- नकल प्रकरण के चलते एसटीएफ की संस्तुति पर की गयी बड़ी कार्रवाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एनएच-58 स्थित सुभारती विश्वविद्यालय की साख को बड़ा धक्का लगा है। राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (सीएसआईआर नेट) में नकल प्रकरण और उसमें सुभारती विश्वविद्यालय के आईटी हेड की लिप्तता व उनकी गिरफ्तारी के चलते यह निर्णय लिया गया है। उक्त प्रकरण में सुभारती के आईटी हेड समेत कुल सात गिरफ्तारी की गई थीं। ये सभी जेल भेजे गए थे। इस प्रकरण के चलते एसटीएफ के पत्र के बाद ही सुभारती पर यह बंदिश लगायी गयी है। एसटीएफ मेरठ यूनिट के एएसपी ब्रजेश सिंह ने जानकारी दी कि इस आशय का एक पत्र कुछ समय पहले एडीजी कानून व्यवस्था को प्रेषित किया था। साथ ही एक पत्र एनटीए (राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी) तथा एसएसपी मेरठ के भी भेजा गया था।
याद रहे कि जुलाई माह में सुभारती विश्वविद्यालय में सीएसआईआर नेट की परीक्षा में सेंधमारी का पकड़ी गयी थी। उत्तराखंड निवासी युवक मनीष वर्मा ने इस संबंध में एसटीएफ मेरठ यूनिट के कुछ मजबूत साक्ष्य भी मुहैया कराए थे। 27 जुलाई को सुभारती परिसर में आयोजित सीएसआईआर नेट की परीक्ष आयोजित की जा रही थी। उसमें नकल पकड़ी गयी थी और यह काम कोई और नहीं बल्कि सुभारती का आईटी हेड करा रहा था। पूरे मामले की जानकारी प्रदेश के पुलिस प्रमुख को दी गयी थी। सुभारती विश्वविद्यालय के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज सूचना औद्योगिकी (एनएसईआईटी) कंपनी सीएसआईआर नेट की परीक्षा यहां करा रही थी।
वहां एसटीएफ ने छापा मारा था। परीक्षा केंद्र के कंप्यूटर सर्वर में दो लेन एडमिन बनाए गए थे। एक एडमिन कंप्यूटर से परीक्षा केंद्र के बाहर यानि हरियाणा में कंप्यूटरों को जोड़ा गया था। हरियाणा वाले कंप्यूटरों मे अभ्यार्थियों जिन्होंने नकल के एवज में भारी भरकम रकम दी गई बतायी जाती है उनका आईपी एड्रेस डालकर स्के्रन पर पेपर खोला गया था। जिसको हरियाणा में बैठा साल्वर साल्व कर रहा था।
ये हुए थे गिरफ्तार
एसटीएफ की कार्रवाई में इस बड़े खुलासे के बाद सुभारती के आईटी हेड अरुण शर्मा, लैस असिस्टेंट विनीत और एनएसईआईटी कंपनी के सर्वर आपरेटर अंकुर और चार अभ्यार्थी जिनके पेपर साल्व किए जा रहे थे, को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। गिरोह का मुखिया अजय उर्फ बच्ची निवासी झज्जर हरियाणा, दीपक कुमार निवासी रोहटा मढ़ी ने हरियाणा के झज्जर निवासी अजय उर्फ बच्ची की मुलाकात सुभारती के आईटी हेड अरुण से करायी थी।
वहीं, इस संबंध में एसटीएफ मेरठ यूनिट के एएसपी ब्रजेश सिंह का कहना है कि उनके पत्र के बाद ही रोक की कार्रवाई की गई है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जुलाई माह में प्रकरण सामने आने के बाद सुभारती प्रशासन ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने परीक्षा के लिए केवल जगह उपलब्ध करायी थी, इससे ज्यादा कुछ नहीं।
विशाल वर्मा को नहीं ढूंढ पा रही पुलिस
मेरठ: स्टांप घोटाले के आरोपी की गिरफ्तारी के लिए व्यापारियों का एक मंडल एसएसपी से मिला। उन्होंने कहा कि विशाल वर्मा पर सिविल लाइन पुलिस नरमी बरत रही है। कई दिन बीत चुके हैं पुलिस उसकी गिरफ्तारी नहीं कर रही है। जबकि उसके रिश्तेदार व कर्मचारी खुलेआम घूम रहे हैं। एसएसपी ने कहा कि विशाल वर्मा की लोकेशन ट्रेस की जा रही है। जल्द ही उसकी गिरफ्तारी कर ली जाएगी। इस मामले में गठित एसआईटी टीम भी अपने स्तर से सारे मामले की जांच कर रही है।
बताया गया कि मेरठ में करोड़ों रुपये के स्टांप घोटाले में एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस प्रशासन मामले को ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास कर रहा है। जबकि दिन भर दिन मामला बढ़ता जा रहा है। अभी तक दो हजार से ज्यादा लोगों के पास फर्जी स्टांप से रजिस्ट्री के नोटिस पहुंच रहे हैं। नोटिस में उन्हें जल्द से जल्द रुपये जमा कराने के लिए कहा जा रहा है। अधिकतर लोगों ने विशाल वर्मा से स्टांप खरीद कर अपने मकानों की रजिस्ट्री कराई थी। अब उनके स्टांप जांच में फर्जी निकले है। वहीं, सारे मामले में डीएम ने भी एक जांच कमेटी बना रखी है।
वहीं, एसएसपी ने भी अपने स्तर से एसआईटी का गठन किया है। जिसमें एसपी क्राइम को नोडल अधिकारी बनाया गया है। मेरठ व्यापार मंडल के नेता जीतू नागपाल ने कई कार्यकर्ताओं के साथ एसएसपी डा. विपिन ताडा से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि विशाल वर्मा को पुलिस गिरफ्तार करने में नाकाम साबित हो रही है। जबकि उसके कर्मचारी खुलेआम घूम रहे हैं। एसएसपी ने आश्वासन दिया कि जल्द ही उसकी गिरफ्तारी कर ली जाएगी।