- पीड़ित ने कहा न कोई जांच हुई और न किसी ने पूछताछ की
- लेखपालों की मनमानी से प्रमाण पत्र निरस्त लोग हो रहे परेशान
जनवाणी संवाददाता |
शामली: इसे लेखपालों की मनमानी के सिवा कुछ नहीं कहा जा सकता कि एक मजदूर को बड़ा व्यापारी बताकर सक्षम अधिकारी तहसीलदार ने आय प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया। उसकी कोई जांच पड़ताल भी नहीं की गई और सीधे प्रमाण पत्र निरस्त की रिपोर्ट डाल दी गई। अब पीड़ित को समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करे और किसके दर पर अपनी पीड़ा लेकर जाए।
शामली शहर के मोहल्ला बड़ीआल जाटान निवासी प्रमोद कुमार शहर के बड़ा बाजार में सुधीर कुमार की बर्तन की दुकान पर नौकरी करता है। प्रमोद ने बताया कि उसने 17 फरवरी को जनसेवा केंद्र के माध्यम से आय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। गुरुवार को जब प्रमोद जनसेवा केंद्र पर अपने आय प्रमाण पत्र के संबंध में जानकारी करने गया तो केंद्र प्रभारी ने बताया कि उसका आदेवन निरस्त कर दिया गया है।
अस्वीकृति का कारण बताया कि आवेदक प्रमोद कुमार व्यवसाय करता है और उसकी दुकान है। इतना सुनकर प्रमोद कुमार सन्न रह गया। प्रमोद ने बताया कि वह पिछले कई सालों से सुधीर कुमार की बर्तन की दुकान पर मजदूरी करता आ रहा है। उसने अपने प्रमाण पत्र के आवेदन में भा मजदूरी ही दिया था। लेकिन लेखपाल ने न तो कोई जांच की और न ही फोन के जरिए कोई पूछताछ की। सीधे उसका प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया। प्रमोद का कहना है कि वह गरीब आदमी है और उसे समझ नहीं आ रहा कि अब वह किसके दर पर जाकर अपनी गुहार लगाए।
उधर, थानाभवन के गांव नागल इस्माइलपुर निवासी वेदपाल ने उपजिलाधिकारी के नाम शिकायती पत्र भेजते हुए बताया कि उसने कुछ दिन पूर्व हसनपुर लुहारी के एक जनसेवा केंद्र से आय व जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया था। क्योंकि कुछ दिन पहले जन सेवा केंद्र संचालक व लेखपाल के बीच किसी बात को लेकर बहस हो गई थी।
इस बात की रंजिश रखते हुए लेखपाल ने नियमों को दरकिनार करते हुए उसके आवेदनों को निरस्त कर दिया। इसके कुछ दिन बाद उसने दोबारा प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया जो आॅनलाइन माध्यम से लेखपाल के पास पहुंचे। लेकिन लेखपाल ने दोबारा सारी जानकारी सही होने के बावजूद प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया। जबकि उससे कुछ दिन पहले गांव के एक दूसरे व्यक्ति ने आय व जाति प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था।
उक्त आवेदनों को लेखपाल ने पास कर दिया था। इस संबंध में जब उसने लेखपाल से जाकर बात की तो उसने यह कहते हुए उसे वापस भेज दिया। कि यह एरिया उसके क्षेत्र में नहीं आता जबकि उसके अलावा अन्य लोगों के प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। पीड़ित ने मामले में संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की मांग की है।
यह सिर्फ उदाहरण है जबकि ऐसे कई लोग हैं। जो लेखपाल की मनमानी से पीड़ित है। इस संबंध में हल्का लेखपाल अशोक कुमार का कहना है कि वही फार्म निरस्त किए गए हैं जिनके आवेदन अधूरे या गलत थे। सही आवेदनों को पास किया गया है