- विद्युत विभाग को लगाई जा रही करोड़ों की चपत
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: औद्योगिक इकाइयों की निगरानी बढ़ जाने के बाद अब मीटर शंट करने के लिए नए फार्मूलों के साथ शातिरों ने घरेलू और व्यवसायिक उपभोक्ताओं पर अपनी निगाहें टिका रखी हैं। ऐसे उपभोक्ताओं के बिल कम करने के नाम पर बूंद-बूंद से घड़ा भरने का काम करते हुए विद्युत विभाग को करोड़ों की चपत लगाई जा रही है।
एक समय था, जब साधारण मीटर की सील आदि तोड़कर उसकी यूनिट घटाने का काम खूब किया जाता था। इससे निजात पाने के लिए विभाग की ओर से इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगवाए गए। इन मीटरों को शंट करने के लिए भी कई तरीके निकाले गए। लेकिन विभाग की टीम ने एकाएक बिजली बिल कम आने के मामलों की निगरानी शुरू कर दी। जिसके बाद बड़े उद्योगों की रीडिंग लेने का काम बड़े अधिकारियों को सौंपा गया।
इसका नतीजा यह निकला कि बड़ी इकाइयों में बिजली चोरी के मामले पकड़े जाने पर भारी भरकम जुर्माने भरने के बजाय लोगों ने मीटर से बिल भरने को वरीयता देना शुरू कर दिया। विभागीय सूत्रों के मुताबिक बिजली चोरी के मामले थम गए हों, ऐसा भी नहीं है। हालांकि इनमें बड़ी गिरावट जरूर आई है। इसका नतीजा है कि पश्चिमांचल में लाइन लॉस का प्रतिशत आज घटकर 19 प्रतिशत के करीब आ चुका है।
इस लाइन लॉस को कम करने के लिए बिजली विभाग के अधिकारी बिजली चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए बड़े उपभोक्ताओं की मॉनिटरिंग करते रहते हैं। विभागीय अधिकारी इस समय लाइन लॉस का एक बड़ा सोर्स निजी नलकूपों के स्वीकृत भार और वास्तविक भार के अंतर को भी मानते हैं। जिसकी निगरानी के लिए नलकूपों पर मीटर लगाने का अभियान भी चलाया गया,
हालांकि किसानों ने इसका पुरजोर विरोध किया है। सूत्रों की जानकारी के मुताबिक औद्योगिक इकाइयों और नलकूपों पर विभाग के उच्चाधिकारियों की निगरानी बढ़ जाने के बाद मीटर शंट करने की नई-नई युक्ति तलाश करने वालों ने घरेलू और व्यवसायिक उपभोक्ताओं के मीटरों को शंट करने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। हालांकि यह काम इतना आसान नहीं होता, क्योंकि इलैक्ट्रोनिक मीटर की रीडिंग भी अब मैन्यूअल नहीं, बल्कि आॅनलाइन ऐप के माध्यम से ली जाती है।
फिर भी विभागीय अधिकारी इस बात की संभावना से इन्कार नहीं करते कि छोटे उपभोक्ताओं की बिलिंग को लेकर अपेक्षाकृत कम ही मानिटरिंग हो पाती है। ऐसे में कुछ लोग मीटर शंट करने के प्रलोभन देकर जहां बूंद-बूंद से अपना घड़ा भरने में लगे हैं, वहीं विभाग के लिए करोड़ों की बिजली चोरी का मामला तो बन ही जाता है।
नई तकनीक के साथ उसमें सेंध लगाने के प्रयास करने वाले हमेशा सक्रिय रहते हैं। ऐसे लोगों के एक गिरोह को पूर्व तैनाती के दौरान शामली में पकड़ा भी गया था। विभाग की निगाहें बिलों में आने वाली एकाएक गिरावट को देखकर चौकन्ना हो जाते हैं। और यह जानने का प्रयास करते हैं कि इसके पीछे उपभोक्ता की जरूरत कम होना है, या इसमें कोई गड़बड़ी की गई है। ऐसा करने-कराने वाले अपना खेल लंबे समय तक नहीं खेल सकते, और जल्दी ही पकड़ में आकर सजा भुगतते हैं। -एके वर्मा, अधीशासी अभियंता, मेरठ