- राजनीतिक समीकरण बदलने से बसपा प्रत्याशी को मिल सकता है लाभ
- पूर्व मंत्री करतार सिंह भड़ाना का दामाद रालोद छोड़ सपा में हुआ शामिल
- बिजनौर सीट से सपा करतार भड़ाना या अतुल प्रधान को बना सकती है प्रत्याशी
मिर्जा गुलजार बेग |
मुजफ्फरनगर: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिसात बिछनी शुरू हो गयी है। सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने हिसाब से गोटियां सेट करने में लगी हुई हैं। सपा से रालोद का गठबंधन टूट जाने तथा रालोद के एनडीए में शामिल हो जाने के बाद रालोद ने बिजनौर सीट से चंदन सिंह चौहान को अपना प्रत्याशी बनाकर अपना पासा फेंक दिया था। अब समाजवादी पार्टी भी अपना पासा फेंकने की तैयारी कर रही है। माना जा रहा है कि सपा भी इस सीट से गुर्जर प्रत्याशी
को मैदान में उतारेगी। दो मजबूत गुर्जर प्रत्याशी इस सीट पर आमने-सामने अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ेंगे, जिसके चलते इस सीट के राजनीतिक समीकरण बदलने के आसार बन गये हैं।
बिजनौर लोकसभा सीट को गुर्जर बाहुल्य माना जाता है। इस सीट पर मुस्लिम, जाट, दलित समेत कई ऐसी बिरादरी हैं, जो निर्णायक भूमिका में रहती हैं। इस सीट पर जहां गुर्जर दलित समीकरण बने हैं, वहीं गुर्जर-मुस्लिम समीकरण भी बन चुके हैं। इसके अलावा रालोद-भाजपा गठबंधन से भी गुर्जर प्रत्याशी इस सीट से विजयी हो चुका है। रालोद के भाजपा से गठबंधन किये जाने तथा एनडीए में शामिल होने के बाद अपना 2009 का प्रयोग अपनाते हुए अपना पासा फेंका है, जिसके चलते पूर्व सांसद संजय सिंह चैहान के पुत्र व मीरापुर विधायक चंदन सिंह चौहान को अपना प्रत्याशी बनाया गया है।
इसके उलट अब समाजवादी पार्टी भी इस सीट पर गुर्जर प्रत्याशी को टिकट देकर गुर्जर-मुस्लिम समीकरण बनाने की तैयारी कर रही है। सपा का मानना है कि मुस्लिम वोट बैंक उसका बेस वोट बैंक हैं, यदि ऐसे में कोई मजबूत गुर्जर प्रत्याशी इस सीट से चुनाव लड़ा, तो वह चुनाव आसानी से जीत सकता है। शनिवार को पूर्व मंत्री करतार सिंह भड़ाना का दामाद चैधरी लतेश, जो कि लम्बे समय से रालोद के सदस्य था, वह अचानक से रालोद छोड़कर सपा में शामिल हो गया। लतेश ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से मिलकर सपा ज्वाईन की है। लतेश के सपा में जाने के पीछे माना जा रहा है कि वह या उनके ससुर बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। दूसरी ओर सपा से अतुल प्रधान का नाम भी चचार्ओं में है। अतुल प्रधान को अखिलेश यादव का खास माना जाता है और वह सपा में मजबूत नेता बनकर उभरे हैं।
बसपा प्रत्याशी को मिल सकता है लाभ
बिजनौर लोकसभा सीट से रालोद ने भाजपा गठबंधन के साथ अपना प्रत्याशी चंदन सिंह चौहान को घोषित कर दिया है, यदि समाजवादी पार्टी भी इस सीट से गुर्जर प्रत्याशी को मैदान में उतारती है, तो इस सीट पर रौचक मुकाबला देखने को मिलेगा। इन दोनों प्रत्याशियों की लड़ाई में बसपा प्रत्याशी इस सीट से लाभ उठा सकता है। बता दें कि इस सीट पर वर्तमान में बसपा का कब्जा है। इस सीट से बसपा के मलूक नागर सांसद हैं, जो कि गुर्जर समाज से ही है। इस बार यदि बसपा भी किसी मजबूत प्रत्याशी को मैदान में उतारती है, तो वह सपा व रालोद प्रत्याशियों की लड़ाई में लाभ उठा सकता है। बता दें कि बिजनौर लोकसभा सीट में मुजफ्फरनगर की पुरकाजी व मीरापुर सीट आती हैं, जिनमें पुरकाजी दलित बाहुल्य सीट है और इस सीट पर दलित निर्णायक भूमिका में रहते हैं। वर्तमान में इस सीट पर रालोद के अनिल कुमार विधायक हैं, जो कि स्वयं एक दलित नेता हैं, जबकि मीरापुर सीट मुस्लिम बाहुल्य सीट मानी जाती है, जिस पर रालोद के चंदन ंिसह चैहान विधायक हैं। दोनों सीटों पर रालोद के विधायक उस समय चुने गये थे, जब रालोद का समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन था। गठबंधन टूट जाने के बाद देखना यह होगा कि क्या रालोद इन सीटों पर अपना दबदबा बरकरार रख पायेगी।