साइबर गुलामी अभूतपूर्व गंभीरता और पैमाने के संगठित अपराध के रूप में उभर रही है। अनुमान बताते हैं कि हजारों पीड़ित धोखाधड़ी वाले परिसरों में बंदी बनाए गए हैं। हालांकि धोखाधड़ी वाले संदेशों से परेशान होना अब रोजमर्रा की बात हो गई है, लेकिन यह असुविधा वास्तव में आधुनिक गुलामी के एक नए घातक रूप में दिखाई दे रही है। चूंकि घोटाले की गतिविधियां आभासी रूप से संचालित होती हैं, इसलिए रैकेट चलाने वाले आसानी से अपने धंधे को एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरित कर सकते हैं। इससे अपराधियों को शारीरिक रूप से गिरफ्तार करके (जैसे छापेमारी और बचाव) अपराध से निपटना बेहद मुश्किल हो जाता है।
अमित बैजनाथ गर्ग
सेक्सटॉर्शन, निवेश, हनीट्रैप, ई-ट्रेडिंग फ्रॉड, डेटिंग एप फ्रॉड, साइबर बुलिंग, फर्जी लोन एप्स, जॉब आफर फ्रॉड, इनकम टैक्स फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट के बाद इन दिनों साइबर ठगी का एक नया रूप सामने आ रहा है, जिसे साइबर स्लेवरी यानी कि साइबर गुलामी कहा जा रहा है। दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में आकर्षक नौकरियों के नाम पर भारतीय प्रवासी अब एक नए तरह के जाल में फंस रहे हैं, जहां भारतीयों को उच्च वेतन वाली नौकरियों का भ्रामक वादा करके साइबर गुलामी करवाई जा रही है। साइबर स्लेवरी के इस खतरनाक ट्रेंड में तकनीकी रूप से दक्ष और पढ़े-लिखे युवाओं को विदेश में आकर्षक नौकरियों का लालच देकर दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों में फंसाया जा रहा है, जहां उन्हें बंधक बनाकर साइबर अपराध करवाए जा रहे हैं। यह संगठित गिरोह खासतौर पर लाओस, म्यांमार और कंबोडिया जैसे देशों में सक्रिय हैं।
हाल ही में सरकार और पुलिस ने लोगों को साइबर स्लेवरी के खतरनाक ट्रेंड को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। पुलिस का कहना है कि इन देशों में युवाओं को आईटी सेक्टर में शानदार नौकरी देने का झांसा दिया जाता है। जैसे ही वे वहां पहुंचते हैं, उनके पासपोर्ट और अन्य दस्तावेज छीन लिए जाते हैं और उन्हें शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित कर साइबर ठगी के लिए मजबूर किया जाता है। इन युवाओं से भारतीय नागरिकों को निशाना बनाकर आॅनलाइन धोखाधड़ी करवाई जाती है। पुलिस ने बताया कि भारतीय विदेश मंत्रालय और विभिन्न राज्य व केंद्र की एजेंसियां मिलकर इन अंतरराष्ट्रीय अपराध सिंडिकेट्स के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन आमजन की सतर्कता और जागरुकता इस खतरे से बचाव में सबसे महत्वपूर्ण है।
असल में साइबर गुलामी शोषण का एक आधुनिक रूप है, जिसमें व्यक्तियों को अवैध रूप से बंधक बनाकर साइबर धोखाधड़ी में शामिल होने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके तहत व्यक्तियों को उच्च वेतन वाले डाटा एंट्री पदों को हासिल करने का लालच देकर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में ले जाया जाता है, जहां उनसे जबरन साइबर धोखाधड़ी करवाई जाती है। इसमें हिंसा की धमकी देकर क्रिप्टोकरेंसी एप या धोखाधड़ी वाली निवेश योजनाओं में निवेश के लिए लोगों को राजी करने के लिए मजबूर करना शामिल है। इन देशों में पहुंचने पर पीड़ितों के पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते हैं और धोखाधड़ी करने वाले संगठनों द्वारा उन्हें नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाने के लिए मजबूर किया जाता है, ताकि व्यक्तियों को क्रिप्टोकरेंसी एप या धोखाधड़ी वाली निवेश योजनाओं में निवेश करने के लिए राजी किया जा सके।
एक बार जब किसी व्यक्ति द्वारा निवेश किए जाने के बाद सभी संचार अचानक समाप्त या अवरुद्ध कर दिए जाते हैं। इसके बाद यह खेल शुरू होकर पूरा कर लिया जाता है। हाल ही में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने दक्षिण-पूर्व एशिया से उत्पन्न साइबर अपराधों में अत्यधिक वृद्धि का उल्लेख किया है। पंजाब, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के अलावा उत्तर प्रदेश (2,946), केरल (2,659), दिल्ली (2,140), गुजरात (2,068) और हरियाणा (1,928) से दक्षिण-पूर्व एशिया गए बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। कर्नाटक, तेलंगाना और राजस्थान ने भी सैकड़ों लोगों के लापता होने की सूचना दी है, जबकि पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से कम संख्या में लोग लापता हैं। जनवरी, 2023 से अब तक राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर लगभग एक लाख से अधिक साइबर शिकायत दर्ज की गई हैं।
इस तरह की घटनाओं ने भारत सरकार को इस मुद्दे को सुलझाने एवं खामियों को उजागर करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी पैनल गठित करने के लिए प्रेरित किया है। पैनल ने बैंकिंग, इमिग्रेशन और टेलीकॉम सेक्टर में कमियों की पहचान की है। इस पैनल ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जमीनी स्तर पर गहन सत्यापन करने तथा भारत से दक्षिण-पूर्व एशिया गए लापता व्यक्तियों के बारे में विवरण एकत्र करने का निर्देश दिया है। टास्क फोर्स ने आव्रजन विभाग से देश छोड़ने से पहले संभावित पीड़ितों की पहचान करने के लिए स्थापित प्रणाली में सुधार का भी अनुरोध किया है। साइबर गुलामी से निपटने के लिए उच्च स्तरीय अंतर-मंत्रालयी पैनल की सिफारिशों के अनुसार केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय जाली दस्तावेजों के माध्यम से प्राप्त या साइबर अपराध में दुरुपयोग किए गए लगभग 2.17 करोड़ मोबाइल कनेक्शनों को डिस्कनेक्ट करने के साथ ही 2.26 लाख मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक करने की प्रक्रिया को पूरा कर रहा है।
असल में साइबर गुलामी अभूतपूर्व गंभीरता और पैमाने के संगठित अपराध के रूप में उभर रही है। अनुमान बताते हैं कि हजारों पीड़ित धोखाधड़ी वाले परिसरों में बंदी बनाए गए हैं। हालांकि धोखाधड़ी वाले संदेशों से परेशान होना अब रोजमर्रा की बात हो गई है, लेकिन यह असुविधा वास्तव में आधुनिक गुलामी के एक नए घातक रूप में दिखाई दे रही है। चूंकि घोटाले की गतिविधियां आभासी रूप से संचालित होती हैं, इसलिए रैकेट चलाने वाले आसानी से अपने धंधे को एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरित कर सकते हैं। इससे अपराधियों को शारीरिक रूप से गिरफ्तार करके (जैसे छापेमारी और बचाव) अपराध से निपटना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसके लिए सरकार और गैर-सरकारी संगठनों से एक व्यवस्थित और समन्वित दृष्टिकोण की तत्काल आवश्यकता है। हालांकि यह काम इतना आसान नहीं है। सुदूर देशों में बैठे अपराधी अधिक शातिर हैं। उन्हें कानून के दायरे में लाना अपेक्षाकृत कठिन काम है।
वहीं साइबर स्लेवरी का शिकार होने के बाद इन युवाओं के उन देशों से भागने की कोशिश करने पर शारीरिक हिंसा या परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जाती है। इसके बाद ये और अधिक सहम जाते हैं। अगर कोई आपको डिजिटल तरीके से अविश्वसनीय जॉब ऑफर्स दे रहा है, तो सतर्क हो जाएं। खासकर अगर वे विदेश जाने के लिए जल्दबाजी करने को कहें। सोशल मीडिया और जॉब पोर्टल्स पर शेयर की गई जानकारी को सावधानी से दें। विदेश यात्रा से पहले कंपनी की पूरी जांच करें और एंबेसी से पुष्टि करें। अगर फंस जाएं, तो तुरंत भारतीय दूतावास, साइबर क्राइम सेल या परिवार से संपर्क करें। हाल ही में कई भारतीय युवाओं को साइबर स्लेवरी के मामलों में फंसाया गया है, जिन्हें बाहर लाने के लिए केंद्र सरकार सभी संबंधित विभागों के साथ मिलकर काम कर रही है।
केंद्र सरकार के साथ कई राज्यों की साइबर अपराध शाखा ने साइबर गुलामी पर एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि विदेशों में नौकरी की तलाश में आए लोगों को फर्जी एजेंट लुभावने आफर देकर पर्यटक वीजा पर भेज रहे हैं और फिर उन्हें जीविका चलाने के लिए साइबर धोखाधड़ी करने पर मजबूर कर रहे हैं। वहीं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने यात्रियों को साइबर गुलामी’ के खतरे के प्रति जागरूक करने के लिए हवाई अड्डों पर डिजिटल डिस्प्ले और स्टैंड लगाए हैं। पुलिस ने बताया कि संगठित गिरोह कई देशों से काम कर रहे हैं और अवैध भर्ती एजेंसियों के जरिए भारत से नौकरी चाहने वालों की भर्ती कर रहे हैं। ये एजेंसियां पीड़ितों को डाटा एंट्री और कॉल सेंटर में नौकरी दिलाने का वादा करती हैं। पीड़ितों के इन देशों में पहुंचने पर वहां सक्रिय गिरोह उनके कागजात जब्त कर लेते हैं और उन्हें देश से बाहर जाने से रोक देते हैं। उन्हें घर लौटने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
वहीं पुलिस ने विदेश नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं से अपील की है कि वे सिर्फ विदेश मंत्रालय द्वारा पंजीकृत एजेंटों के माध्यम से ही आवेदन करें। नागरिकों को सलाह दी गई है कि किसी भी अनजान या अवैध एजेंट द्वारा भेजे गए नौकरी के ऑफर पर भरोसा न करें। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर पंजीकृत एजेंटों की सूची उपलब्ध है। इस सूची में नाम देखकर ही नौकरी संबंधी निर्णय लें। यदि किसी व्यक्ति को ईमेल, व्हाट्सएप, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम या फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर कोई संदिग्ध लिंक या नौकरी का ऑफर मिले, तो वह तुरंत साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें या राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल या अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाएं। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस नए साइबर खतरे के प्रति जागरूक रहें तथा खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखें।