- भारत में नजर नहीं आएगा चंद्रग्रहण इसलिए सूतक काल नहीं होगा मान्य
- खगोलीय और ज्योतिषीय नजरिए से 15 दिन में 2 ग्रहण का होगा देश और दुनिया पर असर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: वैशाख पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण होगा, लेकिन ये ग्रहण उपछाया होने की वजह से इसकी कोई धार्मिक मान्यता नहीं रहेगी। बुद्ध पूर्णिमा पर पूजा-पाठ के साथ ही दान-पुण्य और नदी स्नान करने की परंपरा है। 5 मई को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण उपछाया ग्रहण होगा और चंद्र ग्रहण की कोई धार्मिक मान्यता नहीं होगी। चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
ज्योतिषाचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि साल 2023 का पहला चंद्रग्रहण वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के दिन यानि 5 मई को लगने जा रहा है। चंद्रग्रहण को वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टि से अहम माना गया है। वैज्ञानिक दृष्टि से जब सूर्य और धरती के बीच चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रग्रहण लगता है
जबकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रग्रहण के दौरान राहु चंद्रमा को ग्रसित कर देते हैं। इस चंद्रग्रहण की अवधि कुल 4 घंटे 18 मिनट की रहने वाली है। 8 बजकर 44 मिनट से चंद्रग्रहण शुरू होगा और रात के 1 बजकर 2 मिनट तक चंद्रग्रहण रहेगा।
कहां-कहां दिखाई देगा चंद्रग्रहण
भारत में यह उपछाया चंद्रग्रहण नहीं दिखाई देगा। भारत के अलावा यूरोप, एशिया, आॅस्ट्रेलिया, अफ्रीका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, महासागर, हिंद महासागर, न्यूजीलैंड और दक्षिण-पूर्वी यूरोप नॉर्थ पोल पर दृश्य होगा। इस उपछाया चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 15 मिनट तक रहेगी।
क्या होता है उपछाया चंद्र ग्रहण?
सूर्य पृथ्वी और चंद्र इन तीन ग्रहों की वजह से ग्रहण होते हैं। जब सूर्य और चंद्र के बीच पृथ्वी आती है और ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में होते हैं, तब चंद्र ग्रहण होता है। ऐसे ग्रहण की धार्मिक मान्यता रहती है, लेकिन जब ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में हो, लेकिन पृथ्वी की सीधी छाया चंद्र पर न पड़े तो उपछाया चंद्र ग्रहण होता है। इस ग्रहण में चंद्र के ऊपर पृथ्वी की धूल जैसी छाया पड़ती है, जिसे आसानी से देखा नहीं जा सकता है। इसलिए इसे उपछाया चंद्रग्रहण कहा जाता है।
चंद्र ग्रहण पर ग्रहों की स्थिति
15 दिनों के अंतराल पर यह साल का दूसरा ग्रहण होगा। गत 20 अप्रैल को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था। अब 5 मई का साल का पहला चंद्र ग्रहण लगेगा। वैशाख पूर्णिमा के दिन लगने वाले चंद्र ग्रहण के दौरान शनि अपनी राशि कुंभ में मौजूद रहेंगे। गुरु मेष राशि में रहेंगे। इसके अलावा सूर्य, राहु और बुध भी मेष राशि में रहेंगे। चंद्र ग्रहण के दौरान शनि की तीसरी दृष्टि सूर्य, गुरु, राहु और बुध पर रहेगी।
15 दिन में दो ग्रहण का होगा देश और दुनिया पर असर
ज्योतिषाचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि अप्रैल माह में 15 दिन में 2 ग्रहण का 12 राशियों के साथ ही देश-दुनिया पर भी असर पड़ेगा। इस कारण प्राकृतिक आपदाएं आने और राजनीति बदलाव होने के संकेत दिख रहे हैं। साथ ही इस ग्रहण से कई लोग मानसिक तौर से परेशान भी रहेंगे। प्राकृतिक आपदाएं या मौसम में अचानक बदलाव हो सकता है।
तेज हवा, आंधी, भूकंप या लैंडस्लाइड होने की आशंका बन रही है। इसके अलावा देश में तनाव और डर का माहौल बन सकता है। देशी सीमाओं पर तनाव बढ़ सकता है। आतंकी घटनाएं बढ़ सकती हैं। प्रशासन में डर रहेगा। कुछ जगहों पर दुर्घटनाएं बढ़ सकती हैं। औद्योगिक विकास कार्यों में गिरावट आ सकती है। व्यापारी वर्ग में चिंता रहेगी।