुनिया में कम लोग हैं जो सरकारी दमनचक्र और उपेक्षा के बावजूद टूटे नहीं और संघर्ष की जलती मशाल अपनी अगली पीढियों को सौंपते रहे।

बारूद के ढेर पर बैठी है दुनिया

दुनिया के लगभग सभी प्रमुख धर्मों में प्रलय की अवधारणा मौजूद है, लेकिन सचराचर जगत के शून्य हो जाने की यह प्रक्रिया कैसे होती है, इस पर कोई विस्तृत आख्यान दिखाई नहीं देता। अलबत्ता, आज की दुनिया और उसके अलमबरदारों को देखें तो इसे आसानी से समझा जा सकता है कि कैसे दुनिया के देशों की सत्ताओं पर काबिज राजनीतिक मूढ खुद को नेस्तनाबूद करने की हुलफुलाहट में शिद्दत से लगे हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध इसी का एक नमूना है।

रमाकांत नाथ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का शिखर सम्मेलन हो गया है। कई लोग कहने लगे हैं कि इस बैठक का नतीजा कुछ भी नहीं निकला। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शब्दों से यह स्पष्ट हो गया है कि वे शिखर सम्मेलन में किसी नतीजे की उम्मीद लेकर नहीं आए थे। तो यह शिखर सम्मेलन क्यों आयोजित किया गया, जिससे कोई नतीजा नहीं निकल सका या रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने का कोई समाधान नहीं निकल सका? पूरी दुनिया अलास्का शिखर सम्मेलन के नतीजों का इंतजार कर रही थी और उम्मीद कर रही थी कि 3 साल से ज्यादा समय से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध को रोका जा सकेगा। साथ ही, उन्हें उम्मीद थी कि दुनिया को एक संभावित महायुद्ध, परमाणु युद्ध से बचाया जा सकेगा। हालांकि अलास्का में दुनिया की उम्मीदों के मुताबिक नतीजे नहीं मिले, लेकिन यह कहा जा सकता है कि इस वार्ता ने रूस और यूक्रेन के बीच अगले शिखर सम्मेलन और शांति वार्ता का मार्ग प्रशस्त किया है और रूस, यूक्रेन के बीच शांति संधि पर सहमत होने के लिए अनुकूल माहौल बनाया है।

अगर हम इसे दूसरे नजरिए से देखें, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि अलास्का वार्ता विश्व में शांति स्थापित करने, रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने, संभावित विश्वयुद्ध को रोकने, संभावित परमाणु युद्ध के प्रभावों से दुनिया को बचाने जैसे मुद्दों पर नहीं थी। दुनिया की दो महाशक्तियां, अमेरिका और रूस, लंबे समय के बाद आमने-सामने आईं और एक-दूसरे का अध्ययन किया। अप्रत्यक्ष रूप से यह कहा जा सकता है कि अपने-अपने साम्राज्यों की सुरक्षा और विस्तार तथा दोनों विश्व नेताओं की तानाशाही और विश्व विजेता बनने की चाहत उन्हें अलास्का खींच लाई थी। ‘अमेरिका को फिर से महान बनाने’ (मागा) के नारे के साथ दूसरी बार सत्ता में आए ट्रंप को इस बात का अहसास नहीं था कि जिस तरह फीनिक्स पक्षी अपनी राख से उठ खड़ा होता है, उसी तरह पुतिन रूस को फिर से दुनिया की एक महान शक्ति बनाना चाहते हैं और यूक्रेन समेत उसके सभी विभाजित 14 क्षेत्रों को एकजुट करना चाहते हैं। अलास्का वार्ता के बाद स्पष्ट हो गया है कि अमेरिका के प्रभाव, उकसावे, प्रतिक्रिया और व्यापार शुल्कों की धमकियों के तहत दुनिया में शांति स्थापित करना संभव नहीं होगा। वैसे भी ट्रम्प अपनी नोबेल पुरस्कार की जिद के कारण पुतिन की बातों से सहमत होने के लिए मजबूर हो गए हैं।

दुनिया के दो प्रमुख नेताओं का एक साथ आना और विश्व शांति के लिए एक मसौदा तैयार करना महत्वपूर्ण घटना थी। तीन घंटे की बैठक के दौरान, रूसी राष्ट्रपति पुतिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प से ज्यादा प्रभावशाली दिखाई दिए। पुतिन शिखर सम्मेलन से पहले रखी गई अपनी शर्तों पर अडिग रहे और राष्ट्रपति ट्रम्प पुतिन को प्रभावित नहीं कर पाए। बल्कि, ट्रंप को यह मानने पर मजबूर होना पड़ा कि रूस का अपनी सीमा सुरक्षा को लेकर चिंतित या सक्रिय होना गलत नहीं है। संक्षेप में, ट्रंप ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदीमीर जेलेंस्की को यह संदेश दे दिया है कि रूस एक महाशक्ति है। इसलिए उससे बहस करने की बजाय, उसकी बातों में आना या उसकी इच्छा के अनुसार काम करना बेहतर होगा। ट्रंप-पुतिन वार्ता के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति और रूसी राष्ट्रपति अगले महीने शांति वार्ता के लिए मास्को में फिर मिलेंगे। इस वार्ता में यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के शामिल होने की भी संभावना है, लेकिन जब जेलेंस्की पुतिन की शर्तें मानने को तैयार नहीं हैं, तो यह उम्मीद कम ही है कि जेलेंस्की मास्को शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध का कोई समाधान निकालेंगे।

विश्व में युद्ध और आतंक के भय को बढ़ाने में यदि किसी का सबसे अधिक योगदान रहा है, तो वह अमेरिका ही है। यह आश्चर्यजनक है कि अमेरिका विश्व में शांति स्थापित करने के लिए आगे आया है। वियतनाम से लेकर, मध्य पूर्व में ईरान और इराक के बीच युद्ध, सोवियत संघ के प्रभाव को समाप्त करने और अफगानिस्तान में लोकतंत्र स्थापना के नाम पर नरसंहार, इराक के खनिज संसाधनों पर कब्जा करने के लिए सद्दाम हुसैन की हत्या, तानाशाही उन्मूलन की आड़ में अपनी तानाशाही महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति और हथियारों के व्यापार को बढ़ाने के लिए देशों के बीच संघर्ष, गृहयुद्ध आदि भड़काने में अमेरिका के योगदान को कोई नकार नहीं सकता। अमेरिका द्वारा भड़काई गई कई हिंसक घटनाओं, जैसे – गाजा, फिलिस्तीन में इजरायल द्वारा नरसंहार, ईरान में युद्ध, सीरिया में गृहयुद्ध आदि के बरक्स शांति का अग्रदूत बनना विश्व के लोगों के लिए अमेरिका का एक धोखा मात्र है।

इसी प्रकार, सोवियत संघ और बाद में रूस द्वारा विश्व मंच पर अपना प्रभाव बढ़ाने के प्रयासों ने भी अनेक युद्धों और गृहयुद्धों का सामना कराया है। दो वैश्विक शक्तियों, अमेरिका और रूस के बीच तीसरी शक्ति के रूप में चीन के उदय और एशिया सहित संपूर्ण विश्व के व्यापार पर एकाधिकार की चाहत ने आर्थिक असंतुलन को जन्म दिया है। अमेरिका बनाम रूस-चीन, अमेरिका-चीन बनाम रूस, अमेरिका-रूस बनाम चीन का समीकरण बन जाएगा, यह कहना संभव नहीं है। यह असंभव नहीं है कि इन तीनों शक्तियों के संघर्ष के बीच विश्व के राष्ट्र दो या तीन गुटों में बंट जाएं। भारत एक समय अपनी गुटनिरपेक्ष नीति के माध्यम से तीसरी शक्ति के रूप में उभरा था। आज, जब गुटनिरपेक्ष सोच समाप्त हो चुकी है, तो यह विश्व शांति स्थापित करने और महाशक्तियों के प्रभाव से बचने का एक विकल्प हो सकता है। भारत को इसी सोच के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता है, लेकिन भारत की वर्तमान विदेश नीति और विश्व के साथ संबंधों ने उसे उसकी महान सोच से दूर कर दिया है।

फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध में अब तक यूक्रेन के लगभग 50,000 लोग मारे जा चुके हैं, जबकि रूस में मरने वालों की संख्या 15,000 से अधिक है। अब तक, यूक्रेन से लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और कई घायल हुए हैं। रूसी सेना ने यूक्रेन के लगभग 20 प्रतिशत भू-भाग पर नियंत्रण कर लिया है, जबकि रूस यूक्रेन से औद्योगिक रूप से समृद्ध डोनेट्स्क क्षेत्र को छीनने की कोशिश कर रहा है। अगर इस युद्ध को नहीं रोका गया, तो यह विश्वयुद्ध में बदल सकता है और पूरी मानव सभ्यता के लिए एक भयानक आपदा बन सकता है। जिस तरह जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर परमाणु बम विस्फोट में लोगों से खाली हो गए थे, उसी तरह यह कहना संभव है कि दुनिया के परमाणु-अस्त्र संपन्न देश अपनी शक्ति से पृथ्वी को बार-बार नष्ट कर सकते हैं।

ठगी का नया पैंतरा साइबर स्लेवरी

साइबर गुलामी अभूतपूर्व गंभीरता और पैमाने के संगठित अपराध के रूप में उभर रही है। अनुमान बताते हैं कि हजारों पीड़ित धोखाधड़ी वाले परिसरों में बंदी बनाए गए हैं। हालांकि धोखाधड़ी वाले संदेशों से परेशान होना अब रोजमर्रा की बात हो गई है, लेकिन यह असुविधा वास्तव में आधुनिक गुलामी के एक नए घातक रूप में दिखाई दे रही है। चूंकि घोटाले की गतिविधियां आभासी रूप से संचालित होती हैं, इसलिए रैकेट चलाने वाले आसानी से अपने धंधे को एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरित कर सकते हैं। इससे अपराधियों को शारीरिक रूप से गिरफ्तार करके (जैसे छापेमारी और बचाव) अपराध से निपटना बेहद मुश्किल हो जाता है।

अमित बैजनाथ गर्ग

सेक्सटॉर्शन, निवेश, हनीट्रैप, ई-ट्रेडिंग फ्रॉड, डेटिंग एप फ्रॉड, साइबर बुलिंग, फर्जी लोन एप्स, जॉब आफर फ्रॉड, इनकम टैक्स फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट के बाद इन दिनों साइबर ठगी का एक नया रूप सामने आ रहा है, जिसे साइबर स्लेवरी यानी कि साइबर गुलामी कहा जा रहा है। दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में आकर्षक नौकरियों के नाम पर भारतीय प्रवासी अब एक नए तरह के जाल में फंस रहे हैं, जहां भारतीयों को उच्च वेतन वाली नौकरियों का भ्रामक वादा करके साइबर गुलामी करवाई जा रही है। साइबर स्लेवरी के इस खतरनाक ट्रेंड में तकनीकी रूप से दक्ष और पढ़े-लिखे युवाओं को विदेश में आकर्षक नौकरियों का लालच देकर दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में फंसाया जा रहा है, जहां उन्हें बंधक बनाकर साइबर अपराध करवाए जा रहे हैं। यह संगठित गिरोह खासतौर पर लाओस, म्यांमार और कंबोडिया जैसे देशों में सक्रिय हैं।

हाल ही में सरकार और पुलिस ने लोगों को साइबर स्लेवरी के खतरनाक ट्रेंड को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। पुलिस का कहना है कि इन देशों में युवाओं को आईटी सेक्टर में शानदार नौकरी देने का झांसा दिया जाता है। जैसे ही वे वहां पहुंचते हैं, उनके पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज छीन लिए जाते हैं और उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित कर साइबर ठगी के लिए मजबूर किया जाता है। इन युवाओं से भारतीय नागरिकों को निशाना बनाकर आॅनलाइन धोखाधड़ी करवाई जाती है। पुलिस ने बताया कि भारतीय विदेश मंत्रालय और विभिन्न राज्य व केंद्र की एजेंसियां मिलकर इन अंतरराष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट्स के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन आमजन की सतर्कता और जागरुकता इस खतरे से बचाव में सबसे महत्वपूर्ण है।

असल में साइबर गुलामी शोषण का एक आधुनिक रूप है, जिसमें व्यक्तियों को अवैध रूप से बंधक बनाकर साइबर धोखाधड़ी में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके तहत व्यक्तियों को उच्च वेतन वाले डाटा एंट्री पदों को हासिल करने का लालच देकर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में ले जाया जाता है, जहां उनसे जबरन साइबर धोखाधड़ी करवाई जाती है। इसमें हिंसा की धमकी देकर क्रिप्टोकरेंसी एप या धोखाधड़ी वाली निवेश योजनाओं में निवेश के लिए लोगों को राजी करने के लिए मजबूर करना शामिल है। इन देशों में पहुंचने पर पीड़ितों के पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते हैं और धोखाधड़ी करने वाले संगठनों द्वारा उन्हें नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाने के लिए मजबूर किया जाता है, ताकि व्यक्तियों को क्रिप्टोकरेंसी एप या धोखाधड़ी वाली निवेश योजनाओं में निवेश करने के लिए राजी किया जा सके।

एक बार जब किसी व्यक्ति द्वारा निवेश किए जाने के बाद सभी संचार अचानक समाप्त या अवरुद्ध कर दिए जाते हैं। इसके बाद यह खेल शुरू होकर पूरा कर लिया जाता है। हाल ही में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने दक्षिण-पूर्व एशिया से उत्पन्न साइबर अपराधों में अत्यधिक वृद्धि का उल्लेख किया है। पंजाब, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के अलावा उत्तर प्रदेश (2,946), केरल (2,659), दिल्ली (2,140), गुजरात (2,068) और हरियाणा (1,928) से दक्षिण-पूर्व एशिया गए बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। कर्नाटक, तेलंगाना और राजस्थान ने भी सैकड़ों लोगों के लापता होने की सूचना दी है, जबकि पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से कम संख्या में लोग लापता हैं। जनवरी, 2023 से अब तक राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर लगभग एक लाख से अधिक साइबर शिकायत दर्ज की गई हैं।

इस तरह की घटनाओं ने भारत सरकार को इस मुद्दे को सुलझाने एवं खामियों को उजागर करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी पैनल गठित करने के लिए प्रेरित किया है। पैनल ने बैंकिंग, इमिग्रेशन और टेलीकॉम सेक्टर में कमियों की पहचान की है। इस पैनल ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जमीनी स्तर पर गहन सत्यापन करने तथा भारत से दक्षिण-पूर्व एशिया गए लापता व्यक्तियों के बारे में विवरण एकत्र करने का निर्देश दिया है। टास्क फोर्स ने आव्रजन विभाग से देश छोड़ने से पहले संभावित पीड़ितों की पहचान करने के लिए स्थापित प्रणाली में सुधार का भी अनुरोध किया है। साइबर गुलामी से निपटने के लिए उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी पैनल की सिफारिशों के अनुसार केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय जाली दस्तावेजों के माध्यम से प्राप्त या साइबर अपराध में दुरुपयोग किए गए लगभग 2.17 करोड़ मोबाइल कनेक्शनों को डिस्कनेक्ट करने के साथ ही 2.26 लाख मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक करने की प्रक्रिया को पूरा कर रहा है।

असल में साइबर गुलामी अभूतपूर्व गंभीरता और पैमाने के संगठित अपराध के रूप में उभर रही है। अनुमान बताते हैं कि हजारों पीड़ित धोखाधड़ी वाले परिसरों में बंदी बनाए गए हैं। हालांकि धोखाधड़ी वाले संदेशों से परेशान होना अब रोजमर्रा की बात हो गई है, लेकिन यह असुविधा वास्तव में आधुनिक गुलामी के एक नए घातक रूप में दिखाई दे रही है। चूंकि घोटाले की गतिविधियां आभासी रूप से संचालित होती हैं, इसलिए रैकेट चलाने वाले आसानी से अपने धंधे को एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरित कर सकते हैं। इससे अपराधियों को शारीरिक रूप से गिरफ्तार करके (जैसे छापेमारी और बचाव) अपराध से निपटना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसके लिए सरकार और गैर-सरकारी संगठनों से एक व्यवस्थित और समन्वित दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता है। हालांकि यह काम इतना आसान नहीं है। सुदूर देशों में बैठे अपराधी अधिक शातिर हैं। उन्हें कानून के दायरे में लाना अपेक्षाकृत कठिन काम है।

वहीं साइबर स्लेवरी का शिकार होने के बाद इन युवाओं के उन देशों से भागने की कोशिश करने पर शारीरिक हिंसा या परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जाती है। इसके बाद ये और अधिक सहम जाते हैं। अगर कोई आपको डिजिटल तरीके से अविश्वसनीय जॉब ऑफर्स दे रहा है, तो सतर्क हो जाएं। खासकर अगर वे विदेश जाने के लिए जल्दबाजी करने को कहें। सोशल मीडिया और जॉब पोर्टल्स पर शेयर की गई जानकारी को सावधानी से दें। विदेश यात्रा से पहले कंपनी की पूरी जांच करें और एंबेसी से पुष्टि करें। अगर फंस जाएं, तो तुरंत भारतीय दूतावास, साइबर क्राइम सेल या परिवार से संपर्क करें। हाल ही में कई भारतीय युवाओं को साइबर स्लेवरी के मामलों में फंसाया गया है, जिन्हें बाहर लाने के लिए केंद्र सरकार सभी संबंधित विभागों के साथ मिलकर काम कर रही है।

केंद्र सरकार के साथ कई राज्यों की साइबर अपराध शाखा ने साइबर गुलामी पर एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि विदेशों में नौकरी की तलाश में आए लोगों को फर्जी एजेंट लुभावने आफर देकर पर्यटक वीजा पर भेज रहे हैं और फिर उन्हें जीविका चलाने के लिए साइबर धोखाधड़ी करने पर मजबूर कर रहे हैं। वहीं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने यात्रियों को साइबर गुलामी’ के खतरे के प्रति जागरूक करने के लिए हवाई अड्डों पर डिजिटल डिस्प्ले और स्टैंड लगाए हैं। पुलिस ने बताया कि संगठित गिरोह कई देशों से काम कर रहे हैं और अवैध भर्ती एजेंसियों के जरिए भारत से नौकरी चाहने वालों की भर्ती कर रहे हैं। ये एजेंसियां पीड़ितों को डाटा एंट्री और कॉल सेंटर में नौकरी दिलाने का वादा करती हैं। पीड़ितों के इन देशों में पहुंचने पर वहां सक्रिय गिरोह उनके कागजात जब्त कर लेते हैं और उन्हें देश से बाहर जाने से रोक देते हैं। उन्हें घर लौटने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ती है।

वहीं पुलिस ने विदेश नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं से अपील की है कि वे सिर्फ विदेश मंत्रालय द्वारा पंजीकृत एजेंटों के माध्यम से ही आवेदन करें। नागरिकों को सलाह दी गई है कि किसी भी अनजान या अवैध एजेंट द्वारा भेजे गए नौकरी के ऑफर पर भरोसा न करें। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर पंजीकृत एजेंटों की सूची उपलब्ध है। इस सूची में नाम देखकर ही नौकरी संबंधी निर्णय लें। यदि किसी व्यक्ति को ईमेल, व्हाट्सएप, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम या फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर कोई संदिग्ध लिंक या नौकरी का ऑफर मिले, तो वह तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें या राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल या अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाएं। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस नए साइबर खतरे के प्रति जागरूक रहें तथा खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखें।

रिलायंस कम्युनिकेशंस फ्रॉड मामला: SBI के बाद अब BOI ने भी अनिल अंबानी को ठहराया जिम्मेदार, CBI की जांच तेज

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जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: देश की दिवालिया हो चुकी दूरसंचार कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) पर संकट और गहराता जा रहा है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बाद अब बैंक ऑफ इंडिया (BOI) ने भी कंपनी और उसके पूर्व निदेशक अनिल अंबानी को धोखाधड़ी (फ्रॉड) का दोषी बताया है। बैंक ने इस संबंध में 8 अगस्त को एक पत्र कंपनी को भेजा, जिसमें कंपनी और संबंधित व्यक्तियों के खातों को “फ्रॉड” घोषित किया गया है।

करोड़ों का लोन बना फ्रॉड केस?

बैंक ऑफ इंडिया ने अगस्त 2016 में RCom को ₹724.78 करोड़ का कर्ज दिया था, जिसका उद्देश्य कंपनी के रोज़मर्रा के खर्च, संचालन और पुराने कर्ज का भुगतान करना था। लेकिन बैंक का आरोप है कि RCom ने न केवल लोन की शर्तों का उल्लंघन किया, बल्कि फंड्स का गलत इस्तेमाल भी किया।

BOI की रिपोर्ट के अनुसार?

यह खाता 30 जून 2017 को ही NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) बन गया था।

कर्ज की राशि न चुकाने पर अब इसे फ्रॉड अकाउंट घोषित किया गया है।

बैंक ने कंपनी की एक और सहयोगी इकाई, रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड, के खिलाफ भी कार्रवाई की है, जिस पर ₹51.77 करोड़ का बकाया है।

CBI की छापेमारी और गंभीर खुलासे

बढ़ते आरोपों के बीच CBI ने हाल ही में मुंबई में दो जगहों पर छापेमारी की – एक अनिल अंबानी के घर पर और दूसरा RCom के कार्यालय में। यह कार्रवाई SBI की शिकायत पर आधारित है, जिसमें RCom पर ₹2,929.05 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप है।

CBI की जांच में सामने आया?

लोन की रकम का अन्य कंपनियों को अवैध ट्रांसफर किया गया।

फर्जी बिलों के ज़रिए पैसों को हेर-फेर किया गया।

पैसों को रिलायंस ग्रुप की अन्य कंपनियों में घुमाया गया।

अनिल अंबानी का पक्ष?

इन गंभीर आरोपों पर अनिल अंबानी के प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए कहा कि सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। अंबानी कानूनी प्रक्रिया में पूरा सहयोग करेंगे और अपनी सफाई पेश करेंगे।

बढ़ती मुश्किलें और संभावित नतीजे

विशेषज्ञों का मानना है कि बैंकों की ओर से लगातार मिल रहे धोखाधड़ी के प्रमाण और CBI की सक्रियता के चलते अनिल अंबानी के खिलाफ कानूनी शिकंजा कसता जा रहा है।

यदि सभी आरोप साबित होते हैं, तो यह मामला भारत के सबसे बड़े कॉर्पोरेट फ्रॉड मामलों में से एक बन सकता है।

चुनावी धांधली पर राज ठाकरे का बड़ा बयान: राहुल गांधी के आरोपों का किया समर्थन, कहा- “वोटिंग में गड़बड़ी नया मुद्दा नहीं”

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए ‘वोट चोरी’ के आरोपों का समर्थन करते हुए चुनावी प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। पुणे में आयोजित पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारत की चुनावी प्रणाली में गंभीर गड़बड़ियां हो रही हैं, जो कोई नया मामला नहीं है।

राज ठाकरे ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को साल 2016-17 में ही उठाया था, लेकिन विपक्ष ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने बताया कि उस समय उन्होंने शरद पवार, सोनिया गांधी और ममता बनर्जी से मुलाकात की थी और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की बात भी रखी थी, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस विषय पर दबाव बनाया जा सके। लेकिन, उनके अनुसार, विपक्ष इस पर पीछे हट गया।

“वोट डाले जा रहे हैं, लेकिन उम्मीदवारों तक नहीं पहुंच रहे”

राज ठाकरे ने राहुल गांधी के इस बयान का समर्थन किया कि “लोग वोट डाल रहे हैं लेकिन वोट उम्मीदवारों तक नहीं पहुंच रहे, वो चोरी हो रहे हैं।” उन्होंने दावा किया कि 2014 के बाद से अब तक की कई सरकारें इसी चुनावी धांधली के कारण सत्ता में आई हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का उदाहरण

ठाकरे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि बीजेपी को 132 सीटें, एकनाथ शिंदे को 56 और अजित पवार को 42 सीटें मिलीं थीं। बावजूद इसके ना जीतने वाले खुश थे और ना हारने वाले। उन्होंने इसे चुनावी गड़बड़ी का नतीजा बताया।

चुनाव आयोग पर सवाल

राज ठाकरे ने हाल ही में चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी से हलफनामा मांगा गया, जबकि वह विपक्ष के नेता हैं। वहीं, बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने भी 6 सीटों पर गड़बड़ी का आरोप लगाया था। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही चुनावी धांधली की बात कर रहे हैं, तो फिर चुनाव आयोग चुप क्यों है?

निकाय चुनावों में सतर्कता की सलाह

MNS प्रमुख ने पार्टी कार्यकर्ताओं को आगाह करते हुए कहा कि आगामी निकाय चुनावों में विशेष सतर्कता बरतनी होगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया कि वोटर लिस्ट की जांच पर गहराई से काम करें, ताकि किसी भी गड़बड़ी को पहले ही रोका जा सके।

“पहले मतदाता सूची को दुरुस्त करें”

राज ठाकरे ने दो टूक कहा कि अगर विपक्ष वास्तव में चुनावी धांधली को बेनकाब करना चाहता है और सत्ता में आना चाहता है, तो सबसे पहले मतदाता सूची को दुरुस्त करना होगा। जब तक वोटर लिस्ट ठीक नहीं होगी, चुनाव जीतना असंभव है।

ग्रेटर नोएडा निक्की हत्याकांड: मुख्य आरोपी पति विपिन मुठभेड़ में घायल, गिरफ्तार

जनवाणी ब्यूरो |

ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा के सिरसा गांव में दहेज के लिए विवाहिता निक्की की बर्बर हत्या के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। रविवार को पुलिस ने मुख्य आरोपी और निक्की के पति विपिन भाटी को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया। सिरसा चौराहे के पास हुई इस मुठभेड़ में विपिन के पैर में गोली लगी, जिसके बाद उसे मौके से हिरासत में ले लिया गया।

पुलिस के अनुसार, विपिन को हिरासत में ले जाने के दौरान वह भागने की कोशिश कर रहा था, तभी पुलिस को गोली चलानी पड़ी। उसे पैर में गोली लगी और उसे घायल अवस्था में गिरफ्तार कर लिया गया।

क्या है पूरा मामला?

उत्तर प्रदेश के कासना कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सिरसा गांव में 27 वर्षीय निक्की को दहेज के लिए बर्बरता से पीटने के बाद उस पर ज्वलनशील पदार्थ डालकर जिंदा जला दिया गया। यह पूरी घटना निक्की की बहन कंचन की आंखों के सामने हुई, जो मौके पर मौजूद थी और उसने इसका वीडियो भी रिकॉर्ड किया।

दहेज की मांग और प्रताड़ना का सिलसिला

निक्की और उसकी बड़ी बहन कंचन की शादी दिसंबर 2016 में क्रमशः विपिन और उसके भाई रोहित भाटी से हुई थी। पीड़ित परिवार का कहना है कि शादी में स्कॉर्पियो और अन्य सामान देने के बावजूद ससुराल वाले 35 लाख रुपये की अतिरिक्त दहेज की मांग कर रहे थे।

पीड़िता के पिता भिकारी सिंह ने बताया कि कई बार पंचायत कर सुलह कराई गई, लेकिन प्रताड़ना बंद नहीं हुई। दोनों बहनों को लगातार पीटा जाता था। पीड़ित परिवार ने एक और कार देकर मामले को शांत करने की कोशिश की, लेकिन दबाव और हिंसा बढ़ती रही।

हत्या की दिल दहला देने वाली वारदात

कंचन ने आरोप लगाया कि बृहस्पतिवार शाम करीब 5:30 बजे उसकी सास दया, देवर विपिन, पति रोहित, और ससुर सत्यवीर ने मिलकर निक्की की हत्या की साजिश रची। सास दया ने ज्वलनशील पदार्थ लाकर विपिन को दिया, जिसने निक्की पर डालकर आग लगा दी।

इस हमले में निक्की बुरी तरह झुलस गई थी। उसे फौरन फोर्टिस अस्पताल और फिर सफदरजंग ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

आरोपी गिरफ्तार, केस दर्ज

निक्की की बहन कंचन की शिकायत पर चार लोगों के खिलाफ हत्या और साजिश की धाराओं में FIR दर्ज की गई है। आरोपी हैं पति विपिन भाटी, जेठ रोहित भाटी, सास दया, ससुर सत्यवीर।

विपिन की गिरफ्तारी

मुख्य आरोपी विपिन वारदात के बाद फरार हो गया था। पुलिस ने दो दिन की तलाशी के बाद रविवार को सिरसा चौराहे के पास उसे ट्रैक किया। फरारी के दौरान हुई मुठभेड़ में गोली लगने से वह घायल हो गया और पुलिस ने उसे काबू में ले लिया।

न्याय की मांग

निक्की के परिवार ने आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग की है। वहीं, मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने इसे फास्ट-ट्रैक कोर्ट में ले जाने की बात कही है।

Saharanpur News: दो महिलाओं की गिरफ्तारी के बाद फरार चल रहे आरोपी को पुलिस ने घायलावस्था में पकड़ा, तमंचा और कारतूस बरामद

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जनवाणी संवाददाता |

सहारनपुर: जनपद सहारनपुर में गोकशी के मुकदमे में फरार चल रहे आरोपी को पुलिस ने शनिवार की देर रात मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए आरोपी के पैर में पुलिस की जवाबी फायरिंग के दौरान गोली लगी, जिसके बाद उसे घायलावस्था में दबोच लिया गया। पुलिस ने आरोपी के पास से एक तमंचा .315 बोर और एक खोखा कारतूस बरामद किया है। आरोपी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है और आगे की विधिक कार्रवाई की जा रही है।

इससे पहले पुलिस इसी मामले में दो महिलाओं को गिरफ्तार कर चुकी थी। उस समय आरोपी नसीम और उसका पुत्र मौके से भागने में कामयाब हो गए थे। तभी से पुलिस उसकी तलाश कर रही थी।

रविवार को एसपी सिटी व्योम बिंदल ने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सहारनपुर के निर्देशन में जनपद पुलिस इन दिनों अपराधियों के खिलाफ अभियान चला रही है। इसी क्रम में थाना जनकपुरी पुलिस प्रभारी निरीक्षक के नेतृत्व में दुधली रोड पर गश्त कर रही थी। रात लगभग ग्यारह बजे के करीब जब टीम जमालपुर पुलिया के पास फैक्ट्री से सटे खाली प्लॉट पर पहुँची तो वहाँ एक संदिग्ध व्यक्ति दिखाई दिया। पुलिसकर्मी जैसे ही उसे रोकने और पूछताछ करने आगे बढ़े, संदिग्ध ने अचानक घबराकर पुलिस पर फायरिंग कर दी और मौके से भागने लगा। आत्मरक्षा में पुलिस टीम ने भी जवाबी फायरिंग की। इस दौरान एक गोली बदमाश के बाएँ पैर में लगी और वह ज़मीन पर गिर पड़ा। मौके पर ही पुलिस ने उसे काबू कर लिया।गिरफ्तार बदमाश की पहचान नसीम पुत्र लतीफ निवासी ग्राम छजपुरा, थाना जनकपुरी, सहारनपुर के रूप में हुई है। पुलिस अभिलेखों के अनुसार, नसीम पर पहले से ही गोकशी, आर्म्स एक्ट और अन्य अपराधों में कुल चार मुकदमे दर्ज हैं। वह थाना जनकपुरी के मुकदमा संख्या 199/25, धारा 3/5/8(1) सी.एस. एक्ट का वांछित अभियुक्त भी है।पुलिस ने आरोपी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है। उसके कब्जे से मिले अवैध हथियार और कारतूस को जब्त कर लिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि आरोपी से पूछताछ कर उसके अन्य सहयोगियों और नेटवर्क के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी।जानकारी के अनुसार, दो दिन पहले जनकपुरी पुलिस ने गोकशी के मामले में कार्रवाई करते हुए दो महिलाओं को गिरफ्तार किया था। उसी दौरान नसीम और उसका पुत्र पुलिस को चकमा देकर भाग निकले थे। तब से ही पुलिस लगातार उसकी तलाश में दबिश दे रही थी। आखिरकार शनिवार की रात हुई मुठभेड़ में उसे पकड़ने में सफलता मिली।

Cheteshwar Pujara Retired: भारतीय क्रिकेट की ‘दीवार’ पुजारा ने लिया संन्यास, भावुक पोस्ट कर जताया आभार

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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे भरोसेमंद और तकनीकी रूप से परिपक्व बल्लेबाजों में से एक चेतेश्वर पुजारा ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया। पुजारा ने यह बड़ा फैसला एक भावुक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए साझा किया। पुजारा ने लिखा कि भारतीय जर्सी पहनकर देश का प्रतिनिधित्व करना उनके जीवन का सबसे बड़ा गर्व और सम्मान रहा। उन्होंने अपने लंबे और शानदार क्रिकेट करियर को अलविदा कहते हुए कहा कि इस अनुभव को शब्दों में बयां करना नामुमकिन है।

राजकोट के एक छोटे से शहर से निकलकर भारतीय टेस्ट टीम की रीढ़ बनने तक का सफर तय करने वाले पुजारा ने हमेशा अपने शांत स्वभाव और अडिग फोकस से खुद को अलग साबित किया। उनके करियर का एकमात्र लक्ष्य था भारतीय क्रिकेट के लिए समर्पण और योगदान। यही वजह रही कि वे टीम इंडिया के लिए एक अहम स्तंभ बनकर उभरे, खासतौर पर टेस्ट क्रिकेट में। उन्हें राहुल द्रविड़ के बाद भारत की “नई दीवार” कहा जाने लगा।

अपने रिटायरमेंट नोट में पुजारा ने लिखा

अपने रिटायरमेंट नोट में पुजारा ने लिखा, ‘राजकोट के एक छोटे शहर से निकलकर मैंने क्रिकेट के जरिए सितारों को छूने का सपना देखा था। यह खेल मुझे सिर्फ पहचान ही नहीं, बल्कि जिंदगी के कई अनमोल अनुभव, उद्देश्य और सच्चा प्यार भी दे गया। सबसे बड़ी बात, इसने मुझे अपने राज्य और देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया।’

पुजारा का ये संदेश केवल एक विदाई नहीं थी, बल्कि उन सभी यादों, संघर्षों और उपलब्धियों का भावनात्मक पुनरावलोकन भी था जो उन्होंने पिछले दो दशकों में एक क्रिकेटर के तौर पर संजोईं। उन्होंने लिखा, ‘जर्सी पहनकर मैदान में उतरना, राष्ट्रगान गाना और हर बार अपना सर्वश्रेष्ठ देना, ये सब कुछ मेरे लिए बेहद खास था।’ हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हर सफर का एक पड़ाव होता है और अब उन्होंने इस सफर को यहीं विराम देने का फैसला लिया है।

पुजारा ने इन सभी को कहा धन्यवाद

पुजारा ने बीसीसीआई और सौराष्ट्र क्रिकेट संघ का आभार जताते हुए लिखा कि इन संस्थाओं ने उन्हें मंच दिया, विश्वास दिखाया और हमेशा समर्थन किया। इसके साथ ही उन्होंने उन सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय टीमों का भी धन्यवाद किया जिनका वह हिस्सा रहे, चाहे वह भारत के लिए खेलना हो, रणजी ट्रॉफी में सौराष्ट्र की अगुआई करना हो या फिर इंग्लैंड की काउंटी क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन।

अपने पोस्ट में पुजारा ने उन सभी का भी आभार व्यक्त किया जो पर्दे के पीछे रहकर टीम के लिए कार्य करते हैं, चाहे वह सपोर्ट स्टाफ, नेट बॉलर, ग्राउंड स्टाफ, अंपायर्स, स्कोरर्स, मीडिया कर्मी और एनालिस्ट्स तक। उन्होंने कहा कि इन सभी की मेहनत और समर्पण के बिना मैदान पर हमारा प्रदर्शन संभव नहीं होता। अपने प्रायोजकों, मैनेजमेंट और पार्टनर्स को भी पुजारा ने धन्यवाद कहा कि उन्होंने वर्षों तक उन पर भरोसा बनाए रखा और मैदान के बाहर भी उनका साथ दिया।

फैंस को लेकर पुजारा ने कहीं भावुक बातें

फैंस को लेकर पुजारा ने बेहद भावुक बातें कहीं। उन्होंने कहा कि दुनिया के हर कोने में उन्हें जो प्यार और समर्थन मिला, वो उनके लिए प्रेरणा का स्रोत रहा। चाहे मैदान भारत का हो या विदेश का, फैंस की ऊर्जा ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने का हौसला दिया। अपने परिवार का जिक्र करते हुए पुजारा की भावनाएं स्पष्ट झलकती हैं। उन्होंने लिखा कि उनके माता-पिता, पत्नी पूजा, बेटी अदिति, ससुराल पक्ष और पूरे परिवार ने इस सफर में जो त्याग किए और समर्थन दिया, वो अनमोल है। उन्होंने कहा कि अब वह अपने जीवन के अगले अध्याय में प्रवेश कर रहे हैं, जहां वह परिवार को प्राथमिकता देंगे और उनके साथ ज्यादा समय बिताना चाहेंगे।

मैं इस खेल का ऋणी हूं, और आप सभी का भी

पोस्ट के अंत में पुजारा ने हाथ जोड़ते हुए देशवासियों से मिले प्रेम और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने लिखा, ‘आप सभी के प्यार और आशीर्वाद ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया। मैं इस खेल का ऋणी हूं, और आप सभी का भी।’ चेतेश्वर पुजारा का रिटायर होना सिर्फ एक खिलाड़ी की विदाई नहीं, बल्कि भारतीय क्रिकेट के एक स्वर्णिम अध्याय का समापन है। उन्होंने जो धैर्य, अनुशासन और सम्मान के साथ खेला, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा। इसी के साथ 2020 के दशक में भारतीय टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजी की रीढ़ रहे मुख्य खिलाड़ियों का रिटायर होना जारी है। पुजारा से पहले, रोहित शर्मा और विराट कोहली ने टेस्ट को अलविदा कह दिया था। रविचंद्रन अश्विन ने भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया है।

Anish Dayal Singh: आईबी से लेकर सीआरपीएफ तक का लंबा अनुभव, अब डिप्टी एनएसए बने अनीश दयाल सिंह

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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक् स्वागत और अभिनंदन है। केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ और आईटीबीपी के पूर्व महानिदेशक अनीश दयाल सिंह को नया उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy NSA) नियुक्त किया है। उन्हें देश के आंतरिक मामलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, अनीश दयाल सिंह मणिपुर कैडर के 1988 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं। वे दिसंबर 2024 में सेवानिवृत्त हुए थे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने आंतरिक सुरक्षा और अर्धसैनिक बलों से जुड़े कई अहम पदों पर जिम्मेदारी निभाई।

आईटीबीपी और सीआरपीएफ का नेतृत्व करने से पहले उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) में करीब 30 वर्षों तक सेवा की, जहां उन्होंने आंतरिक सुरक्षा से जुड़े कई अहम मामलों पर काम किया। नए पद पर अनीश दयाल सिंह को जम्मू-कश्मीर, नक्सलवाद और पूर्वोत्तर उग्रवाद जैसे संवेदनशील आंतरिक सुरक्षा मुद्दों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। माना जा रहा है कि आईबी और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में उनके लंबे अनुभव से राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को मजबूती मिलेगी। इस समय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ कई उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कार्यरत हैं। इनमें पूर्व रॉ प्रमुख राजिंदर खन्ना अतिरिक्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं।

Arjun Bijlani: पत्नी नेहा संग तलाक की खबरों पर बोले अर्जुन बिजलानी, बिग बॉस 19 में एंट्री को लेकर तोड़ी चुप्पी

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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। टीवी इंडस्ट्री के लोकप्रिय अभिनेता अर्जुन बिजलानी इन दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं। कयास लगाए जा रहे थे कि वह आज से शुरू हो रहे रियलिटी शो ‘बिग बॉस 19’ का हिस्सा बन सकते हैं। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर उनकी निजी जिंदगी को लेकर भी खबरें तेज थीं कि वह अपनी पत्नी नेहा स्वामी से तलाक ले रहे हैं। इन सभी खबरों पर अब खुद अर्जुन बिजलानी ने प्रतिक्रिया दी है।

इंस्टाग्राम पर वीडियो किया शेयर

बता दें कि, अर्जुन बिजलानी ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वो अपनी पत्नी नेहा स्वामी के साथ खूबसूरत अंदाज में नजर आ रहे हैं। इस वीडियो में दोनों की कई तस्वीरें दिखाई पड़ रही हैं। इस पोस्ट को शेयर करते हुए अभिनेता ने कैप्शन में लिखा, ‘पिछले वीडियो में मैंने जो भी कहा, उसके कुछ मायने थे। लेकिन मैंने कहा कि अटकलें मत लगाएं, इसलिए मैं यह स्पष्ट कर दूं कि न तो मैं बिग बॉस में आ रहा हूं और न ही तलाक ले रहा हूं। बस आपको बताने आया हूं।’ उन्होंने आगे कहा कि वह सोमवार को इस पर एक अपडेट दूंगा। अब फिर से नेटिजंस के मन में कई सवाल उठने लगे हैं।

कब शुरू हुई अफवाहें

अर्जुन बिजलानी के बारे में ये अफवाहों का दौर उस समय शुरू हुआ, जब अभिनेता ने दो दिन पहले एक क्रिप्टिक पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने कहा था, ‘जब भी मेरे जीवन में कुछ होता है, मैं हमेशा आपके साथ साझा करता हूं। मैंने सोचा कि मैं इसे आपके साथ साझा करूंगा, क्योंकि अभी बहुत कुछ चल रहा है। आप सभी जानते हैं कि मेरा परिवार मेरे लिए कितना महत्वपूर्ण है, खास तौर से मेरी पत्नी और बच्चे। वे हमेशा मेरे उतार-चढ़ाव में मेरे साथ रहे हैं। लेकिन, परिस्थितियों के कारण, मुझे एक अलग रास्ता अपनाना होगा और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा करूंगा।’ इसी के बाद से ये अफवाहें शुरू हुई। हालांकि अब अभिनेता ने सभी को निराधार बताया।

अर्जुन बिजलानी बिग बॉस 19 में नहीं आएंगे नजर

आज 24 अगस्त से सलमान खान द्वारा होस्ट किया जाने वाला शो बिग बॉस 19 शुरू हो रहा है। इसे लेकर सारे प्रतियोगियों का नाम आज सामने आ जाएंगे। हालांकि, अर्जुन बिजलानी ने शो में शामिल होने की अफवाहों को खारिज कर दिया है।