- रोहटा रोड पर सिंधावली व जिंजोखर के जंगल में अवैध मिट्टी खनन
- शाम पांच बजे से सुबह छह बजे तक दौड़ते हैं मिट्टी से भरे डंपर
जनवाणी संवाददाता |
कंकरखेड़ा: धरती को बचाने के लिए अवैध खनन पर शिकंजा कसने को लेकर जिला प्रशासन दावा करते नहीं थकता है। दावे किए जाते हैं कि अवैध खनन करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन सिधांवली और जिंजोखर में शहर से चंद कदम दूर अवैध खनन की मुंह बोलती तस्वीर देखकर जिला प्रशासन का असली चेहरा सामने आ जाएगा,
क्योंकि खनन माफिया सत्ताधारी राजनीतिक आशीर्वाद लेकर अवैध मिट्टी खनन के महाखेल को मुट्ठी में कर लिया है। रात के अंधेरे में सिंधावली और जिंजोखर में बड़े स्तर पर अवैध मिट्टी खनन हो रहा है। सब कुछ जानते हुए संबंधित विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी खामोश बैठे हुए हैं। जांच पड़ताल करने पर मालूम हो जाएगा कि सत्ताधारियों का आशीर्वाद लेकर अवैध मिट्टी खनन करने वाले खास लोगों ने इस अवैध धंधे का रास्ता बनाया हुआ है।
शासन-प्रशासन के आदेशों को धता बताते हुए खनन माफिया धरती का सीना छलनी करने से बाज नहीं आ रहे। अवैध खनन के कारोबार में लिप्त लोगों पर कार्रवाई करने के बजाए पुलिस व प्रशासनिक अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे है। जिले के सभी क्षेत्रों में अवैध खनन का कारोबार बदस्तूर जारी है। इसमें पुलिस मोटी रकम डकार रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फरमान जारी किया था कि अवैध मिट्टी खनन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है।
पुलिस प्रशासन की सरपरस्ती में इन दिनों मिट्टी के अवैध खनन का धंधा परवान पर है। खनन माफिया धरती का सीना छलनी कर अवैध कालोनियों में भराव कर रहे हैं। खनन फावड़े के बजाय जेसीबी से हो रहा है, अनुमति से अधिक स्थानों पर हो रहा है, जितने गहराई तक खुदाई की अनुमति है, उसके दोगुना खोदा जा रहा है और यह सब राजनीतिक और कुछ प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत से चल रहा है। जिले के आलाधिकारियों तक को इस बात की सूचना होने के बावजूद अभी तक किसी प्रकार की कार्रवाई खनन माफियाओं के खिलाफ नहीं की गई।
रोहटा रोड पर अवैध खनन जोरों पर है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि पुलिस की सांठगांठ से क्षेत्र में अवैध खनन हो रहा है। शाम को 5 बजते ही जेसीबी मशीन खेतों पर लग जाती है और डंपरों में अवैध रूप से मिट्टी भरकर शहरी क्षेत्र में ले जा रहे हैं। पुलिस से शिकायत की जाती है तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। सूत्रों की माने तो प्रति ट्रैक्टर-ट्रॉली और डंपर चलाने वालों से हजारों रुपये प्रति महीना एंट्री फीस के नाम पर वसूला जाता है। जिससे खनन माफिया सुबह शाम 5 बजे से सुबह 6 बजे तक खनन करते हैं। खनन माफिया इसको पुलिस की एंट्री फीस बोलते हैं। ऐसा ही हाल खिर्वा रोड पर हो रहा है। इधर तो दिन-रात मिट्टी से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली सड़क पर दौड़ रहे हैं। जिससे राहगीरों को दुर्घटना का डर बना रहता है।
एनजीटी के आदेशों का उड़ रहा मखौल
एनजीटी के आदेशों को पूरी तरह हवा में उड़ाते हुए खनन माफिया, पुलिस, प्रशासन और खनन विभाग तीनों से सेटिंग कर धड़ल्ले से अपना काम कर रहे हैं। क्षेत्र में बन रही कालोनियों में भराव के नाम पर रातों-रात खनन कर सैकड़ों ट्रॉलियां, डंपर सड़कों पर दौड़ रहे हैं। मिट्टी खनन की शिकायतें लोगों ने कई बार जिम्मेदार अधिकारियों से कीं, लेकिन खनन माफिया पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इस कारण खनन माफिया भराव के नाम पर ठेका ले रहे हैं। देहात क्षेत्रों में मिट्टी के अवैध खनन का कारोबार बड़े स्तर पर चल रहा है। रात भर सड़कों पर मिट्टी से भरे डंपर दौड़ते रहते हैं। सिंधावली और जिंजोखर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मिट्टी का अवैध खनन किया जा रहा है।
…तो भूमि हो जाएगी बंजर
जानकारों का कहना है कि अवैध मिट्टी खनन के कारण खेतों से उर्वरा मिट्टी समाप्त होती जा रही है। यही हाल रहा तो अधिकतर भूमि बंजर हो जाएगी। इतना ही नहीं अनुमति से दोगुना स्थानों पर अवैध खनन और वो भी जेसीबी से किया जा रहा है। यही नहीं जितनी गहराई तक खुदाई की अनुमति मिली है, उससे दोगुना से ज्यादा खुदाई करने के कारण बहुत स्थानों पर खाई बन गई हैं। जिले के आलाधिकारियों तक को इस बात की सूचना होने के बावजूद अभी तक किसी प्रकार की कार्रवाई खनन माफियाओं के खिलाफ नहीं की गई।
जेसीबी नहीं, फावड़े से है अनुमति
मिट्टी खनन के लिए जेसीबी से खनन करने की मंजूरी नहीं दी जाती है। रायल्टी जमा करने के बाद भी जेसीबी से खनन करने की मंजूरी न देते हुए प्रशासन सिर्फ फावड़े से ही मिट्टी उठाने की अनुमति देता है। इसके बावजूद खुलेआम जेसीबी से खनन किया जा रहा है। खनन माफिया प्लाटिंग करने वालों से हर ट्रॉली के हिसाब से ठेका कर लेते हैं। खनन माफिया से हर ट्राली और डंपर के हिसाब से पुलिस और खनन विभाग पैसा लेता है,
जिस वजह से उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। शिकायत पर अगर कोई अधिकारी कार्रवाई करने की रणनीति तैयार करते हैं तो सबसे पहले सूचना खनन माफिया तक पहुंच जाती है। सरकारी मानकों को दरकिनार कर मनमर्जी खुदाई से सरकार को भी करोड़ों का नुकसान हो रहा है।